

हर साल की तरह इस साल भी मां पूर्णागिरी धाम में भक्तों का जनसैलाब उमड़ रहा है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
मां पूर्णागिरी धाम
चंपावत: हर साल की तरह इस साल भी मां पूर्णागिरी धाम में भक्तों का जनसैलाब उमड़ रहा है। जहां इसी कड़ी में उत्तराखंड के चंपावत जनपद में स्थित मां पूर्णागिरी धाम उत्तर भारत के प्रमुख शक्तिपीठों में से एक है। टनकपुर क्षेत्र की मध्य पहाड़ियों पर स्थित यह सिद्धपीठ देशभर के श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बन चुका है।
मान्यता है कि मां पूर्णागिरी वही स्थान है जहां देवी सती का नाभि भाग गिरा था, इसीलिए यह धाम 52 शक्तिपीठों में एक माना जाता है। यहां हर वर्ष लाखों श्रद्धालु मन्नतें लेकर और मां का आशीर्वाद प्राप्त करने दूर-दराज़ से आते हैं।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, होली की पूर्णिमा से ज्येष्ठ पूर्णिमा तक चलने वाला मां पूर्णागिरी का मेला उत्तर भारत का सबसे बड़ा धार्मिक मेला माना जाता है। इस चार महीने लंबे मेले में उत्तराखंड के अलावा उत्तर प्रदेश, बिहार, दिल्ली, मध्यप्रदेश और यहां तक कि नेपाल से भी भारी संख्या में श्रद्धालु मां के दर्शन के लिए पहुंचते हैं।
श्रद्धालुओं की यह पवित्र यात्रा टनकपुर में बहने वाली शारदा नदी में स्नान से शुरू होती है। मान्यता है कि इस नदी में स्नान करने से सभी पाप धुल जाते हैं और भक्त शुद्ध होकर मां के दरबार में प्रवेश करते हैं। इस यात्रा मार्ग में नेपाल सीमा के पास स्थित सिद्ध बाबा ब्रह्म देव मंदिर भी प्रमुख आस्था का केंद्र है, जहां नारियल फोड़कर भक्त अपनी मनोकामनाएं व्यक्त करते हैं।
मां पूर्णागिरी की यात्रा कठिन जरूर है, लेकिन श्रद्धा के आगे हर बाधा छोटी लगती है। दुर्गम पहाड़ी रास्ते और ऊंचाई की परवाह किए बिना भक्त पूरे उत्साह और संकल्प के साथ मां के दर्शन के लिए चढ़ाई करते हैं। मार्ग में भक्तों की सुविधा के लिए प्रशासन की ओर से हर वर्ष विशेष व्यवस्थाएं की जाती हैं। इनमें चिकित्सा शिविर, पानी की व्यवस्था, रात्रि विश्राम स्थलों की तैयारी, और सुरक्षा के लिए पर्याप्त पुलिस बल की तैनाती शामिल होती है।
मां पूर्णागिरी धाम केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि आस्था, विश्वास और नई ऊर्जा का केंद्र है। यहां पहुंचकर भक्त न केवल मां के दर्शन करते हैं, बल्कि भीतर से नई शक्ति और प्रेरणा लेकर जीवन की चुनौतियों का सामना करने को तैयार होते हैं। यह धाम एक ऐसा स्थल है, जहां श्रद्धा और संकल्प की परीक्षा भी होती है और उसकी सिद्धि भी।