छांगुर का नया राज़: ISI की तर्ज पर चल रहा था धर्मांतरण नेटवर्क, इन लोगों को देता था सैलरी

बलरामपुर में छांगुर नामक व्यक्ति द्वारा एक संगठित धर्मांतरण नेटवर्क का बड़ा खुलासा हुआ है। जांच में सामने आया है कि छांगुर ने ISI की स्लीपर सेल की तर्ज पर फील्ड एजेंटों का जाल बिछाया था। ये एजेंट हर धर्मांतरण केस पर 3 लाख रुपये तक का इंसेंटिव और 30 हजार रुपये मासिक वेतन पाते थे। नेपाल सीमा व आसपास के इलाकों में यह नेटवर्क सक्रिय था।

Post Published By: Asmita Patel
Updated : 24 July 2025, 1:59 PM IST
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Lucknow News: उत्तर प्रदेश के चर्चित धर्मांतरण आरोपी छांगुर ने आईएसआई की स्लीपर सेल की तर्ज पर एक ऐसा संगठित नेटवर्क तैयार किया था, जो फील्ड एजेंट्स के जरिए पूरे नेपाल सीमा और भारत के सीमावर्ती जिलों में सक्रिय था। एजेंटों को हर माह ₹30,000 की सैलरी दी जाती थी और धर्मांतरण कराने पर उन्हें ₹3 लाख तक का इंसेंटिव भी मिलता था। इस खुलासे ने सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क कर दिया है और पूरे नेटवर्क की गहन जांच की जा रही है।

ISI की शैली में खड़ा किया नेटवर्क

सूत्रों के मुताबिक, छांगुर का नेटवर्क बिल्कुल आईएसआई की स्लीपर सेल जैसी तर्ज पर खड़ा किया गया था। इसमें फील्ड एजेंट्स को ट्रेनिंग दी जाती थी, वे गांव-गांव जाकर गरीब और कमजोर वर्ग के लोगों को टारगेट करते थे। एजेंटों का मुख्य काम था धर्मांतरण के इच्छुक या प्रभावित लोगों की पहचान कर उन्हें छांगुर के पास लाना।

30 हजार सैलरी, 3 लाख तक का इंसेंटिव

धर्मांतरण नेटवर्क में शामिल फील्ड एजेंटों को हर महीने ₹30,000 की तय सैलरी मिलती थी। इसके अलावा, अगर वे किसी व्यक्ति या परिवार का धर्मांतरण कराने में सफल होते थे, तो उन्हें प्रति केस ₹3 लाख तक का इंसेंटिव भी दिया जाता था। इससे एजेंट्स को अधिक से अधिक लोगों को टारगेट करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता था।

नेपाल सीमा बना गतिविधियों का केंद्र

छांगुर का नेटवर्क नेपाल सीमा और सीमावर्ती जिलों जैसे बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, महाराजगंज और बहराइच में सबसे ज्यादा सक्रिय था। फील्ड एजेंट नेपाल के सीमावर्ती इलाकों में घर-घर जाकर प्रचार करते थे। नेपाल में धर्मांतरण की गतिविधियां पहले से ही संवेदनशील मानी जाती हैं और अब यह खुलासा भारत की सुरक्षा के लिहाज से चिंता का विषय बन गया है।

खुफिया एजेंसियों की बढ़ी चिंता

धर्मांतरण नेटवर्क के इस खुलासे के बाद खुफिया एजेंसियों की चिंता बढ़ गई है। यह मॉडल केवल धार्मिक बदलाव नहीं बल्कि सामरिक दृष्टिकोण से भी खतरनाक माना जा रहा है। पूर्व आईबी अधिकारी संतोष सिंह के अनुसार, इस तरह के स्लीपर नेटवर्क धीरे-धीरे कट्टरपंथी एजेंडा को आगे बढ़ाते हैं और देश की आंतरिक सुरक्षा को कमजोर करते हैं।

छांगुर के खिलाफ सबूत जुटा रही पुलिस

बलरामपुर पुलिस, एटीएस और इंटेलिजेंस विंग मिलकर छांगुर से पूछताछ कर रहे हैं। उसके मोबाइल, बैंक अकाउंट और विदेशी संपर्कों की जांच की जा रही है। अब तक मिले साक्ष्य बताते हैं कि छांगुर का नेटवर्क सिर्फ एक धार्मिक संगठन नहीं, बल्कि एक फंडेड ऑपरेशन है जिसे देश विरोधी ताकतों का समर्थन मिला हो सकता है।

गांव-गांव फैला हुआ एजेंटों का जाल

छांगुर ने धर्मांतरण अभियान को आसान बनाने के लिए एक मजबूत जमीनी नेटवर्क तैयार किया था। एजेंट स्थानीय भाषा बोलते थे, लोगों की आर्थिक और सामाजिक कमजोरी को भांपते थे और फिर धीरे-धीरे उन्हें धर्मांतरण के लिए तैयार करते थे। उन्हें रोजगार, इलाज और आर्थिक मदद का लालच दिया जाता था।

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