

जिलाधिकारी मयूर दीक्षित की अध्यक्षता में गुरुवार को जिला कार्यालय कक्ष में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण जिला स्तरीय सतर्कता एवं अनुश्रवण समिति की बैठक आयोजित की गई।
जिलाधिकारी मयूर दीक्षित अधिकारियों के संग बैठक में
हरिद्वार: जिलाधिकारी मयूर दीक्षित की अध्यक्षता में गुरुवार को जिला कार्यालय कक्ष में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण जिला स्तरीय सतर्कता एवं अनुश्रवण समिति की बैठक आयोजित की गई। बैठक में वर्ष 2024-25 के प्रकरणों की समीक्षा करते हुए डीएम ने पीड़ितों को समयबद्ध और त्वरित आर्थिक सहायता प्रदान करने पर जोर दिया।
बैठक में प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, 2024-25 में अब तक कुल 69 प्रकरण सामने आए, जिनमें 95 पीड़ित शामिल हैं। इनमें से 75 पीड़ितों को शासनादेश के अनुसार आर्थिक सहायता स्वीकृत कर दी गई है। वहीं, शेष 20 पीड़ितों में से 12 के मामलों में सहायता स्वीकृति की प्रक्रिया प्रगति पर है और जल्द ही राशि जारी कर दी जाएगी।
डीएम ने नाराजगी जताते हुए बताया कि आठ पीड़ितों को जाति प्रमाण पत्र उपलब्ध न होने के कारण आर्थिक सहायता से वंचित रहना पड़ रहा है, जो अस्वीकार्य है। इस पर उन्होंने समाज कल्याण अधिकारी अभिजीत सिंह को स्पष्ट निर्देश दिए कि इन सभी मामलों में एक सप्ताह के भीतर जाति प्रमाण पत्र जारी कर पीड़ितों को राहत दी जाए। उन्होंने कहा कि प्रशासन का दायित्व है कि किसी भी पात्र व्यक्ति को केवल औपचारिकताओं के कारण लाभ से वंचित न रखा जाए।
डीएम मयूर दीक्षित ने कहा कि अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत पीड़ितों को तुरंत न्याय और राहत दिलाना प्रशासन की प्राथमिकता है। उन्होंने सभी संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया कि भविष्य में इस तरह की देरी न हो और प्रकरण दर्ज होने के बाद तत्काल सत्यापन कर सहायता राशि स्वीकृत की जाए।
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बैठक में समाज कल्याण विभाग के अधिकारी, पुलिस विभाग के प्रतिनिधि, और समिति के अन्य सदस्य मौजूद रहे। डीएम ने सभी अधिकारियों को यह भी निर्देश दिया कि पीड़ितों के मामलों की प्रगति रिपोर्ट हर पखवाड़े प्रस्तुत की जाए, ताकि किसी भी स्तर पर लापरवाही या देरी की स्थिति न बने।
उन्होंने यह भी कहा कि जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों को उनके अधिकारों और सरकारी योजनाओं की जानकारी दी जाए, ताकि वे समय पर लाभ ले सकें। बैठक के अंत में डीएम ने विश्वास जताया कि त्वरित कार्रवाई से पीड़ितों को न केवल आर्थिक मदद मिलेगी, बल्कि उनके मन में न्याय और सुरक्षा की भावना भी मजबूत होगी।