DN Exclusive: स्पीड बनाम सत्य…आधुनिक मीडिया की खतरनाक होड़, नंबर वन की जल्दबाजी में….

आधुनिकता के युग में सभी लोग तेजी के साथ आगे निकलना चाहते हैं। वह ये नहीं देखते हैं कि उनकी जल्दबाजी के चक्कर में कोई बड़ा हादसा हो सकता है और जिसके लिए उन्हें हमेशा पछताना पड़ सकता है। ये जल्दबाजी में आगे पहुंचने की होड़ भी एक सड़क दुर्घटना की तरह ही है। भारत एक बड़ा लोकतांत्रिक देश है..और लोकतांत्रिक देश में मीडिया के बहुत ही ज्यादा मायने होते हैं।

Updated : 28 November 2025, 6:47 PM IST
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New Delhi: आधुनिकता के युग में सभी लोग तेजी के साथ आगे निकलना चाहते हैं। वह ये नहीं देखते हैं कि उनकी जल्दबाजी के चक्कर में कोई बड़ा हादसा हो सकता है और जिसके लिए उन्हें हमेशा पछताना पड़ सकता है। ये जल्दबाजी में आगे पहुंचने की होड़ भी एक सड़क दुर्घटना की तरह ही है। जिसका पता कोई बड़ा हादसा होने के बाद ही चलता है। अभी कुछ दिनों पहले भारतीय मीडिया की तरफ से एक दिग्गज अभिनेता के निधन की खबर को चलाया गया। जिसके बाद उनके करीबी और चाहने वालों में शौक की लहर दौड़ गई। हालांकि कुछ देर बाद पता चला कि वह जिंदा है।और उनका किसी निजी अस्पताल में इलाज चल रहा है।

“आधुनिक युग में दौड़ती मीडिया”

वहीं अभिनेता के निधन की झूठी अफवाह के बारे में जब उनके परिजनों को पता चला तो उन्होंने बहुत ही ज्यादा निराशा जाहिर की..और साथ ही सोशल मीडिया के माध्यम से पोस्ट करके मीडिया चैनलों को जमकर फटकार भी लगाई.. भारत एक बड़ा लोकतांत्रिक देश है..और लोकतांत्रिक देश में मीडिया के बहुत ही ज्यादा मायने होते हैं। मीडिया को एक समाजिक दर्पण के तौर पर देखा जाता है। और एक विश्वासपात्र माना जाता है। लेकिन हाल ही में कुछ सालों से देखने को मिल रहा है कि देश के चौथे स्तंभ कहे जाने वाले मीडिया समूह में बहुत सी खामियां देखने को मिल रही है। जिसके चलते पहले की तुलना में इस पर आम जनता का भरोसा कम होता जा रहा है। दरअसल आधुनिकता के दौर में सब लोग तेजी के साथ भाग रहें हैं। वहीं मीडिया भी इसी शैली पर चलते हुए अपने कार्यशैली में काफी बदलाव ले आया है।

मीडिया एजेंसियां जल्दबाजी और नंबर वन...

पहले समाचार चैनल किसी खबर की पुष्टि होने तक उसे प्रसारित नहीं करते थे। उन्हें भले ही कोई बड़ी घटना की जानकारी देने में कितना ही वक्त लग जाता था। लेकिन वो खबर के प्रमाणित होने तक उसे प्रसारित नहीं करते थे। लेकिन आज समाचार चैनल और मीडिया एजेंसियां जल्दबाजी और नंबर वन बनने के चक्कर में कई बार किसी खबर की सही से जांच किए बिना ही प्रसारित कर देती हैं।ऐसा नहीं है कि यह हर कोई कर रहा है। लेकिन जो लोग करते हैं.. उनके चलते पूरा संगठन शक के घेरे में आ जाता है और आम लोगों में पत्रकारिता की छवि धूमिल और कमजोर होने लगती है।

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जनता की आवाज बनने वाली संस्था

मीडिया एक जागरुक समाज की आक्सीजन की तरह होती है। जो जनता की समस्याओं और महत्वपूर्ण जानकारी को आदान-प्रदान करने में अहम भूमिका निभाती है। अगर किसी देश का मीडिया तंत्र कमजोर होने लगेगा..तो देश की जनता में निराशा का भाव पनपने लगेगा..और फिर जिसके चलते कहीं न कहीं लोकतंत्र की आत्मीयता को भी क्षति पहुंचेगी। इसलिए हमारी बुद्दिजीवी और जनता की आवाज बनने वाली संस्था यानी मीडिया का दायित्व बनता है कि वह इस तरह की चूक करने से बचें.. और आम जनमानसा की चेतना में अपना वो ही स्थान बरकरार रखें..जिसकी अपेक्षा एक आम नागरिक करता है।

Location : 
  • Delhi

Published : 
  • 28 November 2025, 6:47 PM IST