छह राज्यों में फैले अवैध धर्मांतरण नेटवर्क, राष्ट्रीय सुरक्षा पर बड़ा सवाल, पढ़ें पूरी खबर

उत्तर प्रदेश पुलिस ने “मिशन अस्मिता” के तहत एक संगठित अवैध धर्मांतरण गिरोह का पर्दाफाश किया है। आगरा से शुरू हुई जांच ने छह राज्यों में फैले नेटवर्क, कट्टरपंथी एजेंडे और संभावित आतंकी संपर्कों की परतें खोल दी हैं। यह मामला सिर्फ धार्मिक परिवर्तन नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा का गंभीर मामला बन गया है।

Post Published By: Asmita Patel
Updated : 21 July 2025, 9:49 AM IST
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Lucknow News: उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले के छांगुर उर्फ जमालुद्दीन के मामले में कार्रवाई अभी चल ही रही थी कि इस बीच एक और बड़ा खुलासा सामने आया। प्रदेश पुलिस ने एक संगठित और खतरनाक अवैध धर्मांतरण नेटवर्क का पर्दाफाश किया है, जो न सिर्फ यूपी बल्कि छह अन्य राज्यों में भी फैला हुआ था।

पुलिस की यह कार्रवाई "मिशन अस्मिता" के तहत हुई, जिसके दौरान दस आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। यह मामला तब सामने आया जब मार्च में आगरा से दो बहनें लापता हुईं। जांच के दौरान यह साफ हुआ कि यह कोई सामान्य अपहरण नहीं बल्कि एक गहरी साजिश का हिस्सा था।

राष्ट्रीय सुरक्षा पर बड़ा खतरा

यह नेटवर्क केवल धर्म परिवर्तन तक सीमित नहीं था। इसके ज़रिये युवाओं को कट्टरपंथ की ओर धकेलने और देशविरोधी एजेंडे से जोड़ने की साजिश चल रही थी। शुरुआती जांच में लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठन से संपर्क की भी पुष्टि हुई है। कट्टरपंथी विचारधारा को फैलाने के लिए व्हाट्सऐप, टेलीग्राम और कोडवर्ड्स का इस्तेमाल किया जा रहा था। यह नेटवर्क न केवल देश की एकता के लिए खतरा है बल्कि समाज की जड़ों को भी कमजोर कर रहा है।

छांगुर जैसे अनगिनत मामले अब भी अनदेखे?

बलरामपुर का छांगुर पिछले दस वर्षों से गैरकानूनी धर्मांतरण और कथित झाड़-फूंक की आड़ में लोगों को भ्रमित करता रहा। सवाल उठता है कि क्या प्रशासन को इसकी भनक नहीं थी? अगर थी, तो कार्रवाई इतनी देर से क्यों हुई? यह केवल पुलिस की नाकामी नहीं, बल्कि स्थानीय प्रशासनिक तंत्र की विफलता भी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जितने भी सख्त हों, कार्रवाई ज़मीनी अमले के माध्यम से ही होती है। इसीलिए उन अधिकारियों और कर्मचारियों पर भी सख्त कार्यवाही होनी चाहिए। जिनकी अनदेखी से ऐसे गिरोह फल-फूल रहे हैं।

डिजिटल और विदेशी नेटवर्किंग पर भी नजर जरूरी

विशेष चिंता की बात यह भी है कि यह नेटवर्क विदेशी फंडिंग के सहारे चल रहा था। ऐसे मामलों में डिजिटल माध्यमों का भी दुरुपयोग हो रहा है। केंद्र और राज्य सरकारों को चाहिए कि वे डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर नियंत्रण और विदेशी फंडिंग की निगरानी के लिए एक ठोस और प्रभावी प्रणाली विकसित करें।

सिर्फ गिरफ्तारी नहीं, स्थायी समाधान जरूरी

अब समय आ गया है कि केवल गिरफ्तारी और एफआईआर से आगे जाकर इस तरह के संगठनों को समूल नष्ट करने के लिए ठोस रणनीति बनाई जाए।
• राज्य सरकारों के बीच समन्वय बढ़ाया जाए
• राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों को अंतरराष्ट्रीय लिंक की गहराई से जांच करनी चाहिए
• समाज में धार्मिक सहिष्णुता और जागरूकता को बढ़ावा देना भी उतना ही जरूरी है

Location : 
  • Lucknow

Published : 
  • 21 July 2025, 9:49 AM IST