

सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल 2025 में सीबीआई को 7 प्रीलिमिनरी इन्क्वायरी शुरू करने का आदेश दिया था। तीन महीनों के भीतर 6 इन्क्वायरी पूरी कर सीबीआई ने कोर्ट में रिपोर्ट सौंपी, जिसके बाद छापेमारी की कार्रवाई शुरू हुई। इससे पहले सीबीआई ने नोएडा और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी से संबंधित दस्तावेज हासिल किए थे, जिनमें कई अनियमितताएं पाई गई थी।
CBI Action in Delhi, Noida and NCR
Noida News: दिल्ली-एनसीआर में हजारों फ्लैट खरीदारों से धोखाधड़ी करने वाले बिल्डरों और वित्तीय संस्थानों के खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने एक बड़ा अभियान चलाया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर यह कार्रवाई की गई। जिसके तहत सीबीआई ने 22 एफआईआर दर्ज की हैं। जिसके अनुसार दिल्ली, गुरुग्राम, नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद के कुल 47 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की गई।
क्या है मामला?
यह मामला सबवेंशन स्कीम घोटाले से जुड़ा है, जिसमें बिल्डरों ने कुछ वित्तीय संस्थानों के साथ मिलकर हज़ारों होम बायर्स को ठगा। इस योजना के तहत बिल्डर प्रॉजेक्ट के लिए बैंक से लोन दिलवाते थे और शर्त होती थी कि जब तक फ्लैट का कब्जा नहीं मिल जाता, तब तक ईएमआई बिल्डर भरेगा। लेकिन कुछ समय बाद बिल्डरों ने ईएमआई देना बंद कर दिया और प्रोजेक्ट अधूरे छोड़ दिए, जिससे खरीदारों को दोहरी मार झेलनी पड़ी न घर मिला, न ही बैंक का कर्ज माफ हुआ। सीबीआई ने इन मामलों में बिल्डरों और बैंकों की साठगांठ को उजागर करते हुए कुल 22 केस दर्ज किए हैं। तलाशी के दौरान कई आपत्तिजनक दस्तावेज और डिजिटल साक्ष्य भी बरामद हुए हैं।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर कार्रवाई
सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल 2025 में सीबीआई को 7 प्रीलिमिनरी इन्क्वायरी शुरू करने का आदेश दिया था। तीन महीनों के भीतर 6 इन्क्वायरी पूरी कर सीबीआई ने कोर्ट में रिपोर्ट सौंपी, जिसके बाद छापेमारी की कार्रवाई शुरू हुई। इससे पहले सीबीआई ने नोएडा और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी से संबंधित दस्तावेज हासिल किए थे, जिनमें कई अनियमितताएं पाई गई थी।
2014 में शुरू हुई थी सबवेंशन स्कीम
इस योजना की शुरुआत 2014 के आसपास हुई थी। कुछ बिल्डरों ने फर्जी दस्तावेजों के जरिए बैंकों से बिना वैध मूल्यांकन और निरीक्षण के लोन पास करवाया। अधिकारियों के मुताबिक, बिल्डर और बैंकों के बीच एक गैर-लिखित समझौते के तहत लोन की पूरी राशि बिल्डर को दे दी जाती थी। शुरुआत में बिल्डर ने ईएमआई दी, लेकिन प्रोजेक्ट अधूरे छोड़ने के बाद उन्होंने भुगतान बंद कर दिया और खरीदारों को न फ्लैट मिला, न राहत। इस वजह से हजारों खरीदार डिफॉल्टर हो गए और अब कोर्ट-कचहरी के चक्कर काट रहे हैं।
40 प्रोजेक्ट्स के बायर्स हुए डिफॉल्टर
नोएडा और ग्रेटर नोएडा समेत एनसीआर की करीब 40 परियोजनाएं इस धोखाधड़ी का हिस्सा हैं। हजारों फ्लैट खरीदार वर्षों से अपने घर का इंतजार कर रहे हैं। सीबीआई अब स्पोर्ट्स सिटी घोटाले की भी जांच कर रही है, जिसमें सेक्टर-78, 79, 150 और 152 में किए गए भूखंड आवंटन की जांच की जा रही है। सीबीआई ने इन स्थानों का ड्रोन सर्वे भी कराया है।
किन बिल्डरों पर दर्ज हुई एफआईआर