

अमेरिका द्वारा भारत से आयातित वस्तुओं पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा ने भारतीय अर्थव्यवस्था के सामने नई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। इससे रुपया कमजोर हुआ, शेयर बाजार गिरा और निर्यात आधारित उद्योगों पर असर पड़ा है। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि इससे विकास दर पर भी दबाव पड़ सकता है, जबकि रत्न-आभूषण, स्टील, वस्त्र और फार्मा जैसे क्षेत्रों में रोजगार और मुनाफा दोनों खतरे में हैं। हालांकि कुछ विशेषज्ञों को उम्मीद है कि भारत दीर्घकालिक रणनीति से इस संकट से निपट सकता है।
भारत पर अमेरिकी टैरिफ का असर
New Delhi: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत से आयातित वस्तुओं पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा ने आर्थिक मोर्चे पर नई चुनौती खड़ी कर दी है। पहले से ही वैश्विक अनिश्चितताओं का सामना कर रही भारतीय अर्थव्यवस्था पर यह निर्णय अतिरिक्त दबाव बना सकता है। इसका असर न सिर्फ जीडीपी पर बल्कि शेयर बाजार, विदेशी मुद्रा और औद्योगिक उत्पादन पर भी स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगा है। टैरिफ की खबर के बाद भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले गिरकर 88 के करीब रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया, जबकि सेंसेक्स और निफ्टी में लगभग 0.6% की गिरावट दर्ज की गई।
0.40% तक मंदी का अनुमान
अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि यह टैरिफ भारत की विकास दर को 2025-26 तक 0.40% तक कम कर सकता है। वोंटोबेल में ईएम इक्विटीज के सह-प्रमुख राफेल लुएशर ने कहा कि यह भारत की 'मेक इन इंडिया' की महत्वाकांक्षा को झटका दे सकता है। ब्रैड बेचटेल (जेफरीज) का मानना है कि विदेशी पूंजी की निकासी और कच्चे तेल की कीमतों में उछाल के साथ मिलकर यह निर्णय रुपये को 90 तक ले जा सकता है। शांतनु सेनगुप्ता (गोल्डमैन सैश) ने इसे नीतिगत अनिश्चितता बताते हुए कहा कि इससे भारतीय कंपनियों के निवेश निर्णय प्रभावित हो सकते हैं। हालांकि, डीबीएस बैंक के अर्थशास्त्री मानते हैं कि श्रम प्रधान क्षेत्रों और छोटी कंपनियों को राजकोषीय सहायता और ब्याज दरों में कटौती से राहत मिल सकती है।
एक लाख से ज्यादा नौकरियां खतरे में
अमेरिका भारतीय आभूषणों का सबसे बड़ा निर्यात बाजार है। पिछले वित्त वर्ष में भारत ने अमेरिका को 9.9 अरब डॉलर मूल्य के रत्न एवं आभूषण निर्यात किए थे। अखिल भारतीय रत्न एवं आभूषण घरेलू परिषद के चेयरमैन राजेश रोकड़े के अनुसार, टैरिफ के कारण एक लाख से अधिक लोगों की नौकरियां खतरे में हैं, विशेषकर हस्तनिर्मित आभूषणों के क्षेत्र में।
आर्सेलर मित्तल का 1300 करोड़ रुपये का नुकसान
दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी स्टील निर्माता कंपनी आर्सेलर मित्तल ने कहा है कि इस टैरिफ के चलते कंपनी का मुनाफा 1,300 करोड़ रुपये तक घट सकता है। कंपनी के वित्त प्रमुख जेनुइनो क्रिस्टिनो के अनुसार, अमेरिका को कनाडा से उच्च मूल्यवर्धित सामग्री की आपूर्ति बाधित होगी। इसका समाधान अमेरिका में विनिर्माण बढ़ाकर खोजा जा रहा है।
भारत बना रहेगा रणनीतिक केंद्र
टैरिफ के बावजूद विश्लेषकों का मानना है कि भारत में आईफोन निर्माण सस्ता और रणनीतिक रूप से फायदेमंद बना रहेगा। मार्च से मई के बीच फॉक्सकॉन ने भारत से 3.2 अरब डॉलर मूल्य के आईफोन अमेरिका को निर्यात किए हैं। अप्रैल-जून 2025 के बीच अमेरिका में बेचे गए 71% आईफोन भारत में बने थे।
प्रतिस्पर्धा बढ़ी, ऑर्डर रद्द होने की आशंका
वियतनाम और इंडोनेशिया जैसे देशों को अमेरिका द्वारा कम टैरिफ मिलने के कारण भारतीय वस्त्र उद्योग पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, ऑर्डर रद्द होने और कीमतों में कटौती जैसी स्थितियां उत्पन्न हो सकती हैं। हालांकि, परिधान निर्यात संवर्धन परिषद के अध्यक्ष सुधरी सेखरी का मानना है कि जब तक प्रतिस्पर्धी देशों पर टैरिफ नहीं घटता, भारत की स्थिति स्थिर बनी रहेगी।
मूल्य लाभ से टिकेगा भारत
भारतीय चावल निर्यातक महासंघ (IREF) के अनुसार, अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ को भारतीय चावल उद्योग के लिए अस्थायी बाधा माना जा रहा है। भारत अब भी वियतनाम, थाईलैंड और पाकिस्तान की तुलना में सस्ता विकल्प बना हुआ है। 2023-24 में अमेरिका को मात्र 2.34 लाख टन चावल निर्यात किया गया था, जबकि कुल वैश्विक निर्यात 52.4 लाख टन था।
अमेरिका में दवाएं महंगी
भारत अमेरिका की 47% दवा जरूरतें पूरी करता है। फार्मेक्सिल के अध्यक्ष नमित जोशी के अनुसार, टैरिफ के चलते दवाओं की लागत बढ़ेगी, बीमा कंपनियां प्रीमियम बढ़ा सकती हैं और मरीजों को अधिक कीमत चुकानी होगी। भारत से अमेरिकी बाजार को करीब 9 अरब डॉलर की दवाएं निर्यात की जाती हैं, जो कुल भारतीय निर्यात का 28% हिस्सा है। भारत से फार्मा कच्चे माल का अधिकांश हिस्सा अमेरिका में नहीं बनता, और वैकल्पिक स्रोतों के विकास में 3-5 साल लग सकते हैं।