

यमन की जेल में बंद भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को फांसी की सजा सुनाई गई है। इस मामले को लेकर भारत में हलचल मच गई है और ‘सेव निमिषा प्रिया एक्शन काउंसिल’ ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर भारत सरकार से हस्तक्षेप की मांग की है।
निमिषा को 6 दिन बाद यमन में होगी फांसी
New Delhi: यमन की जेल में बंद भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को फांसी की सजा सुनाई गई है और इसे टालने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता को मिली जानकारी के अनुसार, याचिका में भारत सरकार से निमिषा के मामले में हस्तक्षेप की मांग की गई है, ताकि उसे फांसी से बचाया जा सके।
यमन के कानून में मृतक परिवार से माफी की संभावना: वकील का दावा
यह याचिका 'सेव निमिषा प्रिया एक्शन काउंसिल' नामक संस्था द्वारा दायर की गई थी। संस्था की ओर से वरिष्ठ वकील आर बसंत ने मामले की सुनवाई जस्टिस सुधांशु धूलिया और जॉयमाल्या बागची की बेंच के सामने रखी। वकील ने बताया कि यमन के कानून के अनुसार मृतक के परिवार से माफी प्राप्त करने पर हत्यारे को माफ किया जा सकता है और इस कारण भारत सरकार का हस्तक्षेप समाधान निकाल सकता है।
निमिषा प्रिया पर क्या हैं आरोप?
निमिषा प्रिया पर यमन के नागरिक तलाल अब्दो महदी की हत्या का आरोप है। महदी की हत्या 2017 में हुई थी, और 2020 में यमन अदालत ने निमिषा को फांसी की सजा सुनाई। याचिका दाखिल करने वाली संस्था का दावा है कि निमिषा खुद एक पीड़िता है। उसे महदी द्वारा लगातार शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना झेलनी पड़ी थी, और महदी ने उसका पासपोर्ट अवैध रूप से ज़ब्त कर रखा था।
"निमिषा की हत्या का इरादा नहीं था"
याचिका दायर करने वाले संस्था के प्रतिनिधियों ने यह भी दावा किया कि महदी के पासपोर्ट को अवैध रूप से जब्त किए जाने के दौरान, निमिषा ने कानूनी मदद प्राप्त करने की कोशिश की थी, लेकिन वह असफल रही। इस दौरान निमिषा ने अपना पासपोर्ट वापस प्राप्त करने के लिए महदी को नींद की दवा दी थी, जिसके कारण महदी की मौत हो गई। याचिकाकर्ता ने जोर देकर कहा कि निमिषा का हत्या का कोई इरादा नहीं था।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की तारीख
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई 14 जुलाई को तय की है। यह सुनवाई निमिषा के भविष्य के लिए बेहद अहम साबित हो सकती है। याचिकाकर्ता की तरफ से भारत सरकार से मामले में हस्तक्षेप की मांग की गई है, ताकि निमिषा को फांसी की सजा से बचाया जा सके।