Sonbhadra News: शारदा प्रसाद चौबे हत्याकांड मामले में 2 दशक बाद आया ये फैसला, 2 को मिला आजीवन कारावास

यूपी के सोनभद्र में शुक्रवार को चालक शारदा प्रसाद चौबे हत्याकांड मामले में कोर्ट का बड़ा फैसला सामने आया है। करीब दो दशक पुराने हत्याकांड में जिला न्यायालय ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। अपर सत्र न्यायाधीश एफटीसी-सीएडब्लू अर्चना रानी की अदालत ने दो अभियुक्तों को हत्या का दोषी करार दिया।

Post Published By: Jay Chauhan
Updated : 28 November 2025, 7:55 PM IST
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Sonbhadra: जनपद में साढ़े 19 वर्ष पुराने चालक शारदा प्रसाद चौबे हत्याकांड मामले में कोर्ट का बड़ा फैसला सामने आया है। अपर सत्र न्यायाधीश एफटीसी/सीएडब्लू अर्चना रानी की अदालत ने शुक्रवार को फैसला सुनाया। अदालत ने चतरा प्रमुख प्रतिनिधि धीरेंद्र पटेल और राजेश सिंह को दोषी पाते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।

फैसले में अदालत ने दोषियों पर एक-एक लाख रुपये का अर्थदंड भी लगाया गया है। अर्थदंड अदा न करने पर उन्हें 10-10 माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। जेल में बिताई गई अवधि उनकी सजा में समाहित की जाएगी। अर्थदंड की कुल धनराशि में से डेढ़ लाख रुपये पीड़ित पक्ष को दिए जाएंगे। सजा सुनाए जाने के बाद दोनों दोषियों को जिला कारागार गुरमा भेज दिया गया।

अभियोजन पक्ष के अनुसार यह मामला 22 फरवरी 2006 का है। यतींद्र सिंह यादव पुत्र श्याम राज सिंह यादव निवासी मैनपुर, थाना करगंडा, जिला गाजीपुर ने खानपुर थानाध्यक्ष को तहरीर दी थी।

उन्होंने बताया था कि उनकी पत्नी सीमा यादव के नाम से एक मार्शल गाड़ी (यूपी 64एफ/4993) है, जो उनके बहनोई के पास थी। गाड़ी का चालक शारदा प्रसाद चौबे पुत्र मदन मोहन चौबे निवासी लेबर कॉलोनी चुर्क, थाना रॉबर्ट्सगंज, जिला सोनभद्र था।

18 फरवरी 2006 का मामला

18 फरवरी 2006 को चालक गाड़ी लेकर रॉबर्ट्सगंज गया था। उसी दिन शाम 5 बजे सवेरा होटल के पास से राजेश सिंह पुत्र विजय प्रताप सिंह निवासी मगरहथा, थाना पन्नूगंज, जिला सोनभद्र चालक को अपनी बहन की विदाई कराने वाराणसी जाने की बात कहकर अपने साथ ले गया। जब 19 फरवरी को गाड़ी वापस नहीं आई, तो बहनोई ने रॉबर्ट्सगंज थाने में इसकी सूचना दी।

21 फरवरी को पता चला कि गाड़ी को राजेश सिंह, बबलू यादव और एक अन्य व्यक्ति लेकर गए थे। 22 फरवरी को एक समाचार पत्र में एक शव मिलने की खबर छपी। इस पर चालक के भाई विंध्यवासिनी चौबे ने थाने जाकर शव की शिनाख्त अपने भाई शारदा प्रसाद चौबे के रूप में की।

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इस तहरीर के आधार पर एफआईआर दर्ज कर पुलिस ने विवेचना शुरू की। विवेचना के दौरान धीरेंद्र पटेल का नाम भी प्रकाश में आया। पर्याप्त सबूत मिलने के बाद विवेचक ने अदालत में चार्जशीट दाखिल की थी।

लंबी कानूनी लड़ाई के बाद मिला न्याय

मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के तर्कों को सुनने, गवाहों के बयान और पत्रावली का अवलोकन करने पर चतरा प्रमुख प्रतिनिधि धीरेंद्र पटेल व राजेश सिंह को दोषसिद्ध पाकर आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इनके ऊपर एक-एक लाख रुपये अर्थदंड भी लगाया गया है।

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अर्थदंड न देने पर 10-10 माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी पड़ेगी। जेल में बिताई अवधि सजा में समाहित होगी। वहीं अर्थदंड की धनराशि में से डेढ़ लाख रुपये पीड़ित पक्ष को मिलेगा। दोनों दोषियों को जिला कारागार गुरमा भेज दिया गया। अभियोजन पक्ष की ओर से सरकारी वकील सत्यप्रकाश त्रिपाठी व शेष नारायन दीक्षित उर्फ बबलू दीक्षित एडवोकेट ने बहस की।

 

Location : 
  • Sonbhadra

Published : 
  • 28 November 2025, 7:55 PM IST