टेक्नोलॉजी से लैस ड्रग माफिया: दिल्ली में ड्रगस की होती होम डिलीवरी, मलेशिया से यूके तक फैला था नेटवर्क

दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने राजधानी में सक्रिय एक बड़े और हाई-टेक ड्रग रैकेट का खुलासा करते हुए 100 करोड़ रुपए की ड्रग्स जब्त की है और 5 नाइजीरियाई नागरिकों को गिरफ्तार किया है। इस रैकेट का संचालन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किया जा रहा था, जिसकी जड़ें मलेशिया, ऑस्ट्रेलिया, यूके और अन्य देशों तक फैली थीं। यह गिरोह स्विगी-जोमैटो जैसी डिलीवरी प्रणाली अपनाकर राजधानी के पॉश इलाकों में ड्रग्स की होम डिलीवरी करता था। मामले की जांच में चौंकाने वाले खुलासे सामने आए हैं, जो देश में ड्रग तस्करी के नए और खतरनाक ट्रेंड की ओर इशारा करते हैं।

Post Published By: Asmita Patel
Updated : 1 August 2025, 8:17 AM IST
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New Delhi: दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एक ऐसे संगठित ड्रग गिरोह का पर्दाफाश किया है, जो तकनीक का इस्तेमाल कर राजधानी में ड्रग्स की सप्लाई कर रहा था। गिरोह ने ड्रग डिलीवरी के लिए एक ऐप आधारित सिस्टम विकसित किया था, जो फूड डिलीवरी एप्स की तरह काम करता था। गिरोह द्वारा इस्तेमाल की गई इस प्रणाली में ग्राहकों की रियल-टाइम लोकेशन ट्रैक की जाती थी और डिलीवरी बॉय की गतिविधियों की निगरानी भी की जाती थी। डिलीवरी बॉय के लिए यूनिफॉर्म तय थी, जिससे ग्राहक को पहचानने में आसानी हो।

5 नाइजीरियाई युवक गिरफ्तार

पुलिस ने कार्रवाई करते हुए 100 करोड़ रुपए मूल्य की ड्रग्स जब्त की और 5 नाइजीरियाई युवकों को गिरफ्तार किया। पूछताछ में पता चला कि सभी आरोपी कई वर्षों से दिल्ली में रह रहे थे और इंटरनेशनल ड्रग कार्टेल का हिस्सा थे। ये युवक विदेश से ड्रग्स मंगवाकर दिल्ली-एनसीआर में होम डिलीवरी करते थे।

अंतरराष्ट्रीय कॉल सेंटर से होता था ऑर्डर प्रोसेसिंग

इस गैंग का संचालन बेहद संगठित और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होता था। ग्राहक ड्रग्स की मांग वॉट्सएप और वीओआईपी कॉल के जरिए करते थे। सभी ऑर्डर नाइजीरिया स्थित एक कॉल सेंटर में दर्ज होते थे, जहां से डिलीवरी का निर्देश दिल्ली-एनसीआर में मौजूद डिस्ट्रीब्यूटर्स को भेजा जाता था।

दुनियाभर में फैला था नेटवर्क

जांच में सामने आया कि इस रैकेट का नेटवर्क सिर्फ दिल्ली तक सीमित नहीं था। इसकी जड़ें मलेशिया, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, जापान और यूनाइटेड किंगडम तक फैली हुई थीं। गिरोह द्वारा इस्तेमाल किए गए ऐप और मैसेजिंग सिस्टम एंड-टू-एंड इनक्रिप्टेड थे ताकि पुलिस या कोई भी एजेंसी उनकी बातचीत ट्रैक न कर सके।

दिल्ली के पॉश इलाकों में फैला था सप्लाई नेटवर्क

गिरोह का नेटवर्क दिल्ली के साकेत, वसंतकुंज, छतरपुर, वसंत विहार, मालवीय नगर, मोती नगर और पंजाबी बाग जैसे पॉश इलाकों में फैला हुआ था। इसके अलावा, नोएडा और गुरुग्राम तक भी ड्रग्स की सप्लाई की जा रही थी। गिरोह ने इन क्षेत्रों में पहले से ही स्थानीय नेटवर्क तैयार कर रखा था।

भारतीय महिलाओं का इस्तेमाल ड्रग तस्करी में

इस मामले में सबसे चौंकाने वाला खुलासा यह हुआ कि नाइजीरियाई कार्टेल ड्रग्स को भारत लाने के लिए भारतीय महिलाओं का इस्तेमाल करता था। ये महिलाएं अपने बैग और सूटकेस में ड्रग्स छिपाकर विदेश से दिल्ली लाती थीं और फिर लोकल सप्लायर्स को सौंप देती थीं।

ड्रग्स में मिलावट कर बढ़ाया मुनाफा

गिरोह केवल ड्रग्स की तस्करी ही नहीं करता था, बल्कि ग्राहकों तक सप्लाई करने से पहले उनमें मिलावट भी करता था ताकि कम मात्रा में ज्यादा मुनाफा कमाया जा सके। इससे न सिर्फ ड्रग्स की गुणवत्ता खराब होती थी, बल्कि उपभोक्ताओं की जान को भी खतरा होता था।

कोलंबियाई ड्रग्स की सबसे ज्यादा बरामदगी

क्राइम ब्रांच की छापेमारी में जिन ड्रग्स को जब्त किया गया, उनमें कोलंबिया से लाई गई ड्रग्स की मात्रा सबसे अधिक थी। इसके अलावा, पुलिस ने डिजिटल उपकरण, मोबाइल, नेटवर्किंग टूल्स और डिलीवरी के लिए इस्तेमाल होने वाले दस्तावेज भी बरामद किए हैं। यह सब इस बात की पुष्टि करते हैं कि यह गिरोह एक सुनियोजित तरीके से काम करता था।

पुलिस के लिए नई चुनौती

यह मामला दिल्ली पुलिस के लिए एक चेतावनी है कि अब ड्रग तस्करी पारंपरिक तरीके से नहीं, बल्कि तकनीकी प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से की जा रही है। गिरोह ने जिस तरह फूड डिलीवरी मॉडल को अपनाकर ड्रग्स की होम डिलीवरी शुरू की, वह देश के लिए खतरे की घंटी है।

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