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कफ सिरप केस ने नया मोड़ ले लिया है। लगातार छापेमारी और दबिश से परेशान होकर 10 दवा व्यापारी अदालत पहुंचे और आरोप लगाया कि उन्हें राजनीति और दबाव में बेबुनियाद मामलों में फंसाया जा रहा है। व्यापारियों ने FIR में लगाए गए आरोपों की स्पष्ट निष्पक्ष जांच की मांग उठाई है। वहीं प्रशासन 100 करोड़ से अधिक के अवैध कारोबार का दावा कर रहा है।
वाराणसी जिला एवं सत्र न्यायालय (Img: Google)
Varanasi: वाराणसी में कफ सिरप की बोतलों से जुड़े विवाद ने नया मोड़ ले लिया है। लगातार हो रही छापेमारी, गिरफ्तारी और राजनीतिक बयानबाजी के बीच शहर के 10 दवा व्यापारियों ने जिला सत्र न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।
व्यापारियों का आरोप है कि उन्हें फर्जी और मनगढ़ंत आरोपों के आधार पर बलि का बकरा बनाया जा रहा है। मुख्यमंत्री योगी ने पहले ही इस मामले में कड़ी कार्रवाई का संकेत दिया है, जिसके बीच व्यापारियों ने निष्पक्ष और पारदर्शी जांच की मांग उठाई है।
अदालत में व्यापारियों द्वारा सौंपे गए प्रार्थना पत्र में तुषार अग्रवाल, नीरज सेठ, ऋषभ यादव, प्रतीक कुमार, धर्मेंद्र अग्रवाल, विवेक कुमार खन्ना, अल्पेस पटेल, मुकेश कुमार यादव, वीरेंद्र लाल वर्मा और महेश खेतान शामिल हैं। व्यापारियों का कहना है कि एफआईआर संख्या 235/2025 में उन्हें ऐसे अपराधों में आरोपित किया गया है, जिनसे उनका कोई संबंध नहीं है। उन्होंने कोर्ट से यह स्पष्ट करने की मांग की कि किन-किन धाराओं में उन्हें आरोपित किया गया है और साथ ही न्यायिक अभिरक्षा में लेने का आदेश जारी किया जाए।
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अधिवक्ता श्रीनाथ त्रिपाठी ने बयान दिया कि यह मामला झारखंड में कफ सिरप से बच्चों की मौत वाले विवाद जैसा नहीं है। उन्होंने बताया कि फेंसडील कफ सिरप एक कानूनी दवा है, जिसे पूरे देश में बेचा जाता है। उनके अनुसार, पूरा मामला बेबुनियाद है और जांच के नाम पर व्यापारियों से धन उगाही की जा रही है। उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि जब तक निष्पक्ष रिपोर्ट नहीं आती, किसी भी व्यापारी को गिरफ्तार न किया जाए।
व्यापारी लगातार डर के माहौल में हैं और अपने घरों से दूर छिपने को मजबूर हो गए हैं। उनका कहना है कि व्यापार वैध है और पूरे टर्नओवर का हिसाब कानूनी रूप से है। वे जांच में सहयोग देने के लिए तैयार हैं।
खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन ने वाराणसी में कार्रवाई करते हुए शैली ट्रेडर्स पर एफआईआर दर्ज की है। आरोप है कि 2023-25 के बीच 89 लाख फेंसडील कफ सिरप खरीदे गए और 84 लाख बोतलें 93 मेडिकल स्टोरों में बेची गईं, जिसकी कीमत लगभग 100 करोड़ रुपये आंकी गई। विभाग ने बताया कि यह लाइसेंस नियमों का उल्लंघन है और पूरे नेटवर्क की जांच जारी है।
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जांच में जीटी इंटरप्राइजेज, शिवम फार्मा, हर्ष फार्मा, डीसीए फार्मा, महाकाल मेडिकल स्टोर सहित 9 फर्मों को बंद पाया गया। कई फर्मों में भारी अनियमितताएं उजागर हुई हैं, जैसे एक ही स्थान पर दो फर्म रजिस्टर्ड होना, लाखों की खरीद पर दस्तावेज का अभाव और कई फर्मों का भौतिक अस्तित्व न होना।
जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रही है, दवा सप्लाई नेटवर्क से जुड़े और नाम सामने आने की संभावना है। व्यापारियों ने अदालत से सुरक्षा की गुहार लगाई है और अपनी निर्दोषता का दावा किया है। अब सभी की निगाहें अदालत और सरकार के अगले कदम पर टिकी हैं।