

नोएडा प्राधिकरण अदालतों में लंबित मामलों की समय पर पैरवी सुनिश्चित करने के लिए एक डिजिटल अलर्ट सॉफ्टवेयर तैयार करवा रहा है। यह सॉफ्टवेयर अधिकारियों को सुनवाई की तारीख से तीन दिन पहले अलर्ट भेजेगा, जिससे वे बेहतर तैयारी के साथ कोर्ट में पेश हो सकेंगे। इससे लैंड, कमर्शियल, ग्रुप हाउसिंग और इंडस्ट्री विभाग को खास फायदा होगा। इस पहल का मकसद कंटेम्प्ट केसों से बचाव और केस मॉनिटरिंग की प्रक्रिया को अधिक प्रभावी बनाना है। सॉफ्टवेयर इसी महीने तैयार हो जाएगा।
नोएडा प्राधिकरण और सुप्रीम कोर्ट (सोर्स: इंटरनेट)
Noida News: नोएडा प्राधिकरण अब अदालतों में लंबित मामलों को लेकर ज्यादा एक्टिव होता जा रहा है। समय पर केस की पैरवी और अदालत में उपस्थित रहने की प्रक्रिया को तकनीकी रूप से बेहतर बनाने के लिए प्राधिकरण एक डिजिटल अलर्ट सॉफ्टवेयर तैयार करा रहा है। इस सॉफ्टवेयर के माध्यम से सुनवाई की तारीख से तीन दिन पहले ही अधिकारियों को अलर्ट मिल जाएगा, जिससे वे तैयारी के साथ कोर्ट पहुंच सकेंगे।
सुप्रीम कोर्ट (सोर्स- इंटरनेट)
इन विभागों को होगा सबसे ज्यादा फायदा
यह कदम प्राधिकरण द्वारा लैंड, कमर्शियल, ग्रुप हाउसिंग और इंडस्ट्री से जुड़े सैकड़ों केसों की बेहतर निगरानी और संचालन के लिए उठाया गया है। लैंड विभाग के अंतर्गत आने वाले मामलों की संख्या सबसे ज्यादा बताई जा रही है।
इसी महीने तैयार हो जाएगा सॉफ्टवेयर
नोएडा प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (CEO) लोकेश एम ने बताया कि इस सॉफ्टवेयर की विकास प्रक्रिया अंतिम चरण में है। एक कंपनी द्वारा इसका प्रजेंटेशन भी किया गया है, जिसमें कुछ जरूरी संशोधनों के बाद इसे अंतिम रूप दिया जा रहा है। सीईओ ने बताया कि यह सॉफ्टवेयर इसी महीने तैयार कर लिया जाएगा। अदालतों में लंबित मामलों की पूरी जानकारी इसमें फीड की जाएगी। एक बार केस डाटा फीड होने के बाद यह सॉफ्टवेयर खुद ही अधिकारियों को निर्धारित तारीख से तीन दिन पहले अलर्ट भेजेगा।
इलाहाबाद हाईकोर्ट
मिलेगा कोर्ट मामलों पर नियंत्रण, नहीं होंगे कंटेम्प्ट केस
प्राधिकरण की योजना इस तकनीक के जरिए कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट (अवमानना) जैसे मामलों से बचने की है। अक्सर कोर्ट के आदेशों पर अनुपालन में देरी अथवा कोर्ट में समय पर पेश न हो पाने के चलते प्राधिकरण को फटकार या नोटिस झेलना पड़ता है। लेकिन इस नई प्रणाली के तहत समय से तैयारी और समन्वय संभव होगा। सीईओ लोकेश एम ने कहा, “इससे हम वकीलों के साथ बेहतर तालमेल बिठा सकेंगे और केस की अद्यतन स्थिति पर नजर रख पाएंगे। वकीलों का रिकॉर्ड भी इसी सिस्टम में सुरक्षित रहेगा।”
कई स्तरों पर होगी केस मॉनिटरिंग
इस सॉफ्टवेयर को फेज वाइज विकसित किया जाएगा। पहले फेज में सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट से जुड़े मामलों की जानकारी अपलोड की जाएगी। इसके बाद एनसीएलटी (राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण), एनएलएटी (नेशनल लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल) और एनजीटी (राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण) जैसे संस्थानों में चल रहे मामलों की जानकारी भी जोड़ी जाएगी।