

रेटिंग एजेंसी फिच ने भारत की विकास दर का अनुमान 6.5% से बढ़ाकर 6.9% कर दिया है। घरेलू मांग और उपभोक्ता खर्च में तेजी इसका प्रमुख कारण बताई गई है। यह संशोधन भारत की आर्थिक मजबूती और वैश्विक विश्वास को दर्शाता है।
भारत की विकास दर पर फिच का भरोसा बढ़ा
New Delhi: भारत की अर्थव्यवस्था एक बार फिर वैश्विक मंच पर अपनी मजबूती का प्रमाण दे रही है। अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी फिच ने अपने सितंबर ग्लोबल इकोनॉमिक आउटलुक (GEO) में भारत की विकास दर (GDP Growth Rate) के अनुमान को 6.5% से बढ़ाकर 6.9% कर दिया है। यह संशोधन अप्रैल-जून तिमाही में देखी गई तेज आर्थिक गतिविधियों और मजबूत उपभोक्ता मांग को देखते हुए किया गया है।
फिच ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर जनवरी-मार्च तिमाही में 7.4% थी, जो अप्रैल-जून तिमाही में 7.8% हो गई। यह वृद्धि दर उनके जून GEO में लगाए गए 6.7% अनुमान से काफी अधिक है। यह दर्शाता है कि भारत की अर्थव्यवस्था वैश्विक सुस्ती के बीच भी तेज रफ्तार से आगे बढ़ रही है।
भारत की विकास दर पर फिच का भरोसा बढ़ा
फिच के अनुसार, मजबूत घरेलू मांग, विशेषकर उपभोक्ताओं की ओर से हो रहे खर्च में बढ़ोतरी और वास्तविक आय में सुधार, भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ साबित हो रहे हैं। इसके अलावा, सरकारी और निजी क्षेत्र के निवेश में तेजी ने भी ग्रोथ को गति दी है। रेटिंग एजेंसी का मानना है कि भारत की वित्तीय स्थिति पहले की तुलना में ज्यादा अनुकूल है और इसने बाहरी आर्थिक झटकों से देश को बचाए रखने में अहम भूमिका निभाई है।
फिच की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में उद्योगों का उत्पादन (Industrial Output) और पीएमआई (Purchasing Managers’ Index) दोनों ही बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं, जिससे यह संकेत मिलता है कि देश की आंतरिक अर्थव्यवस्था मजबूत है।
हालांकि फिच ने चेतावनी भी दी है कि वर्तमान आर्थिक गति हमेशा बरकरार नहीं रह सकती। रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2026-27 में विकास दर घटकर 6.3% रह सकती है। जबकि 2027-28 में यह 6.2% तक गिर सकती है
भारत के लिए यह खबर अंतरराष्ट्रीय निवेशकों और नीति निर्धारकों के लिए भी सकारात्मक संकेत है। फिच जैसी प्रतिष्ठित एजेंसी द्वारा ग्रोथ अनुमान को ऊपर ले जाना, यह दर्शाता है कि विश्व स्तर पर भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर भरोसा बढ़ रहा है। इसके अलावा मौद्रिक नीति की स्थिरता, नियंत्रण में महंगाई और मजबूत बैंकिंग सिस्टम ने भारत को उन देशों की सूची में ला खड़ा किया है जो वर्तमान वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं से प्रभावी ढंग से निपटने में सक्षम हैं।
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जीएसटी व्यवस्था की स्थिरता और कर आधार के विस्तार ने भारत को राजस्व जुटाने में मदद की है। इससे सार्वजनिक खर्च को बनाए रखने में आसानी हुई है और बुनियादी ढांचे पर निवेश लगातार बढ़ रहा है।
वहीं दूसरी ओर, दुनिया की अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाएं जैसे अमेरिका, चीन और यूरोपीय यूनियन मंदी या धीमी ग्रोथ की स्थिति का सामना कर रही हैं। ऐसे में भारत की 6.9% की विकास दर वैश्विक परिप्रेक्ष्य में कहीं ज्यादा मजबूत और स्थिर मानी जा रही है।