

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 25% टैरिफ लगाए जाने के फैसले के बाद भारत ने अमेरिका से F-35 लड़ाकू विमान न खरीदने का निर्णय लिया है। भारत ने फिलहाल किसी जवाबी कार्रवाई से इनकार किया है, लेकिन व्यापार संतुलन साधने के लिए प्राकृतिक गैस और संचार उपकरणों के अमेरिकी आयात पर विचार कर रहा है। भारत का रुख फिलहाल संयमित है, लेकिन यह आत्मनिर्भर रक्षा नीति की ओर एक महत्वपूर्ण संकेत भी है।
एफ-35 फाइटर जेट
New Delhi: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 25% टैरिफ लगाए जाने की घोषणा के बाद भारत ने संयमित लेकिन रणनीतिक प्रतिक्रिया दी है। भारत सरकार ने अमेरिका से F-35 स्टील्थ लड़ाकू विमान नहीं खरीदने का फैसला किया है और अब घरेलू रक्षा निर्माण तथा व्यापार अधिशेष को संतुलित करने के वैकल्पिक उपायों पर ध्यान केंद्रित कर रही है। नई दिल्ली का रुख टकराव से बचने और द्विपक्षीय संबंधों को बनाए रखने का संकेत देता है।
अमेरिका का टैरिफ झटका
29 जुलाई 2025 को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से होने वाले आयात पर 25% टैरिफ लगाने के आदेश पर हस्ताक्षर कर दिए। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब भारत और अमेरिका के बीच व्यापार संतुलन को लेकर पहले से ही चर्चा चल रही थी। नई दिल्ली के लिए यह कदम अप्रत्याशित और चिंताजनक था।
भारत ने छोड़ी F-35 डील
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने अमेरिका से F-35 स्टील्थ लड़ाकू विमान न खरीदने का फैसला किया है। फरवरी 2025 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की व्हाइट हाउस यात्रा के दौरान अमेरिका ने यह डील प्रस्तावित की थी, लेकिन अब भारत सरकार घरेलू रक्षा उत्पादन और संयुक्त निर्माण परियोजनाओं में अधिक रुचि दिखा रही है। हालांकि रक्षा मंत्रालय ने इस पर सार्वजनिक बयान नहीं दिया है, लेकिन यह निर्णय अमेरिका को एक कूटनीतिक संकेत है कि भारत अब रक्षा व्यापार में आत्मनिर्भरता को प्राथमिकता देगा।
सीधे जवाब से बचाव, लेकिन कूटनीतिक तैयारी जारी
नई दिल्ली के वरिष्ठ अधिकारियों ने संकेत दिया है कि भारत फिलहाल ट्रंप के टैरिफ पर सीधी जवाबी कार्रवाई नहीं करेगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन (WTO) के तहत अपने अधिकार सुरक्षित रखेगा ताकि जरूरत पड़ने पर स्टील और ऑटो पर जवाबी शुल्क लगाया जा सके।
अमेरिकी आयात बढ़ाने की योजना पर काम
भारत सरकार अब अमेरिका को संतुष्ट करने के लिए प्राकृतिक गैस, संचार उपकरण और सोने के आयात में वृद्धि पर विचार कर रही है। अधिकारियों का मानना है कि अगले 3-4 वर्षों में इससे व्यापार अधिशेष में कमी आएगी और ट्रंप प्रशासन के मुख्य व्यापारिक उद्देश्यों में भारत सहयोगी साबित हो सकता है।
पीयूष गोयल का बयान
वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने संसद में कहा कि सरकार निर्यातकों और उद्योग संगठनों से बातचीत कर रही है ताकि टैरिफ के असर का आकलन किया जा सके। उन्होंने विपक्ष के सवालों के जवाब में कहा कि हालिया घटनाक्रमों के प्रभावों की जांच की जा रही है। हम राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए हर आवश्यक कदम उठाएंगे। गोयल ने यह भी दोहराया कि अमेरिका के साथ व्यापार समझौते की संभावना अब भी बनी हुई है, हालांकि हालात कठिन हो गए हैं।
आत्मनिर्भरता की ओर भारत का झुकाव
F-35 लड़ाकू विमानों की डील रद्द करना केवल एक जवाबी फैसला नहीं, बल्कि यह भारत की ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ नीतियों की दिशा में बढ़ता हुआ कदम भी है। भारत अब विदेशी रक्षा कंपनियों के साथ संयुक्त डिजाइन और उत्पादन को प्राथमिकता दे रहा है, जिससे न केवल तकनीक का हस्तांतरण होगा, बल्कि रोजगार और कौशल विकास को भी बढ़ावा मिलेगा।
व्यापार वार्ता का पटरी पर लौटना अब भी प्राथमिकता
भारतीय अधिकारियों ने साफ किया है कि वे अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार वार्ता को फिर से पटरी पर लाना चाहते हैं। हालांकि ट्रंप प्रशासन की टैरिफ नीति ने विश्वास में कमी पैदा की है, फिर भी भारत इसे व्यापारिक टकराव में बदलने के बजाय संवाद और समाधान की नीति अपनाना चाहता है।
कूटनीतिक संयम और सामरिक दूरदृष्टि
भारत का रुख इस पूरे विवाद में संतुलित रहा है। टैरिफ के बावजूद भारत ने जवाबी शुल्क लगाने से परहेज किया है और बातचीत के रास्ते खुले रखे हैं। वहीं F-35 डील को टालना एक सधा हुआ कदम है, जो अमेरिका को यह संकेत देता है कि भारत दबाव में आकर रणनीतिक फैसले नहीं लेगा।