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गोरखपुर के सहजनवां में 21 साल पुराने अवैध कब्जे पर कोर्ट के आदेश से बड़ी कार्रवाई हुई। पुलिस की मौजूदगी में मकान खाली कराकर पीड़िता को उसका हक दिलाया गया। उपनिरीक्षक सुरेश यादव, उपनिरीक्षक देवेंद्र दुबे, कांस्टेबल रुद्र सिंह और हरेंद्र चौहान समेत कई पुलिसकर्मी तैनात रहे।
पुलिस की मौजूदगी में मकान खाली
Gorakhpur: सहजनवां नगर पंचायत क्षेत्र के वार्ड नंबर 14 लुचई में सोमवार को उस वक्त सनसनी फैल गई। जब 21 साल से जमे अवैध कब्जे पर कानून का डंडा चला। लंबे समय से चले आ रहे इस विवाद में आखिरकार न्याय की जीत हुई। न्यायालय के सख्त आदेश पर पुलिस की मौजूदगी में मकान खाली कराकर पीड़िता को उसका हक दिलाया गया।
वार्ड 14 लुचई निवासी उर्मिला पत्नी रविंद गोंड का आरोप था कि उनके ही मायके पक्ष के राजकुमार ने करीब 21 साल पहले उनके मकान पर अवैध कब्जा कर लिया था। पीड़िता ने शुरुआत में परिवार और समाज के स्तर पर कई बार मामला सुलझाने की कोशिश की लेकिन हर बार उसे निराशा ही हाथ लगी। दबंगई बढ़ती गई और पीड़िता अपने ही घर से बेदखल होकर रह गई।
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थक-हारकर उर्मिला ने वर्ष 2017 में जूनियर डिवीजन सिविल न्यायालय (तृतीय) में बेदखली का मुकदमा दायर किया। मामला वर्षों तक अदालत में चला। गवाह, दस्तावेज और साक्ष्यों की गहन जांच के बाद अदालत ने साफ तौर पर अवैध कब्जे को गलत ठहराया और पीड़िता के पक्ष में फैसला सुनाया। अदालत ने मकान खाली कराकर विधिवत कब्जा दिलाने के आदेश दिए।
सोमवार को अदालत अमीन वीरेंद्र पाण्डेय और सहायक अमीन मोहित श्रीवास्तव की अगुवाई में टीम मौके पर पहुंची। किसी भी टकराव की आशंका को देखते हुए पुलिस बल पूरी तरह मुस्तैद रहा। उपनिरीक्षक सुरेश यादव, उपनिरीक्षक देवेंद्र दुबे, कांस्टेबल रुद्र सिंह और हरेंद्र चौहान समेत कई पुलिसकर्मी तैनात रहे। प्रशासन की मौजूदगी में मकान खाली कराया गया और पीड़िता को शांतिपूर्ण तरीके से कब्जा सौंप दिया गया।
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कार्रवाई के दौरान आसपास के लोग मौके पर जुट गए लेकिन पूरी प्रक्रिया बिना किसी हंगामे के पूरी हुई। न्याय मिलने पर पीड़िता की आंखों में राहत साफ झलक रही थी। इस मामले ने इलाके में यह संदेश दे दिया कि चाहे कितना भी समय क्यों न लग जाए, अंत में जीत कानून की ही होती है और अवैध कब्जा ज्यादा दिन तक टिक नहीं सकता।