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बिहार में वोटों की गिनती जारी है और रुझाने के आधार पर इस बार एनडीए डबल सेंचुरी के साथ ऐतिहासिक जीत दर्ज करती नजर आ रही है। भाजपा बिना जेडीयू के भी सरकार बना सकती है। पढ़े ऐसे स्थिति में क्या होगा नीतीश कुमार का
नीतीश कुमार का भविष्य अब क्या? (सोर्स- डाइनामाइट न्यूज़)
New Delhi: बिहार में विधानसभा चुनाव के नतीजे थोड़ी देर में घोषित होने वाले है। रूझानों में एनडीए 200 से अधिक सीटों पर जीत दर्ज करके एक बार फिर बिहार की सत्ता में काबिज होने जा रही है। इस बार भाजपा को रिकार्ड सीटों के साथ जीत मिलती नजर आ रही है। रुझानों के आधार पर जो समीकरण सामने आ रहे हैं, वे बेहद दिलचस्प और हैरान करने वाले है। भाजपा राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बनने जा रही है।
अब तक के रूझानों को यदि आधार माना जाये और यदि ये रुझान पक्के हुए तो राज्य में भाजपा बिना जेडीयू के भी सरकार बना सकती है। यानी भाजपा को सरकार बनाने के लिये नीतीश कुमार की जरूरत नहीं पड़ेगी। वह जेडीयू को छोड़कर और एनडीए के अन्य सहयोगी दलों के साथ मिलकर सरकार बना सकती है।
ताजा रुझानों पर नजर डालें तो खबर लिखे जाने के वक्त तक 202 सीटों के साथ एनडीए ऐतिहासिक जीत की ओर अग्रसर है। इन 202 सीटों में से भाजपा अकेले 92 सीटों पर जीत दर्ज करती दिख रही है। जबकि जेडीयू 82 सीटों पर विजयी हो सकती है।
ताजा रुझानों में एनडीए के अन्य सहयोगी दलों एलजेपी आर 21 सीटें, हम 5 सीटें और आरएलएम 04 सीटें जीतती दिख रही है।
ऐसे में नये सियासी समीकरण बनते दिख रहे हैं। यदि भाजपा अब नीतीश कुमार की जेडीयू को छोड़ भी दे तो वो सरकार बना सकती है। भाजपा अपनी 92 सीटों के साथ एलजेपी आर (21 सीटें), हम (5 सीट) और आरएलएम (4 सीट) के साथ मिलकर जेडीयू के बिना भी सरकार बना सकती है। जेडीयू को छोड़कर और अन्य सहयोगी दलों के साथ मिलकर भाजपा के पक्ष में कुल 122 सीटें आती है, जो पूर्ण बहुमत का आंकड़ा है।
ये समीकरण रूझानों के आधार पर है। चुनाव नतीजे अभी सामने नहीं आये है। ऐसे में सीटों में घटत-बढ़त की पूरी संभावना है।
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अब यह सबसे बड़ा सवाल है कि यदि भाजपा बिहार में जेडीयू को छोड़कर और अन्य सहयोगियों के साथ मिलकर सरकार बनाती है तो नीतीश कुमार क्या करेंगे? हालांकि भाजपा समेत एनडीए कई बार यह घोषणा कर चुकी है कि बिहार के सीएम नीतीश कुमार ही होंगे, लेकिन जैसा अक्सर कहा जाता है कि राजनीति में कुछ भी स्थायी नहीं होता और सियासी संभावनाएं हमेशा बनी रहती है, ऐसे इस नये समीकरण से उपजा सवाल भी एक नई संभावना को जन्म दे सकता है।