UP SIR पर विवाद बढ़ा: सपा विधायक पल्लवी पटेल बोलीं- दलित और पिछड़ों के नाम काटने की साजिश

यूपी में चल रहे SIR अभियान को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। सपा विधायक पल्लवी पटेल ने SIR फॉर्म न भरने का ऐलान करते हुए इसे लोकतंत्र पर हमला बताया। दूसरी ओर BLO कर्मचारियों पर दबाव और लगातार हो रही मौतों ने इस प्रक्रिया को लेकर कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

Post Published By: Mayank Tawer
Updated : 28 November 2025, 7:29 PM IST
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Lucknow: यूपी में चल रहे SIR (Special Intensive Revision) अभियान को लेकर विरोध लगातार बढ़ता जा रहा है। इसी कड़ी में शुक्रवार को समाजवादी पार्टी की विधायक पल्लवी पटेल ने गोंडा दौरे के दौरान SIR का खुलकर विरोध किया और इसे लोकतंत्र पर हमला बताया। उन्होंने साफ कहा कि उन्होंने अब तक अपना SIR फॉर्म नहीं भरा है और आगे भी नहीं भरेंगी।

“अब मुझे कैसे वोट डालने से रोका जाएगा?”

सिराथू से सपा विधायक पल्लवी पटेल ने कहा कि उनके पास सारे वैध दस्तावेज मौजूद हैं, इसलिए उन्हें मतदाता पुनरीक्षण फॉर्म भरने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने सवाल उठाया कि जीवनभर मतदान करने वाले व्यक्ति से अचानक नए सिरे से फॉर्म भरवाने की जरूरत क्यों पड़ रही है। उन्होंने कहा, “मैं यहां की नागरिक हूं। मेरे पास सभी दस्तावेज मौजूद हैं। फिर मुझे फॉर्म क्यों भरना चाहिए? मैंने आज तक अपना वोट दिया है। अब मुझे कैसे वोट डालने से रोका जाएगा?”

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विधायक पल्लवी की अपील

विधायक पल्लवी ने मतदाताओं से भी अपनी राय रखने की अपील की। उन्होंने कहा कि यदि किसी को SIR फॉर्म समझ में आता है और वह इसे सही मानता है तो भरें, अन्यथा इसे भरना आवश्यक नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस प्रक्रिया के जरिए गरीब, दलित और पिछड़े वर्गों के मतदाताओं के नाम सूची से हटाए जाने की आशंका है। उनके अनुसार, यह मतदाता सूची को शुद्ध करने के बजाय लोकतंत्र को कमजोर करने वाला कदम है।

SIR को राजनीति का “जुमला” बताया

पल्लवी पटेल ने SIR की तुलना महिला आरक्षण कानून से की। उन्होंने कहा कि जिस तरह महिला आरक्षण की घोषणा कागजों में की गई थी, लेकिन उसे जमीन पर लागू नहीं किया गया, उसी तरह SIR भी केवल राजनीति का “जुमला” है। उन्होंने आरोप लगाया कि जहां-जहां चुनाव नजदीक हैं या जहां सत्ताधारी दल को सीटों की अधिक जरूरत है, वहां SIR को तेजी से लागू कराया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि SIR प्रक्रिया में शामिल BLO और अन्य कर्मचारियों पर अत्यधिक दबाव डाला जा रहा है, जो अमानवीय है।

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BLO की पीड़ा भी सामने आई

उधर, SIR अभियान की अवधि 15 दिन बढ़ाने की मांग के बीच मथुरा के वृंदावन क्षेत्र की एक महिला BLO ने अपनी व्यथा बताई। प्राथमिक विद्यालय में तैनात शिक्षिका अनिशा ने बताया कि राजनीतिक दलों के बूथ लेवल एजेंट (BLA) लगातार उन्हें परेशान कर रहे हैं और अत्यधिक दबाव बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि वह अपने तीन बच्चों को पिछले 12 दिनों से दादा-दादी के पास छोड़कर लगातार इस काम में लगी हैं और घर पर खाना बनाने तक का समय नहीं मिल पा रहा है।

4 कर्मचारी SIR ड्यूटी में जान गंवा चुके

  1. फतेहपुर के एक लेखपाल और गोंडा के एक शिक्षक ने आत्महत्या की।
  2. लखनऊ में एक शिक्षामित्र की ब्रेन हेमरेज से मौत हुई।
  3. बरेली में एक BLO की हार्ट अटैक से जान चली गई।

इसके अलावा नोएडा की दो महिला शिक्षिकाओं ने काम के बढ़ते दबाव के कारण इस्तीफा दे दिया था। वहीं गाजियाबाद में लापरवाही बरतने पर 21 BLO के खिलाफ FIR दर्ज की गई है।

राज्य में चल रहा SIR अभियान अब एक प्रशासनिक प्रक्रिया से आगे बढ़कर राजनीतिक विवाद और सरकारी कर्मचारियों के कामकाज के बोझ जैसे गंभीर मुद्दों में बदल चुका है। आगामी दिनों में विपक्ष के साथ-साथ कर्मचारी संगठन भी इस पर बड़ा आंदोलन खड़ा कर सकते हैं।

Location : 
  • Lucknow

Published : 
  • 28 November 2025, 7:29 PM IST