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भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक 3 से 5 दिसंबर को होने जा रही है, जिसमें रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत कटौती की संभावना जताई जा रही है। महंगाई कम होने और जीडीपी वृद्धि के चलते विशेषज्ञों के बीच राय बंटी हुई है।
भारतीय रिजर्व बैंक
New Delhi: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) अपनी आगामी मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत की कटौती कर सकता है, क्योंकि महंगाई का दबाव कम हुआ है। हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि देश की जीडीपी में उम्मीद से बेहतर वृद्धि के बाद केंद्रीय बैंक ब्याज दरों को स्थिर भी रख सकता है।
इस साल के पहले दो महीनों से उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) पर आधारित खुदरा महंगाई दर सरकार द्वारा तय किए गए दायरे (2 प्रतिशत) की निचली सीमा से भी कम रही है। इससे महंगाई का दबाव कम हुआ है, जो केंद्रीय बैंक के लिए रेपो रेट में कटौती का कारण बन सकता है। वहीं, दूसरी तिमाही में 8.2 प्रतिशत जीडीपी वृद्धि ने अर्थव्यवस्था में गति दिखाई है, जिससे कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि आरबीआई ब्याज दरों को स्थिर रख सकता है।
भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की अगली बैठक 3 से 5 दिसंबर 2025 तक होगी, जिसमें रेपो रेट में बदलाव के फैसले किए जाएंगे। आरबीआई के गवर्नर संजय मल्होत्रा 5 दिसंबर को इस बैठक के निर्णयों की घोषणा करेंगे। मौजूदा समय में रेपो रेट 5.5 प्रतिशत है, और आरबीआई ने इस साल फरवरी से रेपो रेट में कुल 1 प्रतिशत की कटौती की थी। अगस्त के बाद से इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है।
एचडीएफसी बैंक के अनुसार, महंगाई कम होने के बावजूद जीडीपी में वृद्धि बनी हुई है, जो आरबीआई को कटौती करने का अवसर दे सकती है। बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है, "दूसरी छमाही में वृद्धि की गति को देखते हुए और महंगाई के 4 प्रतिशत से कम रहने की संभावना को ध्यान में रखते हुए हमें लगता है कि दिसंबर की बैठक में रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत की कटौती की जा सकती है।"
भारतीय स्टेट बैंक के आर्थिक अनुसंधान विभाग ने भी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अब महंगाई कम हो गई है और जीडीपी में तेजी बनी हुई है। ऐसे में आरबीआई को अपनी मौद्रिक नीति पर स्पष्ट दिशा देनी होगी। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि केंद्रीय बैंक को आगामी बैठक में दर के रुझान पर निर्णय लेना होगा, क्योंकि यह समय उपभोक्ताओं और व्यापारिक जगत के लिए महत्वपूर्ण है।
बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि मौद्रिक नीति में बदलाव पर फैसला कठिन हो सकता है, क्योंकि मौजूदा रेपो दर वर्तमान में उचित स्तर पर दिख रही है। उनका मानना है कि किसी बदलाव की आवश्यकता नहीं है क्योंकि फिलहाल वृद्धि और महंगाई दोनों संतुलित हैं। वहीं, क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री धर्मकीर्ति जोशी ने भी अनुमान जताया है कि अक्टूबर में मुद्रास्फीति में गिरावट को देखते हुए रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत की कटौती हो सकती है।
अगली मौद्रिक नीति समिति की बैठक में संभावित रेपो रेट कटौती का फैसला सभी के लिए अहम होगा, क्योंकि इससे उपभोक्ता और कंपनियों दोनों पर असर पड़ेगा। सरकार और केंद्रीय बैंक के फैसले का असर भारतीय अर्थव्यवस्था की दिशा पर पड़ेगा, खासकर उन लोगों पर जिनके लिए ब्याज दरों में बदलाव राहत या परेशानी दोनों ला सकता है।