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फर्जी अदालत आदेश से IAS पदोन्नति पाने वाले संतोष वर्मा के खिलाफ केस में हाई कोर्ट ने कार्रवाई की अनुमति दे दी है। जांच में न्यायाधीश की भूमिका संदिग्ध पाई गई, जिन्हें अब नोटिस भेजकर पूछताछ की जाएगी। विवाद बढ़ने पर संगठन और राजनीति भी दो धड़ों में बंट गई है।
IAS संतोष वर्मा
Bhopal: मध्य प्रदेश में ब्राह्मण बेटियों पर असभ्य टिप्पणी करने को लेकर सुर्खियों में आए विवादित IAS अधिकारी और अजाक्स (SC-ST अधिकारी कर्मचारी संघ) के अध्यक्ष संतोष वर्मा की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ गई हैं। चार साल पुराने फर्जीवाड़ा केस की फाइल दोबारा खुल चुकी है और अब इस मामले में पुलिस एक न्यायाधीश पर भी कठोर कार्रवाई की तैयारी में है। हाई कोर्ट से अनुमति मिलने के बाद एसआईटी ने न्यायाधीश से पूछताछ के लिए 50 सवालों की सूची तैयार की है।
कैसे सामने आया फर्जीवाड़ा?
संतोष वर्मा पर एक महिला ने शारीरिक शोषण का मुकदमा दर्ज कराया था। इस केस में उन्होंने अदालत में एक कूटरचित आदेश पेश किया, जिसमें उन्हें बरी दिखाया गया था। इसी फर्जी आदेश के आधार पर उन्होंने IAS कैडर में पदोन्नति का रास्ता बनाया। जब मामला खुला तो जांच में स्पेशल जज विजेंद्र सिंह रावत की भूमिका संदिग्ध पाई गई। संदेह के आधार पर उनका तबादला कर दिया गया, लेकिन हाई कोर्ट ने तब गिरफ्तारी की अनुमति नहीं दी थी।
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हाई कोर्ट से हरी झंडी मिलते ही सक्रिय हुई पुलिस
मामला हाई कोर्ट में लंबित था और पुलिस चार साल से कार्रवाई की अनुमति का इंतजार कर रही थी। एसीपी विनोद दीक्षित ने पुष्टि की कि हाई कोर्ट ने पुलिस के प्रतिवेदन पर आगे विधि अनुसार कार्रवाई की अनुमति दे दी है। अनुमति मिलते ही एसआईटी तेज हो गई और न्यायाधीश से पूछताछ की तैयारी शुरू कर दी।
न्यायाधीश पर शक कैसे हुआ?
पुलिस ने न्यायाधीश की कोर्ट से कंप्यूटर जब्त किया तो पाया कि फैसलों की फाइलें डिलीट कर दी गई थी। जब हार्ड डिस्क फोरेंसिक लैब भेजी गई तो उसमें दो फैसले मिले एक ‘राजीनामा’ और दूसरा ‘बरी’ का जो कि फर्जी थे। जांच के दौरान यह भी सामने आया कि निर्णय लिखने के दिन न्यायाधीश ने खुद को छुट्टी पर बताया था, लेकिन मोबाइल टावर लोकेशन से उनकी मौजूदगी कोर्ट परिसर में पाई गई। वहीं, पुलिस को वर्मा की चैटिंग से भी महत्वपूर्ण सुराग मिले। एक अन्य मजिस्ट्रेट ने वर्मा को इस न्यायाधीश के पास भेजा था और दोनों के बीच लेनदेन जैसी बातचीत मिली थी।
न्यायाधीश को भेजा जाएगा नोटिस
हाई कोर्ट की अनुमति के बाद अब पुलिस न्यायाधीश को नोटिस भेजकर बुलाने की तैयारी में है। इससे पहले भी वर्मा को इसी तरह बुलाकर गिरफ्तार किया गया था। माना जा रहा है कि जल्द ही दोनों से आमना-सामना कर पूछताछ की जाएगी।
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विवाद ने पकड़ा राजनीतिक रंग
विवादित टिप्पणी के बाद जहां IAS एसोसिएशन मौन है, वहीं जय युवा आदिवासी संगठन (जयस) वर्मा के समर्थन में उतर आया है। जयस प्रमुख लोकेश मुजाल्दा ने कहा कि वे इंदौर में कलेक्टर को ज्ञापन सौंप कर वर्मा के खिलाफ जारी नोटिस वापस लेने की मांग करेंगे।
हालांकि, जयस के संरक्षक और विधायक डॉ. हीरालाल अलावा ने स्पष्ट किया कि वर्मा का बयान अस्वीकार्य है और वह इसकी निंदा करते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि उनके संगठन जैसा नाम रखने वाला दूसरा दल इस मुद्दे पर भ्रम फैलाने की कोशिश कर रहा है।
IAS एसोसिएशन की प्रतिक्रिया
मध्य प्रदेश IAS एसोसिएशन ने न कोई समर्थन किया है और न ही विरोध। एसोसिएशन अध्यक्ष मनु श्रीवास्तव ने कहा कि यह वर्मा का व्यक्तिगत मामला है और शासन स्तर पर कार्रवाई प्रक्रिया में है, इसलिए एसोसिएशन टिप्पणी नहीं करेगा।