UP News: विधायकों पर हाईटेक पहरा! अब एक-एक हरकत दर्ज करेगा स्मार्ट कैमरा सिस्टम, जानें कैस?

यूपी विधानसभा अब दुनिया के सबसे एडवांस AI कैमरों की निगरानी में होगी, जो भीड़ में भी हर चेहरे को पहचान सकेंगे। शीतकालीन सत्र से पहले यह हाईटेक सिस्टम लागू होने की संभावना है।

Post Published By: सौम्या सिंह
Updated : 16 July 2025, 2:20 PM IST
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Lucknow: उत्तर प्रदेश विधानसभा जल्द ही दुनिया की सबसे उन्नत तकनीक से लैस हो सकती है- जहां चेहरा पहचानने वाले AI-कैमरे, आवाज और वीडियो एनालिटिक्स सिस्टम के जरिए विधायकों की हर गतिविधि पर नजर रखी जाएगी। इस तकनीकी पहल के तहत, विधायकों के नाम, फोटो, समय, तारीख, लोकेशन जैसी पूरी जानकारियाँ ऑटोमेटिक रिकॉर्डिंग में संकलित होंगी।

विधानसभा सचिवालय द्वारा जारी ई-टेंडर के मुताबिक, 45 दिनों के भीतर लगभग 42 डिवाइस स्थापित किए जाएंगे। इनमें भीड़ में छिपा चेहरा, दाढ़ी-चश्मा-हेयरस्टाइल में बदलाव या काली सूची में दर्ज नाम के पहचानने की क्षमता होगी। मौजूदा ऑडियो- वीडियो सिस्टम के साथ यह नया AI सिस्टम पूरी तरह इंटीग्रेट किया जाएगा।

शीतकालीन सत्र में शुरू होने की उम्मीद

शीतकालीन सत्र में शुरू होने की उम्मीद है। विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने बजट सत्र में इस पहल की घोषणा की थी। यह कदम पारदर्शिता और विधायकों की जवाबदेही सुनिश्चित करने के उद्देश्य से उठाया गया है- विधायकों की उपस्थिति, वक्तव्य अवधि और शौच चयन जैसे गतिविधियों का रिकॉर्ड रखने के लिए।

Uttar Pradesh Assembly

कैमरे की नजर से छिप नहीं पाएगा कोई विधायक (फोटो सोर्स- इंटरनेट)

कैसे काम करेगा सिस्टम?

चेहरा पहचान (Facial Recognition): भीड़ से एक-एक विधायक की पहचान करते समय नाम, समय और स्थान स्वचालित दर्ज होगा।

डार्क फीचर पहचान: चेहरे पर किसी तरह के बदलाव- जैसे दाढ़ी, चश्मा या हेयरस्टाइल- होने पर भी सिस्टम सही व्यक्ति को पहचानने में सक्षम होगा।

काली सूची अलर्ट: पहले से चिन्हित नामों की पहचान होते ही सिस्टम तुरंत अलर्ट देगा।

क्यों जरूरी है निगरानी?

इस तकनीक से विधायकों की उपस्थिति और भागीदारी पर पूरी पारदर्शिता आएगी। समयबद्ध विधायी योगदान को मापना आसान होगा। विधायकों को अपनी सत्र में किए गए सदन गतिविधियों की ऑटोमेटिक रिपोर्ट भी प्राप्त होगी।

गोपनीयता एवं निगरानी अधिकार: चेहरा पहचान प्रणाली की सटीकता और संभावित गलत पहचान (false positives) जैसे मुद्दे चिंता का विषय हैं।

नैतिक और कानूनी पहलु: निजी डेटा का उपयोग, उसकी सुरक्षा और संवेदनशीलता—सभी को लेकर स्पष्ट मानवाधिकार कानून होना आवश्यक होगा।

सिस्टम की विश्वसनीयता: कैमरे खराब एंगल, तेज रोशनी या भीड़भाड़ की स्थिति में सही पहचान कर पाने में कमी भी रह सकती है।

इस तरह का AI सिस्टम पहले कर्नाटक विधानमंडल में लागू किया जा चुका है, जहां विधायकों की आने-जाने की समयावधि तथा कितनी देर सदन में रहे जैसी गतिविधियों पर नजर रखी जाती है । नागपुर की विधानसभा के आस पास भी चेहरा और आवाज पहचान कैमरों से सुरक्षा बढ़ाने की पहल सफल रही है ।

उत्तर प्रदेश विधानसभा में इस अभिनव AI-आधारित निगरानी प्रणाली के लागू होने से उम्मीद है कि सत्र के दौरान विधायकों की जवाबदेही और पारदर्शिता में वृद्धि होगी। हालांकि गोपनीयता, कानूनी बाध्यता और तकनीकी विश्वसनीयता को सुनिश्चित करना पहले से जरूरी है।

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