

सुप्रीम कोर्ट ने ‘उदयपुर फाइल्स कन्हैया लाल टेलर मर्डर’ फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने की याचिका को दिल्ली हाईकोर्ट भेजने का संकेत दिया है। कोर्ट ने शुक्रवार को 10-15 मिनट सुनवाई कर आवश्यक आदेश देने की बात कही है। यह मामला धार्मिक संवेदनशीलता, फिल्म की प्रमाणन प्रक्रिया और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जैसे मुद्दों से जुड़ा है।
"कन्हैया लाल टेलर मर्डर" पर बनी "उदयपुर फाइल्स" की रिलीज पर संकट
New Delhi: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार 24 जुलाई 2025 को ‘उदयपुर फाइल्स कन्हैया लाल टेलर मर्डर’ फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने संबंधी याचिका को लेकर अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि यह मामला दिल्ली हाईकोर्ट को वापस भेजा जा सकता है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जे. बागची की बेंच ने शुक्रवार को 10 से 15 मिनट सुनवाई कर आवश्यक आदेश देने की बात कही है।
क्या है मामला?
यह फिल्म 2022 में उदयपुर में दर्जी कन्हैया लाल की हत्या पर आधारित है। आरोप है कि हत्या नूपुर शर्मा की पैगंबर मोहम्मद पर टिप्पणी का समर्थन करने के कारण की गई थी। घटना के बाद आरोपियों मोहम्मद रियाज और मोहम्मद गौस ने वीडियो जारी कर हत्या की जिम्मेदारी ली थी। मामला NIA द्वारा जांचा गया और फिलहाल जयपुर की विशेष अदालत में लंबित है।
फिल्म की रिलीज और विरोध
फिल्म निर्माता इसे 11 जुलाई 2025 को रिलीज करना चाहते थे। हालांकि, जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष अरशद मदनी ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर इसे रोकने की मांग की। कोर्ट ने फिल्म की रिलीज पर अस्थायी रोक लगा दी थी। याचिका में तर्क दिया गया कि फिल्म से समुदाय विशेष के खिलाफ माहौल खराब हो सकता है।
CBFC पर उठे सवाल
अरशद मदनी की ओर से सुप्रीम कोर्ट में तर्क दिया गया कि जिस समिति ने फिल्म को मंजूरी दी, उसके कई सदस्य सत्तारूढ़ राजनीतिक दल से जुड़े हैं। इस पर बेंच ने कहा कि ऐसा सभी सरकारों में होता है, इससे समिति की वैधता पर सवाल नहीं उठाए जा सकते। केंद्र सरकार ने पहले ही फिल्म के लिए 6 कट सुझाते हुए रिलीज की मंजूरी दी थी। सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि समिति ने अपने पुनरीक्षण अधिकार में यह निर्णय लिया।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियां
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फिल्म के कारण यदि किसी आरोपी की छवि खराब होती है, तो उसकी भरपाई संभव नहीं है, लेकिन इससे फिल्म निर्माता को आर्थिक लाभ हो सकता है। कोर्ट ने इस मुद्दे को गंभीर मानते हुए शुक्रवार को संक्षिप्त सुनवाई के बाद इसे दिल्ली हाईकोर्ट को भेजने का संकेत दिया।