थाईलैंड-कंबोडिया के बीच बढ़ा सीमा विवाद, दोनों देशों में रह रहे भारतीयों पर मंडराया खतरा

थाईलैंड और कंबोडिया के बीच लंबे समय से चला आ रहा सीमा तनाव अब खुली लड़ाई में बदल गया है। लैंडमाइन धमाके में थाई सैनिकों के घायल होने के बाद दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध बिगड़े और गुरुवार को सीमा पर भारी गोलीबारी शुरू हो गई। इस युद्ध जैसी स्थिति से थाईलैंड और कंबोडिया में रह रहे भारतीयों की सुरक्षा पर भी चिंता बढ़ गई है। थाईलैंड में करीब दो लाख और कंबोडिया में लगभग 5000 भारतीय रहते हैं।

Post Published By: Asmita Patel
Updated : 25 July 2025, 8:53 AM IST
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New Delhi: थाईलैंड और कंबोडिया के बीच दशकों पुराना सीमा विवाद अब युद्ध में बदल चुका है। गुरुवार सुबह दोनों देशों की सेनाओं के बीच सीमा पर भीषण गोलीबारी हुई। इससे पहले बुधवार को थाईलैंड के पांच सैनिक लैंडमाइन विस्फोट में घायल हो गए थे। इस घटनाक्रम से दोनों देशों के राजनयिक रिश्तों में खटास आई, और अब युद्ध जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है। इस संघर्ष के बीच दोनों देशों में रह रहे भारतीय समुदाय की सुरक्षा पर भी सवाल उठ रहे हैं।

कैसे शुरू हुआ युद्ध

बुधवार को कंबोडिया सीमा के पास एक लैंडमाइन धमाके में थाईलैंड के पांच सैनिक घायल हो गए। इस घटना के बाद थाईलैंड ने तीखी प्रतिक्रिया दी अपने राजदूत को कंबोडिया से वापस बुला लिया और कंबोडियाई राजदूत को निष्कासित कर दिया। इसके अगले ही दिन गुरुवार को दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने आ गईं और सीमा पर भीषण गोलीबारी हुई। ,स्थिति लगातार गंभीर हो रही है, और थाईलैंड ने अपनी सीमा पर F-16 फाइटर जेट्स की तैनाती कर दी है। कंबोडिया ने भी अपनी सेनाओं को अलर्ट मोड में रखा है।

थाईलैंड में भारतीयों की बड़ी आबादी

विदेश मंत्रालय के अनुसार, थाईलैंड में लगभग दो लाख भारतीय नागरिक रहते हैं। इनमें पंजाबी, सिंधी और तमिल समुदाय के लोग प्रमुख हैं। थाईलैंड लंबे समय से भारतीयों के लिए व्यापार, नौकरी और पर्यटन का पसंदीदा स्थल रहा है। यहां हर साल लाखों भारतीय सैलानी भी पहुंचते हैं। थाईलैंड की टूरिज्म अथॉरिटी के मुताबिक, साल 2024 में करीब 21 लाख भारतीय पर्यटक थाईलैंड पहुंचे थे। इस आंकड़े से यह स्पष्ट होता है कि भारत और थाईलैंड के बीच गहरे सामाजिक और सांस्कृतिक संबंध हैं।

कंबोडिया में कम संख्या में हैं भारतीय

कंबोडिया में करीब 5000 भारतीय रह रहे हैं। भारतीय दूतावास की रिपोर्ट बताती है कि यहां भारतीय समुदाय ने अपना विशेष स्थान बना लिया है। होली, दिवाली, मकर संक्रांति जैसे त्योहार पूरे उत्साह से मनाए जाते हैं। व्यापार, टेक्नोलॉजी और शिक्षा के क्षेत्र में भारतीयों की भागीदारी यहां steadily बढ़ रही है। हालांकि संख्या कम है, फिर भी भारतीयों की उपस्थिति कंबोडिया की संस्कृति और स्थानीय समुदाय में दिखाई देती है।

युद्ध के हालात में भारतीय समुदाय की सुरक्षा पर चिंता

दोनों देशों के बीच तनाव युद्ध की ओर बढ़ रहा है, जिससे वहां रह रहे भारतीय नागरिकों की सुरक्षा चिंता का विषय बन गई है। भारत सरकार और संबंधित दूतावास स्थिति पर नज़र रखे हुए हैं। उम्मीद की जा रही है कि हालात और न बिगड़ें, लेकिन सीमा पर लगातार बढ़ते सैन्य तनाव ने स्थिति को अनिश्चित बना दिया है।

भारत सरकार की भूमिका अहम

इस संवेदनशील समय में भारत सरकार से यह उम्मीद की जा रही है कि वह दोहरे स्तर पर कार्रवाई करे एक ओर दोनों देशों के साथ राजनयिक बातचीत के ज़रिए तनाव कम करने की कोशिश करे, और दूसरी ओर वहां रह रहे भारतीयों की सुरक्षा और आपातकालीन निकासी योजना तैयार रखे। भारत ने अतीत में भी संकट के समय जैसे यूक्रेन और सूडान में अपने नागरिकों को सफलतापूर्वक निकाला है। ऐसे में यहां भी "ऑपरेशन गंगा" या "ऑपरेशन कावेरी" जैसे प्रयासों की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।

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