जिला अस्पताल में लापरवाही की हद: व्हीलचेयर न मिलने पर तीमारदार ने गोद में उठाया मरीज, मचा हड़कंप

उत्तर प्रदेश के बदायूं जिला अस्पताल में चिकित्सा लापरवाही का एक शर्मनाक मामला सामने आया है। एक मरीज को व्हीलचेयर या स्ट्रेचर न मिलने पर उसका तीमारदार उसे गोद में उठाकर इमरजेंसी वार्ड ले गया। आईये जानते हैं कि पूरा मामला क्या है?

Post Published By: Nidhi Kushwaha
Updated : 13 September 2025, 5:26 PM IST
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Budaun: उत्तर प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था एक बार फिर सवालों के घेरे में है। बदायूं जिला अस्पताल पुरुष से एक ऐसी शर्मनाक तस्वीर सामने आई है, जिसने पूरे प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही को उजागर कर दिया है। अस्पताल में व्हीलचेयर और स्ट्रेचर न मिलने के कारण एक मजबूर तीमारदार को अपने बीमार मरीज को गोद में उठाकर इमरजेंसी वार्ड तक ले जाना पड़ा।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, घटना बदायूं जिला अस्पताल पुरुष की है, जहां एक मरीज तेज बुखार से पीड़ित था। तीमारदार उसे तुरंत इलाज के लिए इमरजेंसी विभाग लाया, लेकिन अस्पताल के गेट पर कोई स्ट्रेचर और व्हीलचेयर उपलब्ध नहीं थी। वार्डबॉय मौके से नदारद थे और जब तीमारदार ने मदद मांगी तो उसे नजरअंदाज कर दिया गया।

मरीज को गोद में लेकर पहुंचाया इमरजेंसी वार्ड

अंततः मजबूर होकर तीमारदार ने मरीज को गोद में उठाया और खुद ही इमरजेंसी वार्ड तक पहुंचाया। इस पूरे घटनाक्रम को किसी अन्य व्यक्ति ने अपने मोबाइल में कैद कर सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया। वीडियो वायरल होते ही लोगों का गुस्सा फूट पड़ा और अस्पताल प्रशासन पर सवालों की बौछार होने लगी।

The caretaker arrived carrying the patient in his lap

मरीज को गोद में लेकर पहुंचा तीमारदार

स्थानीय लोगों का कहना है कि बदायूं जिला अस्पताल में ऐसी लापरवाही कोई नई बात नहीं है। अक्सर देखा गया है कि वार्डबॉय ड्यूटी पर रहते हुए भी मनमानी करते हैं और मरीजों को स्ट्रेचर या व्हीलचेयर देने से इंकार कर देते हैं। कई बार तीमारदार खुद स्ट्रेचर ढूंढते-ढूंढते थक जाते हैं।

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सीएमएस से नहीं हो सका संपर्क

इस पूरे मामले पर जब अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (सीएमएस) से संपर्क करने की कोशिश की गई, तो उनका मोबाइल फोन लगातार स्विच ऑफ आया। यह भी आरोप है कि सीएमएस अक्सर जनहित से जुड़े मामलों पर प्रतिक्रिया नहीं देते और शिकायतों को अनसुना कर देते हैं।

स्वास्थ्य विभाग की इस बेरुखी और गैरजिम्मेदारी के खिलाफ लोगों में आक्रोश है। स्थानीय सामाजिक संगठनों और जनप्रतिनिधियों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि इस मामले की जांच कर दोषी कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। साथ ही अस्पताल में मूलभूत सुविधाएं सुनिश्चित करने की भी अपील की गई है।

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स्वास्थ्य एक बुनियादी अधिकार है और ऐसे मामलों में लापरवाही न सिर्फ एक मरीज की जान खतरे में डालती है, बल्कि पूरे स्वास्थ्य तंत्र की साख को भी गिरा देती है। ऐसे में सवाल यही उठ रहा है कि क्या बदलेगी व्यवस्था, या यूं ही तड़पते रहेंगे मरीज?

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