ईसी ने ‘वोट चोरी’ आरोपों को किया खारिज: 65 लाख वोटरों की सूची की सार्वजनिक, इस लिंक से ढूंढ़े अपनी जानकारी

भारत निर्वाचन आयोग ने बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान के तहत हटाए गए 65 लाख वोटरों की सूची को सार्वजनिक कर दिया है। आयोग की वेबसाइट पर सोमवार सुबह यह सूची उपलब्ध करा दी गई, ताकि पारदर्शिता बनी रहे और मतदाता स्वयं यह देख सकें कि उनका नाम क्यों हटाया गया है।

Post Published By: Asmita Patel
Updated : 18 August 2025, 10:37 AM IST
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New Delhi: 1 अगस्त को जब ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी की गई, तब उसमें 65 लाख नाम शामिल नहीं थे। इसके बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी और बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया कि यह “सुनियोजित वोट चोरी” है, जो खास वर्गों को चुनाव प्रक्रिया से बाहर रखने का प्रयास है। इसी मुद्दे को लेकर रविवार से दोनों नेता राज्यभर की यात्रा पर निकले। उनके अनुसार, चुनाव आयोग का यह कदम लोकतंत्र पर हमला है और इसने करोड़ों मतदाताओं का अधिकार छीनने का काम किया है। हालांकि, जिस दिन विपक्ष ने यह यात्रा शुरू की, उसी दिन मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ने दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन कर इन आरोपों को सिरे से खारिज किया। उन्होंने कहा, "विशेष गहन पुनरीक्षण एक नियमित प्रक्रिया है, जो हर राज्य में समय-समय पर होती है। इसमें मृत, डुप्लिकेट और स्थानांतरित मतदाताओं को सूची से हटाया जाता है।"

आयोग की पारदर्शिता: सूची हुई सार्वजनिक

चुनाव आयोग ने अब https://ceoelection.bihar.gov.in/index.html लिंक पर उन सभी 65 लाख हटाए गए मतदाताओं की सूची सार्वजनिक कर दी है। यह कदम न सिर्फ विपक्ष के आरोपों का जवाब है, बल्कि यह मतदाता सुधार प्रक्रिया में पारदर्शिता को दर्शाता है। बिहार के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय के अनुसार, इस सूची में हर वह मतदाता शामिल है जिसे किसी कारणवश मतदाता सूची से हटाया गया- जैसे कि मृत्यु, स्थानांतरण, दोहरी प्रविष्टि या फर्जी नाम। आयोग ने स्पष्ट किया है कि यह एक ड्राफ्ट लिस्ट है, और इसके खिलाफ दावा-आपत्ति की प्रक्रिया पहले से चल रही है।

आपत्ति दर्ज कराने की प्रक्रिया जारी

भारत निर्वाचन आयोग ने बताया कि इस सूची में जिनका नाम है, वे दावा और आपत्ति दर्ज करा सकते हैं। इसके लिए मतदाता आयोग की वेबसाइट पर जाकर अपनी जानकारी देख सकते हैं। निर्धारित प्रपत्र भरकर संबंधित बीएलओ (Booth Level Officer) या निर्वाचन कार्यालय में जमा कर सकते हैं। आयोग ने 30 अगस्त तक आपत्तियां दर्ज करने की समयसीमा तय की है। यह भी स्पष्ट किया गया है कि यदि किसी का नाम गलत तरीके से हटाया गया है, तो जांच के बाद उन्हें पुनः सूची में शामिल किया जाएगा।

तकनीकी रूप से पारदर्शी प्रक्रिया

भारत निर्वाचन आयोग ने कहा है कि विशेष गहन पुनरीक्षण डिजिटल और भौतिक दोनों माध्यमों से किया गया था। इसमें आधार नंबर से लिंक की गई प्रविष्टियों की जांच, डुप्लिकेट प्रविष्टियों को हटाने के लिए सॉफ़्टवेयर की सहायता और बीएलओ द्वारा घर-घर जाकर सत्यापन किया जाएगा। हालांकि आयोग ने स्थिति स्पष्ट करने की पूरी कोशिश की है, लेकिन विपक्षी दल अब भी संतुष्ट नहीं दिख रहे हैं। कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने संयुक्त बयान में कहा कि “65 लाख नाम हटाना साधारण प्रक्रिया नहीं हो सकती,” और इसे "राजनीतिक साजिश" बताया। तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया कि जिन इलाकों में परंपरागत रूप से विपक्ष को समर्थन मिलता रहा है, वहीं से सबसे अधिक नाम हटाए गए हैं। वहीं, राहुल गांधी ने कहा कि "यह लोकतंत्र का गला घोंटने जैसा है।" इन राजनीतिक आरोपों के बीच आयोग की इस पारदर्शिता को कई स्वतंत्र चुनाव विशेषज्ञों ने सकारात्मक कदम माना है।

अब क्या होगा आगे?

विशेषज्ञों का मानना है कि सूची को सार्वजनिक करना जनमत नियंत्रण का सबसे प्रभावी तरीका है। इससे एक ओर पारदर्शिता बनी रहती है, तो दूसरी ओर मतदाता खुद यह जांच सकते हैं कि उनका नाम हटाया गया है या नहीं। आयोग द्वारा जारी सूची पर आपत्ति दर्ज कराने की प्रक्रिया पहले से ही सक्रिय है, और आगामी कुछ सप्ताहों में यह स्पष्ट हो जाएगा कि इनमें से कितने मामलों में सुधार की जरूरत है।

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