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नैनीताल की हरियाली और ठंडी हवा में छिपा एक छोटा सा मंदिर सदियों से लोगों का विश्वास और श्रद्धा का केंद्र रहा है। चिड़ियाघर के पास यह प्राचीन स्थल गंगानाथ जी को समर्पित है और यहां आने वाले हर व्यक्ति के लिए यह सिर्फ पूजा का स्थान नहीं, बल्कि मन की शांति और आत्मिक सुकून का अनुभव भी है। पढ़ें पूरी खबर
श्रद्धालु रुमाल बांधकर पूरी करते हैं अपनी मन्नत
Nainital News: नैनीताल की हरियाली और ठंडी हवा में छिपा एक छोटा सा मंदिर सदियों से लोगों का विश्वास और श्रद्धा का केंद्र रहा है। चिड़ियाघर के पास यह प्राचीन स्थल गंगानाथ जी को समर्पित है और यहां आने वाले हर व्यक्ति के लिए यह सिर्फ पूजा का स्थान नहीं, बल्कि मन की शांति और आत्मिक सुकून का अनुभव भी है। मंदिर के चारों ओर झूलते रुमाल और टंगी घंटियां हर कदम पर भक्तों की आस्था की कहानी बयां करती हैं।
भक्तों की आस्था की कहानी
जानकारी के मुताबिक, मंदिर के पुजारी ने बताया कि लोग यहां आकर किसी भी पेड़ या दीवार के पास अपना रुमाल बांधते हैं। यह रुमाल उनकी मुराद का प्रतीक होता है। जब इच्छा पूरी हो जाती है, तो भक्त दोबारा आते हैं, पहले रुमाल हटा कर, फिर मंदिर की घंटी बजाकर भगवान को धन्यवाद देते हैं। बताया कि यह परंपरा उनके परिवार में पीढ़ियों से चली आ रही है और मंदिर की स्थापना 1815 में हुई थी, यानी उस समय नैनीताल की खोज भी नहीं हुई थी।
सच्चे दिल से मांगी गई हर इच्छा पूरी...
उनका कहना है कि उनके पिता को एक सपने में भगवान ने मंदिर में मूर्ति स्थापित करने का आदेश दिया था। उसी आदेश के बाद गर्भगृह में भगवान शंकर की प्रतिमा रखी गई, जो आज भी गंगानाथ जी के पास विराजमान है। श्रद्धालु यहां मनोकामना व्यक्त करने के दो तरीके अपनाते हैं- एक लिखित अर्जी जमा कर, दूसरा मंदिर की परिक्रमा करते हुए मौखिक प्रार्थना। ऐसा माना जाता है कि यहां सच्चे दिल से मांगी गई हर इच्छा पूरी होती है।
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रुमाल बांधकर श्रद्धालु अपनी मुरादें मांगते...
इस मंदिर की सबसे अलग पहचान यह है कि यहां चुनरी नहीं बांधी जाती, बल्कि रुमाल बांधकर श्रद्धालु अपनी मुरादें मांगते हैं। मंदिर परिसर में झूलते अनगिनत रुमाल और गूंजती घंटियां यहां आने वाले हर भक्त के विश्वास और आभार का प्रतीक हैं। श्रद्धालु मानते हैं कि भगवान गंगानाथ की कृपा से यहां की हर प्रार्थना सुनी जाती है और हर रुमाल, हर घंटी उनके पूरे हुए मन की कहानी कहती है।