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सोनभद्र के कलेक्ट्रेट परिसर में संयुक्त वाम दलों ने ‘मनरेगा बचाओ’ अभियान के तहत जोरदार धरना-प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन का उद्देश्य केंद्र सरकार के नए बिल ‘विकसित भारत – रोजगार एवं आजीविका गारंटी मिशन (ग्रामीण)’ के माध्यम से मनरेगा योजना को खत्म करने के आरोप के खिलाफ विरोध जताना था।
नए बिल के खिलाफ धरना
Sonbhadra: सोनभद्र के कलेक्ट्रेट परिसर में संयुक्त वाम दलों ने 'मनरेगा बचाओ' अभियान के तहत जोरदार धरना-प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन का उद्देश्य केंद्र सरकार के नए बिल ‘विकसित भारत – रोजगार एवं आजीविका गारंटी मिशन (ग्रामीण)’ के माध्यम से मनरेगा योजना को खत्म करने के आरोप के खिलाफ विरोध जताना था।
वाम दलों का कहना है कि नए बिल के लागू होने से मनरेगा योजना का अस्तित्व खतरे में है। केंद्र सरकार इस बिल के माध्यम से योजना को बंद करने का प्रयास कर रही है। संयुक्त वाम दलों ने आरोप लगाया कि प्रांतीय सरकारों को बजट का 40 प्रतिशत योगदान देना होगा, जबकि अधिकांश राज्य पहले से ही भारी कर्ज में डूबे हुए हैं। इस कारण, वे योजना का वित्तीय समर्थन नहीं कर पाएंगे, जिससे योजना बंद होने का जोखिम बढ़ जाएगा।
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संयुक्त वाम दलों ने कहा कि मनरेगा योजना तत्कालीन यूपीए सरकार ने वाम दलों की पहल पर ग्रामीण खेत मजदूरों के हित में पारित की थी। इस योजना के माध्यम से देश के करोड़ों ग्रामीण खेत मजदूरों को रोजगार की गारंटी और स्थायी आजीविका मिली। योजना बंद होने से ग्रामीण मजदूरों की आजीविका सीधे प्रभावित होगी और उनकी आर्थिक सुरक्षा खतरे में पड़ जाएगी।
सोनभद्र: वाम दलों का कलेक्ट्रेट पर #मनरेगा बचाओ प्रदर्शन। नए बिल के माध्यम से योजना खत्म करने के आरोप में धरना, ग्रामीण मजदूरों की आजीविका सुरक्षित रखने की मांग। #Sonbhadra #manrega pic.twitter.com/qk59rRxSZH
— डाइनामाइट न्यूज़ हिंदी (@DNHindi) December 22, 2025
धरना-प्रदर्शन कलेक्ट्रेट परिसर स्थित गांधी प्रतिमा के समक्ष आयोजित किया गया। वाम दलों ने जोर देकर कहा कि मनरेगा योजना केवल रोजगार का साधन नहीं, बल्कि ग्रामीण गरीबों की जीवन रक्षा का महत्वपूर्ण माध्यम है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार इस योजना को समाप्त करने का बहाना ढूंढ रही है, जबकि वास्तविक उद्देश्य ग्रामीण रोजगार और आजीविका पर नियंत्रण स्थापित करना है।
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संयुक्त वाम दलों ने सरकार से तत्काल योजना को बनाए रखने और बजट की व्यवस्था सुनिश्चित करने की मांग की। उन्होंने कहा कि यदि सरकार योजना को बंद करने का प्रयास करती है, तो ग्रामीण मजदूरों के हक पर हमला होगा। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि यदि मनरेगा योजना को कमजोर किया गया तो राज्य और केंद्र में लगातार विरोध और आंदोलन जारी रहेगा।