

भारत में सड़क सुरक्षा एक गंभीर चिंता का विषय है, जहां हर दिन सैकड़ों लोग सड़क दुर्घटनाओं में जान गंवाते हैं। सरकार ने ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन पर भारी जुर्माना लगाकर इस संकट से निपटने की कोशिश की है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि फिनलैंड में ट्रैफिक फाइन आपकी आय के आधार पर तय होता है? आइए जानते हैं इस अनोखे नियम के पीछे की सोच और भारत में सड़क सुरक्षा की स्थिति।
प्रतीकात्मक तस्वीर (सोर्स- गूगल)
New Delhi: भारत में सड़क दुर्घटनाएं एक आम समस्या बन चुकी हैं। हर दिन सैकड़ों लोग सड़कों पर जान गंवाते हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इन हादसों का सबसे बड़ा कारण लोगों की लापरवाही और ट्रैफिक नियमों की अनदेखी है। बिना हेलमेट, बिना सीट बेल्ट, ओवर स्पीडिंग और रेड लाइट जम्प जैसी लापरवाहियां जानलेवा साबित हो रही हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने हाल के वर्षों में ट्रैफिक नियमों को कड़ा किया है और उल्लंघन करने वालों पर भारी जुर्माने का प्रावधान किया है। उद्देश्य साफ है लोगों को सख्ती से नियमों का पालन करवाना और सड़क दुर्घटनाओं की संख्या में कमी लाना।
2024 में और सख्त हुए ट्रैफिक नियम
वर्ष 2024 से भारत में ट्रैफिक उल्लंघनों पर अधिक जुर्माने लगाए जा रहे हैं। नो पार्किंग, स्पीड लिमिट क्रॉस, मोबाइल पर बात करते हुए गाड़ी चलाना, शराब पीकर ड्राइविंग इन सभी मामलों में अब हजारों रुपये का फाइन लग सकता है। हालांकि यह पहल सकारात्मक मानी जा रही है, लेकिन कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि सिर्फ जुर्माना बढ़ाने से समस्या का समाधान नहीं होगा, जब तक कि ट्रैफिक जागरूकता अभियान और पुलिस निगरानी को समान रूप से मजबूत नहीं किया जाए।
अब जानिए फिनलैंड की अनोखी चालान प्रणाली
भारत में जहां जुर्माना एक तय राशि होता है, वहीं फिनलैंड में यह नियम बिलकुल अलग है। वहां ट्रैफिक उल्लंघन पर व्यक्ति की आय के आधार पर चालान तय होता है। यानी जितनी अधिक आपकी कमाई, उतना भारी आपका फाइन।
आय के आधार पर चालान
एक करोड़ से ऊपर का चालान
आपको जानकर हैरानी होगी कि कुछ साल पहले फिनलैंड में एक व्यक्ति पर ₹1 करोड़ 6 लाख से अधिक का चालान लगाया गया था। उसका कसूर? सिर्फ ओवर स्पीडिंग। लेकिन उसकी हाई इनकम के चलते जुर्माना भी उतना ही भारी लगाया गया। यह मामला सोशल मीडिया पर खूब चर्चा में रहा, लेकिन वहां के नागरिकों के लिए यह असामान्य नहीं है, क्योंकि यह कानून वहां दशकों से लागू है।
कैसे काम करता है यह सिस्टम?
फिनलैंड की पुलिस के पास सेंट्रल टैक्सपेयर डेटाबेस होता है। जब कोई ट्रैफिक नियम तोड़ता है, तो पुलिसकर्मी तुरंत उनके स्मार्टफोन पर व्यक्ति की आय की जानकारी प्राप्त कर लेते हैं। फिर उस जानकारी के आधार पर फाइन तय किया जाता है। उदाहरण के तौर पर अगर कोई व्यक्ति स्पीड लिमिट से अधिक गाड़ी चलाता है तो उसे उसकी कई दिनों की आय के बराबर फाइन देना पड़ सकता है।
इस नियम का उद्देश्य क्या है?
यह प्रणाली सिर्फ फिनलैंड में ही नहीं, बल्कि अन्य नॉर्डिक देशों जैसे स्वीडन और डेनमार्क में भी लागू है। इसका उद्देश्य यह है कि जुर्माना सभी पर समान रूप से प्रभावी हो चाहे वह अमीर हो या गरीब। यदि फाइन सभी के लिए समान हो तो अमीर व्यक्ति के लिए वह राशि मामूली होगी, जबकि गरीब के लिए भारी सजा बन सकती है। इसलिए आय आधारित फाइन सिस्टम न्यायसंगत माने जाने लगा है।
क्या भारत में यह सिस्टम संभव है?
भारत में अभी यह प्रणाली लागू नहीं है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि भविष्य में यदि तकनीकी आधार मजबूत हो और आय डेटा तक पुलिस की पहुंच बने तो इस मॉडल को अपनाया जा सकता है। इससे ट्रैफिक कानूनों का उल्लंघन करने वाले हाई इनकम लोगों पर भी कड़ी कार्रवाई की जा सकेगी और न्याय की भावना को और मजबूती मिलेगी।