

थाईलैंड और कंबोडिया के बीच लंबे समय से चले आ रहे सीमा विवाद ने एक बार फिर हिंसक रूप ले लिया है। भारी गोलीबारी और तोपों की आवाज़ों से सीमावर्ती इलाकों में दहशत का माहौल है। अब तक 19 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि सैकड़ों घायल हुए हैं। भारत ने अपने नागरिकों के लिए कड़ी यात्रा चेतावनी जारी की है।
थाईलैंड-कंबोडिया युद्ध (Img: Google)
New Delhi: थाईलैंड और कंबोडिया के बीच सीमा विवाद एक बार फिर उग्र हो गया है। बीते दो दिनों से दोनों देशों की सेनाओं के बीच तीव्र गोलीबारी चल रही है, जिसमें अब तक 19 लोगों की जान जा चुकी है और सैकड़ों घायल हुए हैं। इस बीच कंबोडिया ने संयुक्त राष्ट्र से तुरंत और बिना शर्त संघर्षविराम की अपील की है, वहीं थाईलैंड ने भी शांति वार्ता के संकेत दिए हैं।
संघर्ष की शुरुआत और हालात
दरअसल, बुधवार, 23 जुलाई को सीमा क्षेत्र में एक लैंडमाइन विस्फोट में पांच थाई सैनिक घायल हो गए थे। इसके बाद गुरुवार से हालात बिगड़ते चले गए। शुक्रवार की सुबह तीन अलग-अलग इलाकों में भारी गोलीबारी की खबरें आईं। कंबोडिया ने रूसी BM-21 रॉकेट सिस्टम और फील्ड आर्टिलरी का उपयोग करते हुए थाई ठिकानों पर हमला किया। जवाब में थाईलैंड की सेना ने भी जबरदस्त पलटवार किया।
घायल नागरिक अस्पताल में भर्ती
थाई स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, मरने वालों की संख्या 19 तक पहुंच चुकी है, जिसमें 14 आम नागरिक और एक सैनिक शामिल हैं। बाकी मृतकों की पहचान जारी है। करीब 1.38 लाख लोगों को सीमा क्षेत्रों से निकालकर सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया है। घायल नागरिकों को निकटवर्ती अस्पतालों में भर्ती कराया गया है।
भारत ने जारी की एडवाइजरी
वहीं उपजे हालात को देखते हुए भारत सरकार ने अपने नागरिकों को सतर्क रहने और सीमा क्षेत्रों से दूर रहने की सलाह दी है। कंबोडिया की राजधानी फ्नोम पेन्ह स्थित भारतीय दूतावास ने शुक्रवार, 25 जुलाई को एडवाइजरी जारी करते हुए भारतीय नागरिकों से कहा है कि वे थाई-कंबोडिया सीमा की ओर यात्रा न करें। अगर किसी को आपातकालीन मदद की आवश्यकता हो, तो वह दूतावास से संपर्क कर सकता है।
फोन: +855 92881676
ईमेल: cons.phnompenh@mea.gov.in
संयुक्त राष्ट्र और ASEAN की भूमिका
कंबोडिया ने संयुक्त राष्ट्र में औपचारिक अपील करते हुए कहा है कि वह युद्ध नहीं चाहता और शांति चाहता है। उसके राजदूत चिआ केओ ने कहा, "हम एक छोटा देश हैं, हमारे पास बड़ी सैन्य ताकत नहीं है। हम सिर्फ संघर्षविराम चाहते हैं।" इसी बीच ASEAN अध्यक्ष मलेशिया ने मध्यस्थता की पेशकश की है। मलेशियाई प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम ने बताया कि दोनों देशों ने संघर्षविराम पर सैद्धांतिक सहमति दी है, लेकिन उसे लागू करने में समय लग सकता है।
क्या है मूल विवाद का केंद्र?
सीमा विवाद की जड़ एक प्राचीन 7वीं शताब्दी का हिंदू मंदिर है, जिस पर दोनों देशों का दावा है। 2013 में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने यह मंदिर कंबोडिया को सौंपने का फैसला सुनाया था, लेकिन थाईलैंड की सेना अब भी वहां मौजूद है। इसी को लेकर तनाव बार-बार भड़क उठता है।
थाईलैंड ने कंबोडिया पर आम नागरिकों के ढांचे जैसे अस्पताल और पेट्रोल पंप को निशाना बनाने का आरोप लगाया है। वहीं, कंबोडिया का कहना है कि थाई सेना ने पहले फायरिंग शुरू की थी। थाईलैंड के कार्यवाहक प्रधानमंत्री ने चेतावनी दी है कि अगर स्थिति नहीं सुधरी, तो यह झड़प व्यापक युद्ध में बदल सकती है। हालांकि फिलहाल झड़प सीमित क्षेत्र तक ही है।
गौरतलब है कि थाईलैंड और कंबोडिया के बीच यह पुराना विवाद एक बार फिर भयानक रूप लेता नजर आ रहा है। ऐसे में क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं की सक्रिय भूमिका ही शांति बहाली का रास्ता बन सकती है। भारत सहित अन्य देशों ने नागरिकों की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता जताई है और शांति की अपील की है।