

फतेहपुर जिले में सावन के तीसरे सोमवार को जिले में शिवभक्ति अपने चरम पर रही। हजारों की संख्या में श्रद्धालु तांबेश्वर महादेव और थवईश्वर महादेव मंदिर में जलाभिषेक के लिए पहुंचे।
फतेहपुर: उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले में सावन के तीसरे सोमवार को जिले में शिवभक्ति अपने चरम पर रही। हजारों की संख्या में श्रद्धालु तांबेश्वर महादेव और थवईश्वर महादेव मंदिर में जलाभिषेक के लिए पहुंचे। हर-हर महादेव और बोल बम के जयघोषों से पूरा इलाका शिवमय हो उठा। मान्यता है कि लगभग 400–500 वर्ष पहले यह शिवलिंग धरती से स्वयं प्रकट हुआ था, जिसे देखकर संतों ने इस स्थान पर मंदिर निर्माण करवाया। शिवजी ने भक्तों की भक्ति से प्रसन्न होकर मंदिर के रूप में प्रकट होने की कथा प्रचलित है ।
आस्था है कि जो भी भक्त यहाँ सच्चे मन से मन्नत मांगता है। उसकी इच्छा पूरी होती है। यह मंदिर मुख्य रूप से यही कारण से श्रद्धालुओं में प्रसिद्ध है। कुछ मान्यताओं के अनुसार, यहाँ बंद कैदियों को भी कभी-कभी सजा से मुक्त होने में मदद मिलती थी। मंदिर परिसर से ही जेल का मुख्य द्वार स्थित था।ऐसे मामलों की कहानियाँ भी प्रचलित हैं।
श्रावण माह में विशेषकर गंगा जल...
सावन के सोमवार और महाशिवरात्रि के अवसर पर यहाँ भारी भीड़ उमड़ती है। श्रावण माह में विशेषकर गंगा जल तथा अन्य सामग्री से जलाभिषेक की परंपरा निभाई जाती है। थवईश्वर धाम का महत्व धार्मिक आस्था और लोकमान्यता से परिपूर्ण है। यह शिवजी की अद्वितीय मूरत और भक्तों की गहरी श्रद्धा का केन्द्र है। सावन में यहाँ जलाभिषेक, भजन-कीर्तन, भक्ति‑समारोह आदि चलते रहते हैं। यदि आप दिव्य अनुभव और आस्था से राष्ट्रहित होते हैं, तो यह स्थल आपके लिए अत्यंत उपयुक्त है।लेकिन इस आस्था के महासागर के बीच भक्तों को घंटों तक ट्रैफिक जाम से भी जूझना पड़ा।
श्रद्धालु गाड़ियों से उतरकर पैदल...
तड़के सुबह से ही मंदिरों की ओर बढ़ने वाली सड़कों पर भारी भीड़ उमड़ पड़ी। जाम की स्थिति इतनी गंभीर थी कि कई श्रद्धालु गाड़ियों से उतरकर पैदल ही मंदिर तक पहुंचे। महिलाओं, बच्चों और बुज़ुर्गों को विशेष रूप से कठिनाई का सामना करना पड़ा।
हालांकि प्रशासन ने सुरक्षा और व्यवस्था को लेकर दावा किया था। लेकिन मंदिर के रास्तों पर ट्रैफिक नियंत्रण के इंतज़ाम नाकाफी साबित हुए। कई जगहों पर पुलिस बल मौजूद नहीं था, जिससे जाम और भी भयावह हो गया।
मंदिर परिसर में लगे स्थानीय मेले...
जाम के बावजूद भक्तों की आस्था डगमगाई नहीं। श्रद्धालु घंटों की मशक्कत के बाद मंदिर पहुंचे और भगवान शिव का जलाभिषेक कर पुण्य अर्जित किया। मंदिर प्रांगण में विशाल भंडारे का आयोजन किया गया। जिसमें हजारों लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया। वहीं ग्रामीण संस्कृति की झलक मंदिर परिसर में लगे स्थानीय मेले में बच्चों, युवाओं और परिवारों ने झूलों, दुकानों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आनंद लिया।
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