

वाराणसी के सारनाथ स्थित थाई बौद्ध मंदिर में रविवार तड़के गिरी आकाशीय बिजली से 80 फीट ऊंची भगवान बुद्ध की प्रतिमा का शीर्ष भाग टूटकर गिर गया। यह प्रतिमा अफगानिस्तान की बामियान घाटी की ऐतिहासिक मूर्तियों की तर्ज पर बनाई गई थी।
बिजली गिरने से टूटी बुद्ध की प्रतिमा (सोर्स-इंटरनेट)
Varanasi: वाराणसी के सारनाथ स्थित थाई बौद्ध मंदिर में रविवार तड़के गिरी आकाशीय बिजली से 80 फीट ऊंची भगवान बुद्ध की प्रतिमा का शीर्ष भाग टूटकर गिर गया। यह प्रतिमा अफगानिस्तान की बामियान घाटी की ऐतिहासिक मूर्तियों की तर्ज पर बनाई गई थी। घटना से क्षेत्र में हड़कंप मच गया और प्रशासन ने मरम्मत की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, वाराणसी के सारनाथ में रविवार तड़के मौसम ने विकराल रूप लिया। तड़के करीब 4:25 बजे तेज गरज-चमक के साथ वर्षा शुरू हुई और इसी दौरान थाई बौद्ध मंदिर परिसर में स्थापित भगवान बुद्ध की विशाल प्रतिमा पर आकाशीय बिजली गिर गई। इससे 80 फीट ऊंची प्रतिमा का शीर्ष भाग टूटकर नीचे गिर गया।
सौभाग्य से घटना के समय अधिकतर लोग घरों में थे और मंदिर परिसर खाली था, जिससे किसी तरह की जनहानि नहीं हुई। लेकिन यह घटना स्थानीय लोगों और पर्यटकों के बीच कौतूहल का विषय बन गई है।
थाई मंदिर के भिक्षुओं ने बताया कि यह मूर्ति अफगानिस्तान की प्रसिद्ध बामियान घाटी की विशाल बुद्ध प्रतिमाओं की तर्ज पर तैयार की गई थी। बामियान में पहली शताब्दी में दो बड़ी चट्टानी बुद्ध प्रतिमाएं बनाई गई थीं, जिन्हें 2001 में तालिबान ने बम से उड़ा दिया था।
प्रतीकात्मक छवि (फोटो सोर्स- इंटरनेट)
उसी स्मृति में सारनाथ में यह प्रतिमा 2001 में बननी शुरू हुई और 2011 में पूर्ण हुई। यह प्रतिमा भगवान बुद्ध को "अभय मुद्रा" में चलती अवस्था में दर्शाती है। यह धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण धरोहर मानी जाती है।
मंदिर प्रशासन ने जानकारी दी कि मूर्ति की ऊंचाई को देखते हुए इसमें पीछे बिजली रोधक यंत्र (लाइटनिंग कंडक्टर) भी लगाया गया था। इसके बावजूद बिजली गिरने से मूर्ति का शीर्ष भाग क्षतिग्रस्त हो गया, जो तकनीकी विशेषज्ञों के लिए भी जांच का विषय है।
इस घटना के बाद मंदिर प्रशासन द्वारा संबंधित विशेषज्ञों से संपर्क किया गया है और जल्द ही मूर्ति की मरम्मत कराने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
यह प्रतिमा न केवल एक धार्मिक आस्था का केंद्र थी, बल्कि देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र भी बनी हुई थी। अब इसके क्षतिग्रस्त होने से स्थानीय नागरिकों के साथ-साथ बौद्ध समुदाय में भी चिंता और शोक की लहर है।
मंदिर के वरिष्ठ भिक्षु मांगलिकों ने बताया कि मूर्ति की मरम्मत जल्द ही शुरू कर दी जाएगी और फिर से इसे पूर्व स्वरूप में लाने का प्रयास किया जाएगा।