

सोनभद्र में समाजवादी पार्टी कार्यकर्ताओं ने खाद की किल्लत और किसानों की समस्याओं को लेकर जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि सरकार खाद की कालाबाजारी में खुद शामिल है और विधायक-मंत्री केवल खनन में व्यस्त हैं।
धरना प्रदर्शन करते सपा कार्यकर्ता
Sonbhadra: किसानों की खाद, बिजली और पानी जैसी मूलभूत जरूरतों को लेकर भाजपा सरकार पर समाजवादी पार्टी ने जोरदार हमला बोला है। मंगलवार को सपा कार्यकर्ताओं ने डीएम कार्यालय पर धरना प्रदर्शन कर सरकार को आड़े हाथों लिया और खाद की कालाबाजारी को लेकर तीखा विरोध जताया।
प्रदर्शन की अगुवाई कर रहे समाजवादी पार्टी के जिला सचिव प्रमोद यादव ने कहा कि वर्तमान सरकार किसानों की समस्याओं के प्रति पूरी तरह उदासीन है। खाद की किल्लत ने किसानों की कमर तोड़ दी है, और सरकार इस पर आंखें मूंदे बैठी है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार खुद खाद की चोरी करवा रही है और प्रति बोरी 50 रुपय की अवैध वसूली कर रही है।
प्रमोद यादव ने कहा, सहकारी समितियों की दुकानें मात्र एक घंटे के लिए खोली जा रही हैं- सुबह 11 बजे से दोपहर 12 बजे तक, और फिर शाम 5 बजे बंद कर दी जाती हैं। इससे किसानों को घंटों लाइन में खड़ा रहना पड़ रहा है, लेकिन फिर भी खाद नहीं मिल पा रही। यह सरकार किसानों की आय दोगुनी करने की बात तो करती है, लेकिन हकीकत में उन्हें खाद के लिए तरसा रही है।
भाजपा सरकार पर समाजवादी पार्टी ने बोला जोरदार हमला
प्रदर्शन में मौजूद कार्यकर्ताओं का कहना था कि सत्तारूढ़ पार्टी के विधायक और मंत्री किसानों की समस्याओं से पूरी तरह अंजान हैं। वे केवल खनन माफियाओं के साथ गठजोड़ में व्यस्त हैं और जनहित के मुद्दों से उनका कोई लेना-देना नहीं है।
प्रमोद यादव ने यह भी कहा कि समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता लगातार जन चौपाल लगाकर गांव-गांव जाकर लोगों की समस्याएं सुन रहे हैं, और उसमें सबसे बड़ी समस्या किसानों की खाद को लेकर सामने आ रही है। उन्होंने कहा- हम गूंगी-बहरी सरकार को जगाने का काम कर रहे हैं। अगर जल्द ही खाद की कालाबाजारी पर रोक नहीं लगी और अन्नदाताओं को खाद उपलब्ध नहीं कराया गया, तो समाजवादी पार्टी बड़े आंदोलन के लिए बाध्य होगी।
सपा कार्यकर्ताओं का यह भी आरोप था कि खाद की आपूर्ति में पारदर्शिता नहीं है और कई बार खाद खुलेआम काले बाजार में बिक रही है, जबकि किसान समितियों में लाइन लगाकर खाली हाथ लौट रहे हैं। इससे न सिर्फ किसानों की फसल पर असर पड़ रहा है बल्कि आर्थिक संकट भी गहराता जा रहा है।
धरना-प्रदर्शन के दौरान सरकार विरोधी नारे लगाए गए और प्रशासन से मांग की गई कि वह जल्द से जल्द खाद वितरण की व्यवस्था को ठीक करे और कालाबाजारी में लिप्त लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे।