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साइबर ठगों ने जिलाधिकारी के नाम और फोटो का दुरुपयोग कर फर्जी व्हाट्सएप अकाउंट बनाया है। वियतनाम नंबर से लोगों को कॉल कर ठगी का प्रयास किया जा रहा है। प्रशासन ने एडवाइजरी जारी कर लोगों से सतर्क रहने और पुलिस को सूचना देने की अपील की है।
डीएम के नाम से फर्जी व्हाट्सएप अकाउंट
Auraiya: साइबर ठग लगातार अपने तरीकों को बदलते जा रहे हैं और अब वे आम लोगों के साथ-साथ सरकारी तंत्र को भी निशाना बना रहे हैं। ताजा मामला जिले में सामने आया है, जहां जिलाधिकारी (डीएम) के नाम और फोटो का दुरुपयोग कर फर्जी व्हाट्सएप अकाउंट बनाया गया है। इस फेक अकाउंट के जरिए लोगों से संपर्क कर धोखाधड़ी का प्रयास किया जा रहा है। इस घटना के सामने आने के बाद प्रशासन और पुलिस महकमे में सतर्कता बढ़ा दी गई है।
जिलाधिकारी डॉ. इंद्रमणि त्रिपाठी की आधिकारिक पहचान का इस्तेमाल करते हुए साइबर अपराधियों ने एक व्हाट्सएप अकाउंट बनाया है। इस अकाउंट की डिस्प्ले पिक्चर (DP) में डीएम की फोटो लगाई गई है, जिससे लोग आसानी से भ्रमित हो सकते हैं। खास बात यह है कि यह फर्जी अकाउंट विदेशी, विशेषकर वियतनाम के नंबर से संचालित किया जा रहा है।
प्रशासन के अनुसार, 84588169187 नंबर से लोगों को कॉल और संदेश किए जा रहे हैं। इस नंबर के माध्यम से सरकारी काम, व्यक्तिगत मदद या अन्य बहानों से लोगों से संपर्क किया जा रहा है। डीएम ने स्पष्ट किया है कि यह नंबर उनका नहीं है और न ही इस नंबर से किए जा रहे कॉल या संदेशों का उनसे कोई संबंध है।
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जिलाधिकारी डॉ. इंद्रमणि त्रिपाठी ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जनपद वासियों, शासकीय अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए एडवाइजरी जारी की है। उन्होंने कहा है कि यदि किसी को उक्त नंबर से कॉल या मैसेज प्राप्त होता है और किसी प्रकार की मांग की जाती है, तो उसे तुरंत संदिग्ध मानें और किसी भी तरह की जानकारी साझा न करें।
डीएम ने साफ निर्देश दिए हैं कि ऐसे किसी भी कॉल या मैसेज की सूचना पुलिस की साइबर अपराध शाखा को तुरंत दी जाए। समय पर सूचना मिलने से न केवल ठगों को पकड़ने में मदद मिलेगी, बल्कि अन्य लोगों को भी ठगी का शिकार होने से बचाया जा सकेगा।
इस पूरे मामले की जानकारी पुलिस अधीक्षक को दे दी गई है। डीएम ने स्पष्ट किया है कि साइबर ठगी के इस प्रयास पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। पुलिस को फर्जी अकाउंट की पहचान करने, कॉल डिटेल्स खंगालने और संबंधित तकनीकी साक्ष्य जुटाने के निर्देश दिए गए हैं।
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विशेषज्ञों का मानना है कि साइबर ठग अब आम लोगों की तुलना में वरिष्ठ अधिकारियों की पहचान का इस्तेमाल इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि इससे लोगों पर तुरंत भरोसा बन जाता है। डीएम, एसपी या अन्य बड़े अधिकारियों का नाम देखकर लोग बिना जांच-पड़ताल के बातों में आ जाते हैं और यही ठगों का सबसे बड़ा हथियार बन रहा है।
प्रशासन ने खास तौर पर सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को भी सतर्क रहने को कहा है। कई बार विभागीय काम या आदेश के नाम पर ठग उनसे गोपनीय जानकारी या पैसे की मांग कर सकते हैं। ऐसे मामलों में किसी भी आदेश की पुष्टि आधिकारिक माध्यम से करना जरूरी बताया गया है।
पुलिस सूत्रों का कहना है कि शुरुआती जांच में यह किसी संगठित साइबर गिरोह का मामला लग रहा है। तकनीकी जांच के बाद इस गिरोह से जुड़े अन्य फर्जी अकाउंट और नंबरों का भी खुलासा हो सकता है। प्रशासन का कहना है कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।