उत्तराखण्ड के विकास की असली तस्वीर: स्वतंत्रता सैनानी का गांव आज भी बेहाल, प्रशासन की खुली पोल

उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले का ल्वेगढ़ गांव, स्वतंत्रता सैनानी शिव सिंह सजवान का गॉव, आज बुनियादी सुविधाओं से वंचित है। यहां न पानी है, न सड़कें और न ही स्वास्थ्य सेवाएं। गांववाले पलायन कर चुके हैं और राज्य सरकार के विकास दावे खोखले साबित हो रहे हैं।

Post Published By: Tanya Chand
Updated : 27 October 2025, 3:12 PM IST
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Rudraprayag: उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के ल्वेगढ़ गांव, जहां स्वतंत्रता सैनानी शिव सिंह सजवान का जन्म हुआ था, आज अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। यह गांव, जिसे उत्तराखंड के इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है, अब जनशून्य हो चुका है।

एक समय यह गांव आज़ादी की लड़ाई का हिस्सा था, लेकिन अब यहाँ पानी की एक बूंद भी नहीं है। यह गांव विकास की योजनाओं से पूरी तरह अछूता है और यहां के लोग बुनियादी सुविधाओं से भी वंचित हैं।

कभी खुशहाल गांव आज बना है वीरान

ल्वेगढ़ गांव में स्थित छोटी-छोटी नदियों के बावजूद पीने का पानी न होने के कारण लोग गांव छोड़कर चले गए हैं। पिछले कुछ महीनों में इस गांव की हालत इतनी खराब हो गई है कि यहां रहने वाला कोई भी नहीं बचा है। हाल ही में, यहां 90 साल की एक वृद्ध महिला की मृत्यु हो गई। उनके मानसिक विक्षिप्त बेटे ने दो दिन तक अपनी मृत मां को जगाने की कोशिश की, लेकिन जब वह दूसरे गांव गया और वहां के लोगों को बताया कि उनकी मां नहीं उठ रही, तब जाकर गांववालों ने शव को देखा।

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लेकिन गांव में ना तो कोई पुरुष था, जो शव को उठाने में मदद कर सके और ना ही सड़कें थीं, जिससे शव को दफनाने के लिए गांव से बाहर ले जाया जा सके। हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि अब यहां सिर्फ मानसिक विक्षिप्त व्यक्ति ही बचा हुआ है।

विकास की कहानियां और जमीनी सच्चाई

यहां के हालात उत्तराखंड सरकार के विकास के दावों की पोल खोलते हैं। राज्य सरकार बार-बार दावा करती है कि विकास की गंगा बहाई जा रही है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़क और पानी जैसी बुनियादी सुविधाएं यहां के लोगों के लिए सपना बन चुकी हैं। इस गांव के लोग अब यह सोचने पर मजबूर हैं कि क्या उनकी तकलीफें कभी दूर होंगी?

सरकारी अनदेखी और नेता की भूमिका

गांव में शिक्षा, सड़कें और स्वास्थ्य सेवाएं तो दूर, यहां के लोग अपनी बुनियादी ज़रूरतों के लिए भी तरस रहे हैं। यहां के लोग आश्चर्यचकित हैं कि स्वतंत्रता सैनानी के गांव को किसने इस हाल में पहुंचा दिया। सरकार और स्थानीय नेताओं की भूमिका पर सवाल उठते हैं कि क्या वे अपनी ज़िम्मेदारी निभा रहे हैं, या सिर्फ अपने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री का नाम लेकर जनता को धोखा दे रहे हैं।

यदि यहां के क्षेत्रीय प्रतिनिधि वास्तव में विकास करते, तो शायद ये गांव आज इस स्थिति में न होता। लेकिन जब तक नेताओं का काम सिर्फ नाम और दावे तक सीमित रहेगा, तब तक ल्वेगढ़ जैसे गांवों की स्थिति सुधरने की उम्मीद धुंधली रहेगी।

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नसीब से दूर विकास

यह कहानी सिर्फ एक गांव की नहीं है, बल्कि पूरी देवभूमि उत्तराखंड के उस हिस्से की है, जहां आज भी लोग पीने के पानी के लिए संघर्ष कर रहे हैं। एक तरफ राज्य सरकार विकास के बड़े-बड़े दावे कर रही है, और दूसरी तरफ ऐसे गांवों में लोग बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। यह गम्भीर सवाल उठाता है कि राज्य सरकार के विकास के दावे कितने सच्चे हैं।

कहां है वह विकास?

उत्तराखंड सरकार को अपनी योजनाओं पर पुनर्विचार करने की जरूरत है, ताकि स्वतंत्रता सैनानी के गांव जैसे लोग भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित न रहें। ल्वेगढ़ गांव की दुर्दशा यह बताती है कि विकास केवल बड़े दावों तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि उसे ज़मीन पर भी नजर आना चाहिए।

Location : 
  • Rudraprayag

Published : 
  • 27 October 2025, 3:12 PM IST