चुनाव आयोग का बड़ा ऐलान: बिहार की तरह देशभर में होगा वोटर वेरिफिकेशन, जानिये नये नियम

चुनाव आयोग ने पूरे देश में मतदाता सूची का गहन पुनरीक्षण शुरू करने का फैसला किया है। यह फैसला बिहार में जारी पुनरीक्षण कार्य को लेकर हो रहे विपक्षी विरोध के बीच लिया गया है। आयोग का कहना है कि यह कदम संवैधानिक जिम्मेदारी के तहत लिया गया है और इससे चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता और सुरक्षा सुनिश्चित होगी।

Post Published By: Asmita Patel
Updated : 25 July 2025, 11:21 AM IST
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New Delhi: भारत के चुनाव आयोग (ECI) ने शुक्रवार को घोषणा की कि अब देशभर में मतदाता सूची का गहन पुनरीक्षण किया जाएगा। यह फैसला तब लिया गया है जब बिहार में चल रहे इसी तरह के अभियान को लेकर विपक्ष संसद से लेकर सड़क तक कड़ा विरोध कर रहा है। चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि यह निर्णय मतदाता सूची की शुद्धता, पारदर्शिता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए लिया गया है। इसके लिए जल्द ही एक आधिकारिक शेड्यूल जारी किया जाएगा।

24 जून को ही जारी हो चुका था आदेश

चुनाव आयोग ने इस संबंध में 24 जून 2025 को ही आदेश जारी कर दिया था। उस आदेश में कहा गया था कि संवैधानिक कर्तव्यों के तहत और मुक्त और निष्पक्ष चुनाव की बुनियाद बनाए रखने के लिए मतदाता सूची की अखंडता और शुद्धता अत्यंत आवश्यक है। आयोग ने जोर दिया कि जनप्रतिनिधित्व कानून, 1950 और रजिस्ट्रेशन ऑफ इलेक्टर्स रूल्स, 1960 के तहत यह कार्रवाई पूरी कानूनी प्रक्रिया के तहत की जा रही है।

एसआईआर पर क्यों हो रहा विवाद?

पिछले महीने, 24 जून को चुनाव आयोग ने विशेष मतदाता गहन पुनरीक्षण (SIR) का निर्देश जारी किया था। इसका मुख्य उद्देश्य मतदाता सूची में मौजूद फर्जी, मृत या पलायन कर चुके लोगों के नाम हटाना था। आयोग का कहना है कि यह प्रक्रिया मतदाता सूची की शुद्धता को सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है। हालांकि, विपक्षी पार्टियों का आरोप है कि चुनाव आयोग इस विशेष पुनरीक्षण के जरिए पिछले दरवाजे से लोगों की नागरिकता की जांच कर रहा है। विपक्ष का कहना है कि इसके तहत एक बड़ी संख्या में नागरिकों को मतदान का अधिकार छीना जा सकता है, विशेष रूप से अल्पसंख्यक वर्ग के लोगों को। चुनाव आयोग ने इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा है कि यदि किसी व्यक्ति का नाम मतदाता सूची से हटाया जाता है, तो इसका मतलब यह नहीं होगा कि उसकी नागरिकता समाप्त हो गई है। आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि संविधान और कानून के तहत उसे नागरिकता से जुड़े दस्तावेज मांगने का अधिकार है, ताकि मताधिकार सुनिश्चित किया जा सके।

बिहार में पुनरीक्षण पर विपक्ष का तीखा विरोध

बिहार में चुनाव आयोग द्वारा चलाए जा रहे वोटर लिस्ट पुनरीक्षण अभियान को लेकर विपक्षी दलों ने कड़ी नाराज़गी जताई है। उनका आरोप है कि इस प्रक्रिया की आड़ में जातीय और धार्मिक आधार पर वोटरों को टारगेट किया जा रहा है। राजद, जदयू और कांग्रेस जैसे दलों ने इसे “संविधान के खिलाफ” बताते हुए संसद में भी मुद्दा उठाया और कहा कि यह राजनीतिक उद्देश्य से प्रेरित है।

चुनाव आयोग का बयान

चुनाव आयोग ने  स्पष्ट किया कि यह संविधानिक कर्तव्य और मतदाता सूची की अखंडता को बनाए रखने के लिए किया जा रहा है। आयोग का कहना था कि निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव सुनिश्चित करने के लिए यह पुनरीक्षण जरूरी है, क्योंकि इसके द्वारा मतदाता सूची से फर्जी, अयोग्य, और डुप्लीकेट नामों को हटाया जाएगा। चुनाव आयोग का कहना है कि इस प्रक्रिया के तहत जनप्रतिनिधि कानून, 1950 और रजिस्ट्रेशन ऑफ इलेक्टोरल रूल्स, 1960 के तहत मतदाता सूची के मानकों का पालन किया जाएगा। आयोग ने यह भी कहा कि मतदाता सूची की अखंडता बनाए रखना निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव के लिए आवश्यक है।

विपक्ष की मांग- प्रक्रिया पर रोक लगाई जाए

विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग से इस प्रक्रिया पर तत्काल रोक लगाने की मांग की है और कहा है कि जब तक इस काम के लिए स्वतंत्र निगरानी तंत्र नहीं बनाया जाता, तब तक पुनरीक्षण नहीं होना चाहिए। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा, “यह पुनरीक्षण एक छुपा हुआ जनगणना और जातीय गणना का प्रयास हो सकता है। हमें इसकी नीयत पर शक है।”

देशव्यापी प्रक्रिया की तैयारी में जुटा आयोग

विवादों के बीच, चुनाव आयोग ने दोहराया है कि यह प्रक्रिया जल्द ही पूरे देश में शुरू की जाएगी और इसके लिए सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को निर्देश जारी किए जा चुके हैं। मतदाता सूची में सुधार, नए नाम जोड़ना, डुप्लिकेट नाम हटाना, और गलत जानकारी को सही करना इस अभियान का मुख्य उद्देश्य होगा। आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि मतदाताओं को इस प्रक्रिया में भाग लेने का पूरा अधिकार और सुविधा दी जाएगी।

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