

कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. दीवान सिंह रावत को INSA द्वारा ‘फेलो ऑफ नेशनल एकेडमी’ सम्मान मिला है। यह सम्मान उन्हें मेडिसिनल केमिस्ट्री और पार्किंसन रोग पर उनके शोध कार्यों के लिए प्रदान किया गया है। यह उत्तराखंड को रसायन विज्ञान में 46 वर्षों बाद मिली ऐतिहासिक उपलब्धि है।
नैनीताल स्थित कुमाऊं विश्वविद्यालय
Uttarakhand: नैनीताल स्थित कुमाऊं विश्वविद्यालय से जुड़ी एक गर्व की खबर सामने आई है। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर दीवान सिंह रावत को भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी (INSA) द्वारा फेलो ऑफ नेशनल एकेडमी की प्रतिष्ठित उपाधि से सम्मानित किया गया है। यह सम्मान देश के विज्ञान और शोध क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने वाले वैज्ञानिकों को प्रदान किया जाता है और इसे वैज्ञानिक जगत की सबसे बड़ी उपलब्धियों में गिना जाता है।
प्रो. रावत को यह सम्मान मेडिसिनल केमिस्ट्री (औषधीय रसायन विज्ञान) में उनके लंबे समय से किए जा रहे अनुसंधान, विशेष रूप से पार्किंसन रोग पर उनके प्रभावशाली शोध कार्य के लिए दिया गया है। प्रो. रावत द्वारा विकसित किया गया एक नवीन अणु (molecule) वर्तमान में मानव परीक्षण (Clinical Trial) के दूसरे चरण में है। यह अणु गंभीर न्यूरोलॉजिकल बीमारियों से जूझ रहे मरीजों के लिए एक नई उम्मीद के रूप में देखा जा रहा है।
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उत्तराखंड के लिए यह उपलब्धि और भी खास बन जाती है क्योंकि पिछले 46 वर्षों में रसायन विज्ञान के क्षेत्र में यह सम्मान राज्य को पहली बार मिला है। इससे पहले वर्ष 1979 में प्रसिद्ध वैज्ञानिक प्रो. डीएस भकुनी को यह सम्मान प्राप्त हुआ था, जो कि प्रो. रावत के शोध निर्देशक भी रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि प्रो. रावत, प्रो. भकुनी के अंतिम पीएचडी छात्र भी रहे हैं, जिससे यह उपलब्धि एक वैज्ञानिक परंपरा की विरासत को भी दर्शाती है।
कुमाऊं विश्वविद्यालय से पहले भी दो अन्य प्रोफेसरों भूविज्ञान के क्षेत्र में प्रो. केएस वाल्दिया और पर्यावरण विज्ञान में प्रो. एसपी सिंह को यह सम्मान मिल चुका है। लेकिन रसायन विज्ञान में यह सम्मान अब जाकर प्रो. रावत के माध्यम से विश्वविद्यालय की झोली में आया है।
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प्रो. रावत ने अब तक 175 से अधिक शोध पत्र अंतरराष्ट्रीय जर्नलों में प्रकाशित किए हैं, जिनका 7,000 से अधिक बार संदर्भ (citation) लिया गया है। उनके नाम पर 22 अंतरराष्ट्रीय पेटेंट भी दर्ज हैं, जो उनकी नवाचार क्षमता और वैश्विक स्तर पर प्रभाव को दर्शाते हैं। इस सम्मान को लेकर प्रो. रावत ने कहा, "यह मेरे लिए व्यक्तिगत गर्व की बात है, लेकिन इससे भी बढ़कर यह उत्तराखंड के वैज्ञानिक समुदाय की पहचान और प्रेरणा का प्रतीक है।" उन्होंने आगे कहा कि राज्य के युवाओं को विज्ञान और शोध के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए साहस और दिशा दोनों की आवश्यकता है और यह सम्मान उन्हें वही प्रेरणा देगा।