

हराजगंज जिले के गौनरिया राजा गांव में कुवैत से मजदूरी कर लौटे एक प्रवासी मजदूर का शव 18 दिन बाद घर पहुंचा। उनके निधन से परिवार और गांव में शोक का माहौल है। ग्रामीणों ने सरकार से आर्थिक मदद की मांग की है।
कुवैत से गांव पहुंचा मजदूर का शव
Maharajganj: महराजगंज जिले के चौक थाना क्षेत्र स्थित गौनरिया राजा गांव में गुरुवार को गम का माहौल फैल गया। जहां कुवैत में मजदूरी कर रहे रामबचन यादव का शव 18 दिन बाद उनके घर पहुंचा। बताया जा रहा है कि कानूनी औपचारिकताओं की वजह से परिजनों को 18 दिन इंतजार करना पड़ा।
जैसे ही शव घर आया, पत्नी शकुंतला देवी और तीनों बेटियों का रो-रोकर बुरा हाल हो गया। परिवार के सदस्य और आस-पास के लोग भी इस दुखद घटना से सिहर उठे और गांव में मातम का माहौल छा गया।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, रामबचन यादव कुवैत में मजदूरी कर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे थे। लेकिन कुछ दिन पहले उनकी अचानक तबियत बिगड़ गई और इलाज के बावजूद उनकी मौत हो गई। परिवार के लिए यह वाकई बहुत बड़ा सदमा है क्योंकि रामबचन ही घर के अकेले कमाने वाले सदस्य थे।
महराजगंज: चौक थाना क्षेत्र के गौनरिया राजा गांव में 18 दिन बाद कुवैत से मजदूरी कर रहे प्रवासी मजदूर का शव गांव पहुंचा। शव आते ही परिजनों में कोहराम मच गया। @maharajganjpol @Uppolice #Kuwait #deadbody pic.twitter.com/vjbWOEwPqr
— डाइनामाइट न्यूज़ हिंदी (@DNHindi) September 18, 2025
परिजनों ने रामबचन के शव को वापस लाने के लिए कुवैत सरकार और प्रशासन से संपर्क किया, लेकिन कानूनी और कागजी कार्यवाही के कारण शव को आने में 18 दिन लग गए। इन दिनों के दौरान परिवार के लोग और गांववाले शव के आने का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। जब शव घर पहुंचा, तो अंतिम दर्शन करने के लिए गांवभर से लोग इकट्ठा हो गए।
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रामबचन की मौत से उनका परिवार बुरी तरह प्रभावित हुआ है। उनके तीन मासूम बेटियां हैं और अब उनकी परवरिश और पढ़ाई का सारा बोझ पत्नी शकुंतला देवी पर आ पड़ा है। पहले ही गरीब परिवार के पास कमाने का कोई अन्य साधन नहीं था और अब यह संकट और भी बढ़ गया है। गांववाले इस संकट की घड़ी में परिवार के साथ खड़े हैं, लेकिन उन्होंने प्रशासन से भी मांग की है कि इस परिवार को आर्थिक मदद और सरकारी सहायता दी जाए, ताकि उनकी मुश्किलें थोड़ी कम हो सकें।
रामबचन यादव के अंतिम संस्कार के समय पूरा गांव उमड़ पड़ा। गांववालों ने नम आंखों से रामबचन को विदाई दी और कहा कि प्रवासी मजदूर विदेशों में जाकर अपना खून-पसीना बहाकर परिवार की उम्मीदों का सहारा बनते हैं, लेकिन जब ऐसी घटना घटित होती है, तो पूरा परिवार बिखर जाता है। ग्रामीणों का मानना है कि सरकार को ऐसे परिवारों के लिए बेहतर योजना बनानी चाहिए।
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