Maharajganj News: फाइलेरिया जांच के लिए होगा नाइट ब्लड सर्वे, बनेगी रक्त पट्टिका, पढ़िये खास रिपोर्ट

महराजगंज में 19 से 24 मई तक रात दस से बारह बजे तक रक्त पट्टिका बनेगी। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की खास रिपोर्ट

Post Published By: Nidhi Kushwaha
Updated : 18 May 2025, 1:36 PM IST
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महराजगंज: उत्तर प्रदेश के महराजगंज जिले में फाइलेरिया जैसी गंभीर बीमारी की रोकथाम के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया जा रहा है। जिला स्वास्थ्य विभाग द्वारा 19 से 24 मई 2025 तक नाइट ब्लड सर्वे आयोजित किया जाएगा। इस सर्वे के तहत जिले के 12 ब्लॉकों के 24 गांवों से 7,200 लोगों की रक्त पट्टिका (ब्लड स्लाइड) तैयार की जाएगी। प्रत्येक ब्लॉक के दो गांवों से 600 लोगों (प्रति गांव 300) का रक्त नमूना लिया जाएगा। सर्वे के लिए गांवों का तिथिवार रोस्टर तैयार कर लिया गया है और रक्त पट्टिका बनाने के लिए लैब टेक्नीशियनों को विशेष प्रशिक्षण भी दिया जा चुका है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवददाता के अनुसार, यह सर्वे 20 वर्ष से अधिक आयु के लोगों पर केंद्रित होगा। डिप्टी सीएमओ डॉ. केपी सिंह ने इसकी जानकारी साझा करते हुए बताया कि यह पहल फाइलेरिया के प्रसार को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

क्यों होता है फाइलेरिया?

डॉ. केपी सिंह ने बताया कि फाइलेरिया एक परजीवी रोग है, जो बुचेरिया ब्रॉन्कफटाई और बी. मलाई नामक परजीवियों के कारण होता है। यह रोग क्यूलेक्स समूह की मादा मच्छरों के काटने से फैलता है। जब यह मच्छर फाइलेरिया से ग्रसित व्यक्ति का खून चूसने के बाद किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है, तो परजीवी स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। यह रोग शरीर के लटकने वाले अंगों, जैसे पैरों और जननांगों को प्रभावित करता है, जिसके कारण हाइड्रोसील या हाथीपांव जैसी गंभीर स्थिति उत्पन्न हो सकती है। हाथीपांव होने पर व्यक्ति का जीवन अत्यंत कष्टमय हो जाता है।

वहीं जिला मलेरिया अधिकारी डॉ. नीलोत्पल कुमार ने बताया कि नाइट ब्लड सर्वे का मुख्य उद्देश्य फाइलेरिया के परजीवियों की मौजूदगी का सटीक पता लगाना है। यह सर्वे रात के समय किया जाता है, क्योंकि फाइलेरिया के परजीवी रक्त में रात में अधिक सक्रिय होते हैं। इस दौरान लिए गए रक्त नमूनों से सही और विश्वसनीय परिणाम प्राप्त होते हैं, जो रोग की रोकथाम और उपचार में सहायक होते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह सर्वे जिले में फाइलेरिया के उन्मूलन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

प्रत्येक ब्लॉक से दो गांवों का चुनाव

सहायक जिला मलेरिया अधिकारी अनिल चौरसिया ने बताया कि सर्वे के लिए प्रत्येक ब्लॉक से दो गांव चुने गए हैं, जिनमें एक सेंटीनल (निश्चित) और एक रैंडम गांव शामिल है। उन्होंने फाइलेरिया के लक्षणों के बारे में भी जानकारी दी, जिसमें बुखार, शरीर में खुजली, हाथ-पैरों में सूजन, हाइड्रोसील और हाथीपांव प्रमुख हैं। यह रोग धीरे-धीरे गंभीर रूप लेता है, जिससे समय रहते इसकी पहचान और उपचार अत्यंत आवश्यक है। सर्वे के दौरान स्वास्थ्य विभाग की टीमें गांव-गांव जाकर लोगों को जागरूक भी करेंगी और रोग से बचाव के उपाय सुझाएंगी।

यह नाइट ब्लड सर्वे न केवल फाइलेरिया की स्थिति का आकलन करेगा, बल्कि जिले में इस रोग के उन्मूलन के लिए स्वास्थ्य विभाग की रणनीति को और मजबूत करेगा। स्थानीय लोगों से अपील की गई है कि वे सर्वे में सहयोग करें और अपने स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए इस पहल का हिस्सा बनें।

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