भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौता: महिलाओं को वैश्विक बाजार में मिलेगी पहचान, आएगा नया अवसर

भारत और ब्रिटेन ने गुरुवार को एक ऐतिहासिक मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर हस्ताक्षर किए, जिससे भारतीय महिलाओं को वैश्विक बाजार से जुड़ने और अंतरराष्ट्रीय पहचान पाने का बड़ा अवसर मिलेगा। यह समझौता पारंपरिक शिल्प, टेक स्टार्टअप, हैंडलूम, चमड़ा और एमएसएमई क्षेत्रों में कार्यरत महिलाओं के लिए आत्मनिर्भरता और आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में मील का पत्थर माना जा रहा है।

Post Published By: Asmita Patel
Updated : 25 July 2025, 8:33 AM IST
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New Delhi: भारत-ब्रिटेन एफटीए के जरिए भारतीय महिलाओं को अब यूके के 23 अरब डॉलर के बाजार में कपड़ा, चमड़ा, जूते जैसे उत्पाद शुल्क-मुक्त निर्यात करने की सुविधा मिलेगी। इससे न केवल उनकी आय बढ़ेगी, बल्कि वे बांग्लादेश, पाकिस्तान और कंबोडिया जैसे देशों से होड़ में भी आ सकेंगी। भारत के कांचीपुरम, जयपुर, भागलपुर और वाराणसी जैसे शहरों की महिलाएं, जो बुनाई, कढ़ाई, रंगाई और डिजाइन के कार्यों में संलग्न हैं, अब अंतरराष्ट्रीय फैशन व डिजाइन बाजार में अपनी पहचान बना पाएंगी।

कोल्हापुरी चप्पल को मिलेगा अंतरराष्ट्रीय मंच

एफटीए के तहत महाराष्ट्र की प्रसिद्ध कोल्हापुरी चप्पल, जो पारंपरिक रूप से महिलाओं द्वारा हाथ से बनाई जाती हैं, अब यूके के प्रीमियम बाजार में बिना किसी शुल्क के बेची जा सकेंगी। इससे महिलाओं की आय में वृद्धि के साथ-साथ इस सांस्कृतिक उत्पाद को वैश्विक मान्यता भी मिलेगी।

महिलाओं को सशक्त बनाएगा एफटीए

महिला-नेतृत्व वाले एमएसएमई को लाभ

गुजरात, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में महिला-नेतृत्व वाले एमएसएमई को अब व्यापारिक प्रशिक्षण, वित्तीय सहयोग और सरल नियमों का लाभ मिलेगा। ये उद्यम अब अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा के लिए अधिक तैयार हो सकेंगे। वाराणसी के करघों से लेकर बंगलूरू के स्टार्टअप्स तक यह समझौता भारतीय महिलाओं को वैश्विक व्यापार में नेतृत्व का अवसर देता है।

ब्रिटेन को मिलेगी सीमित वाहन छूट

एफटीए के तहत ब्रिटिश वाहन कंपनियों को भारत में केवल बड़ी पेट्रोल-डीजल गाड़ियों और महंगे ई-वाहनों पर ही शुल्क में रियायत मिलेगी। छोटे और मझोले वाहन, जो घरेलू बाजार के लिए अहम हैं, उन पर कोई छूट नहीं दी जाएगी। इससे भारतीय वाहन उद्योग को सुरक्षा मिलेगी और उन्हें नवाचार व विस्तार का समय मिलेगा। शुल्क में कटौती पांच साल में 10% तक की जाएगी, जबकि अधिक इंजन क्षमता वाले वाहनों पर ही यह छूट लागू होगी। 10 वर्षों में कोटा से बाहर आयात पर शुल्क में 50% तक की कटौती की योजना है।

93.5 लाख से सस्ते वाहनों को नहीं मिलेगी राहत

जो ब्रिटिश वाहन 40,000 पाउंड (लगभग 46.5 लाख रुपये) से कम कीमत के होंगे, उन्हें कोई बाजार पहुंच नहीं मिलेगी। इससे यह सुनिश्चित किया गया है कि भारतीय इलेक्ट्रिक वाहन बाजार को सुरक्षा मिले और वह अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में नेतृत्व पा सके। ईवी में छूट केवल 80,000 पाउंड (लगभग 93.5 लाख रुपये) से महंगे वाहनों को ही दी जाएगी।

ब्रिटिश आयात में 60% बढ़ोतरी का अनुमान

ब्रिटिश अधिकारियों का मानना है कि एफटीए के चलते भारत को होने वाला ब्रिटिश निर्यात 60% तक बढ़ सकता है। यह समझौता सरकारी खरीद क्षेत्र को भी खोलता है, जिससे ब्रिटिश कंपनियां भारत में सरकारी अनुबंधों के लिए बोली लगा सकेंगी। साथ ही ब्रिटिश वित्तीय कंपनियों को भारतीय कंपनियों के समान व्यवहार मिलेगा।

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