हरिद्वार में पर्यावरण को लेकर बड़ी पहल, डीएम ने किया ये अनोखा काम

उत्तराखंड की लोक संस्कृति, हरियाली और प्रकृति प्रेम का प्रतीक हरेला पर्व हरिद्वार जिले में इस बार भी बड़े हर्षोल्लास और पर्यावरणीय संकल्पों के साथ मनाया गया। इस अवसर पर जिले के विभिन्न हिस्सों में वृक्षारोपण कार्यक्रमों का आयोजन हुआ, जिनमें सरकारी अधिकारी, कर्मचारी, नागरिक व बच्चे उत्साह से शामिल हुए।

Post Published By: Poonam Rajput
Updated : 16 July 2025, 6:30 PM IST
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Haridwar:  उत्तराखंड की लोक संस्कृति, हरियाली और प्रकृति प्रेम का प्रतीक हरेला पर्व हरिद्वार जिले में इस बार भी बड़े हर्षोल्लास और पर्यावरणीय संकल्पों के साथ मनाया गया। इस अवसर पर जिले के विभिन्न हिस्सों में वृक्षारोपण कार्यक्रमों का आयोजन हुआ, जिनमें सरकारी अधिकारी, कर्मचारी, नागरिक व बच्चे उत्साह से शामिल हुए। इसी क्रम में जिलाधिकारी मयूर दीक्षित और उनकी धर्मपत्नी श्रीमती प्रज्ञा दीक्षित ने रोशनाबाद स्थित जिला कार्यालय परिसर में ‘‘एक पेड़ मां के नाम’’ अभियान की औपचारिक शुरुआत करते हुए पौधारोपण किया।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक, रिमझिम फुहारों के बीच आयोजित इस कार्यक्रम ने वातावरण को और भी भावनात्मक व प्रेरणादायक बना दिया। जिलाधिकारी ने खुद हावड़ा उठाकर तीन अलग-अलग स्थानों पर पौधे लगाए और अन्य अधिकारियों-कर्मचारियों को भी पौधारोपण के लिए प्रेरित किया। उन्होंने इस अवसर पर कहा, "हरेला केवल एक पर्व नहीं, बल्कि प्रकृति से हमारा जीवंत संबंध है। इसे केवल मनाने के बजाय जीने की जरूरत है।"

उन्होंने इस कार्यक्रम को वोटिंग और पर्यावरण को जोड़ते हुए नई थीम ‘‘मेरा वोट मेरी पहचान, मेरा वृक्ष मेरी जान’’ के तहत आगे बढ़ाया। उनका संदेश साफ था कि जैसे एक वोट लोकतंत्र को मजबूत करता है, वैसे ही एक पौधा पर्यावरण को संबल देता है।

जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने कहा कि प्रत्येक नागरिक को केवल मतदाता होने की जिम्मेदारी ही नहीं, बल्कि ‘हरियाली प्रहरी’ बनने की भी जरूरत है। ‘‘एक पेड़ मां के नाम’’ जैसे अभियानों से समाज में न केवल भावनात्मक जुड़ाव बढ़ता है, बल्कि पर्यावरण के प्रति सामूहिक चेतना भी जागती है।

इस अवसर पर मुख्य विकास अधिकारी आकांक्षा कोड़े, अपर जिलाधिकारी दीपेंद्र सिंह नेगी, अपर जिलाधिकारी पी.आर. चौहान, परियोजना अधिकारी के.एन. तिवारी, जिला शिक्षा अधिकारी के.के. गुप्ता, आरटीओ नेहा ओझा, और डॉ. संतोष चमोली सहित विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे। सभी ने अपने हाथों से पौधे रोपित किए और उनका संरक्षण सुनिश्चित करने का संकल्प लिया।

कार्यक्रम की विशेष बात यह रही कि इस बार स्थानीय प्रजातियों के पौधों को प्राथमिकता दी गई, ताकि क्षेत्रीय जैव विविधता को संरक्षित किया जा सके। बच्चों और परिवारों के साथ मिलकर पौधारोपण करने का संदेश देकर कार्यक्रम को जन-भागीदारी का स्वरूप दिया गया।

कार्यक्रम के अंत में जिलाधिकारी ने सभी कर्मचारियों और उपस्थित जनों से अपील की कि वे हरेला पर्व को केवल रस्म न समझें, बल्कि इसे हर साल अधिक से अधिक पौधे लगाने और उन्हें पालने के संकल्प के रूप में अपनाएं। उन्होंने कहा कि आज का एक पौधा कल की पीढ़ी के लिए स्वच्छ वायु और हरा भविष्य सुनिश्चित करेगा। यह अभियान सचमुच हरेला पर्व की सबसे सार्थक भेंट बन सकता है।

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