

मालेगांव ब्लास्ट मामले में 17 साल बाद आज एनआईए की स्पेशल कोर्ट फैसला सुनाएगी। इसमें पूर्व भाजपा सांसद प्रज्ञा ठाकुर और कर्नल प्रसाद पुरोहित समेत 12 आरोपी हैं। धमाके में 6 लोग मारे गए थे और 101 घायल हुए थे।
17 साल बाद मालेगांव ब्लास्ट मामले में फैसला
Mumbai: मालेगांव ब्लास्ट मामला, जिसमें 6 लोगों की मौत और 101 लोग घायल हुए थे, 17 साल बाद आज स्पेशल एनआईए कोर्ट में इसका फैसला सुनाया जाएगा। इस मामले में पूर्व भाजपा सांसद प्रज्ञा ठाकुर, कर्नल प्रसाद पुरोहित और 12 अन्य आरोपियों पर हिंदू राइट विंग से जुड़े होने का आरोप है। अदालत ने 19 अप्रैल को अपना फैसला सुरक्षित रखा था और अब 31 जुलाई को इस मामले का निर्णय दिया जाएगा।
मालेगांव ब्लास्ट का घटनाक्रम
मालेगांव, महाराष्ट्र में 29 सितंबर 2008 को एक बम विस्फोट हुआ था, जिसमें 6 लोग मारे गए और 101 लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे। प्रारंभिक जांच में यह बात सामने आई कि इस हमले के पीछे हिंदू राइट विंग ग्रुप्स के सदस्य थे। इस ब्लास्ट ने देशभर में हलचल मचाई थी और आरोप यह लगाया गया था कि इस हमले को हिंदू कट्टरपंथियों ने अपनी विचारधारा को फैलाने के लिए अंजाम दिया।
मामला शुरुआत में महाराष्ट्र एटीएस (एंटी टेररिज्म स्क्वाड) के पास था, लेकिन 2011 में इसे एनआईए (नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी) को सौंप दिया गया। एनआईए ने 2016 में आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी।
पूर्व भाजपा सांसद प्रज्ञा ठाकुर (Img- Internet)
मुख्य आरोपी और आरोप
इस मामले में आरोपियों में प्रमुख नामों में पूर्व भाजपा सांसद प्रज्ञा ठाकुर, कर्नल प्रसाद पुरोहित, मेजर रमेश उपाध्याय, अजय राहिरकर, समीर कुलकर्णी, स्वामी दयानंद पांडे और सुधाकर चतुर्वेदी शामिल हैं। आरोपियों पर यह आरोप है कि इन्होंने हिंदुत्व विचारधारा से जुड़े एक साजिश के तहत इस ब्लास्ट को अंजाम दिया। प्रज्ञा ठाकुर पर मुख्य रूप से धमाके की साजिश रचने और उसे अंजाम देने का आरोप है। हालांकि, ठाकुर का कहना था कि वह इस घटना में शामिल नहीं थी, और उन्हें फंसाया गया है।
जांच और फैसले की लंबी प्रक्रिया
मालेगांव ब्लास्ट मामले में जांच के दौरान 3 जांच एजेंसियां और 4 जज बदल चुके हैं, जिससे इस मामले की सुनवाई में समय लगता गया। शुरुआत में महाराष्ट्र एटीएस ने मामले की जांच की थी, लेकिन बाद में यह मामला एनआईए के हाथ में गया। कई सालों तक मामला अदालत में विचाराधीन रहा।
इस मामले की सुनवाई में कुछ अहम घटनाएं घटी, जिनमें 323 गवाहों में से 32 ने कथित दबाव में आकर अपने बयान बदल दिए। इसके बावजूद, एनआईए ने अदालत से नरमी न बरतने की अपील की और कहा कि आरोपियों के खिलाफ ठोस सबूत मौजूद हैं।
आरोपी डिस्चार्ज और गवाहों के बयान
मालेगांव ब्लास्ट मामले में कुछ आरोपियों को डिस्चार्ज किया गया था। इनमें 5 आरोपी शामिल थे, जिनमें से 3 को पूरी तरह से और 2 को आंशिक रूप से डिस्चार्ज किया गया। कोर्ट ने यह आदेश दिया था कि इन आरोपियों पर पर्याप्त सबूत नहीं मिल सके थे।
मालेगांव ब्लास्ट केस (Img- Internet)
फैसला टलने के बाद की स्थिति
इस मामले की सुनवाई में कई बार देरी हुई। पहले 8 मई 2025 को फैसले की तारीख तय की गई थी, लेकिन बाद में इसे 31 जुलाई तक के लिए सुरक्षित रख लिया गया था। कोर्ट ने 19 अप्रैल को फैसला सुरक्षित रख लिया था, और अब अदालत आज अपना फैसला सुनाएगी।
मालेगांव ब्लास्ट केस ने न केवल महाराष्ट्र, बल्कि पूरे देश में हलचल मचा दी थी। इसमें आरोपियों की भूमिका, जांच एजेंसियों की कार्यशैली और अदालत के फैसले को लेकर कई सवाल उठे। अब इस मामले में अदालत का फैसला भारतीय न्यायपालिका की निष्पक्षता और इसकी जांच प्रक्रिया पर महत्वपूर्ण सवाल उठाएगा।