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रामनगर के चुकुम गांव में प्रस्तावित विस्थापन से पहले जमीनों के रिकॉर्ड में कथित गड़बड़ी को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। सामाजिक कार्यकर्ता और ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि पुराने निवासियों के नाम खतौनी से हटाए जा रहे हैं। वहीं प्रशासन ने सर्वे के आधार पर रिपोर्ट तैयार करने का भरोसा दिया है।
सामाजिक कार्यकर्ता नरेंद्र शर्मा
Nainital: रामनगर क्षेत्र में स्थित आपदाग्रस्त चुकुम गांव का प्रस्तावित विस्थापन नए विवाद की वजह से सुर्खियों में है। गांव खाली होने से पहले ही जमीनों के रिकॉर्ड में कथित गड़बड़ी सामने आने से ग्रामीणों की चिंता बढ़ गई है। आरोप है कि विस्थापन की प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही पुराने ग्रामीणों के नाम खतौनियों से हटाए जा रहे हैं। जिससे उनके हक और मुआवजे पर संकट खड़ा हो सकता है।
सामाजिक कार्यकर्ता नरेंद्र शर्मा ने प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि चुकुम गांव के विस्थापन से पहले ही भूमि अभिलेखों में जानबूझकर बदलाव किया जा रहा है। उनका कहना है कि विस्थापन की रिपोर्ट शासन और सरकार को भेजी जा चुकी है। प्रक्रिया पूरी होने से पहले ही खतौनियों में छेड़छाड़ बेहद चिंताजनक है। कई पुराने ग्रामीणों के नाम नई खतौनी में दर्ज ही नहीं किए गए हैं।
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नरेंद्र शर्मा ने स्वर्गीय गोविंद सिंह का उदाहरण देते हुए बताया कि उनकी भूमि खाता संख्या 31, 46 और 29 में दर्ज थी। नई खतौनी से उनका नाम पूरी तरह हटा दिया गया है। आरोप है कि ग्रामीणों की पुश्तैनी जमीन को नई खतौनी में टाइप ही नहीं किया गया। जिससे वह रिकॉर्ड में दिखाई नहीं दे रही। उन्होंने कहा कि यदि किसी की जमीन जलमग्न भी हो चुकी है तो उसे जलमग्न भूमि के रूप में दर्ज कर प्रभावित व्यक्ति को उसका पूरा अधिकार मिलना चाहिए।
इस मामले में सीआरपीएफ से सेवानिवृत्त होकर गांव लौटे हीरा सिंह ने भी अपनी पीड़ा साझा की। हीरा सिंह ने बताया कि उनके पिता चंदन सिंह और दादा गोविंद सिंह हैं। वह लंबे समय तक सीआरपीएफ में देश की सेवा करने के बाद 2 नवंबर को सेवानिवृत्त होकर घर लौटे थे। दस्तावेजों की जांच करने पर उन्हें पता चला कि उनके दादा का नाम नई खतौनी से गायब है। उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि उनकी पुश्तैनी जमीन उन्हें वारिसान हक के तहत दी जाए, क्योंकि उनके पास सभी वैध दस्तावेज मौजूद हैं।
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पूरे मामले पर उप जिलाधिकारी रामनगर प्रमोद कुमार ने कहा कि प्रशासन द्वारा पूरे क्षेत्र का विस्तृत सर्वे कराया गया है। सभी मकानों और भूमि का सर्वे कर कुल रकबे के आधार पर रिपोर्ट तैयार की गई है। किसी व्यक्ति का नाम नई खतौनी में दर्ज नहीं हुआ है। वह अपने दस्तावेज प्रस्तुत कर नाम दर्ज करा सकता है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि भूमि के बदले भूमि का प्रावधान है। किसी के साथ अन्याय नहीं होने दिया जाएगा।