

इस नेटवर्क का सबसे खतरनाक चेहरा माना जा रहा है अब्दुल रहमान कुरैशी, जो आगरा का निवासी है। कुरैशी यूट्यूब चैनल और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के जरिए नाबालिग लड़कियों को टारगेट करता था। “इस्लामिक शिक्षा” के नाम पर उनका ब्रेनवॉश किया जाता था। धीरे-धीरे उन्हें कट्टरपंथी और जिहादी विचारधारा से जोड़ दिया जाता था।
प्रतीकात्मक फोटो (सोर्स: इंटरनेट)
Agra News: उत्तर प्रदेश के आगरा से सामने आए धर्मांतरण गैंग की जांच में सुरक्षा एजेंसियों को बड़ा और चौंकाने वाला खुलासा हाथ लगा है। जांच में सामने आया है कि इस गैंग का संचालन सिर्फ देश में बैठे कुछ व्यक्तियों द्वारा नहीं, बल्कि यह एक अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क का हिस्सा था। जिसका संबंध सीधे पाकिस्तान आधारित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा हुआ था। इस गिरोह को यूएई, कनाडा, लंदन और अमेरिका से अंतरराष्ट्रीय फंडिंग मिल रही थी। इन पैसों के जरिए पूरे देश में धर्मांतरण, लव जिहाद और नाबालिग लड़कियों के ब्रेनवॉश का जाल फैलाया जा रहा था।
गिरफ्तार आरोपियों से मिला आतंक की साजिश का सुराग
गिरोह की मुख्य फाइनेंसर गोवा निवासी आयशा उर्फ एसबी कृष्णा को गिरफ्तार कर लिया गया है। आयशा विदेशों से आने वाली फंडिंग को भारत में अलग-अलग जगहों पर पहुंचाने का काम करती थी। फंडिंग का संचालन कनाडा में बैठा सैयद दाउद अहमद करता था, जो सीधे आयशा के बैंक खातों में पैसा भेजता था। आयशा का पति शेखर राय उर्फ हसन अली (निवासी कोलकाता) इस नेटवर्क का लीगल एडवाइजर था। धर्मांतरण से जुड़े कानूनी दस्तावेजों और फर्जी आईडी की व्यवस्था करता था। उसे भी गिरफ्तार कर लिया गया है।
ब्रेनवॉश और कट्टरपंथ की ट्रेनिंग में जुटा था कुरैशी
इस नेटवर्क का सबसे खतरनाक चेहरा माना जा रहा है अब्दुल रहमान कुरैशी, जो आगरा का निवासी है। कुरैशी यूट्यूब चैनल और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के जरिए नाबालिग लड़कियों को टारगेट करता था। "इस्लामिक शिक्षा" के नाम पर उनका ब्रेनवॉश किया जाता था। धीरे-धीरे उन्हें कट्टरपंथी और जिहादी विचारधारा से जोड़ दिया जाता था। कोलकाता से गिरफ्तार एक अन्य आरोपी ओसामा भी इसी काम में कुरैशी के साथ सक्रिय था। दोनों मिलकर लड़कियों को परिजनों से अलग करने और संगठन के लिए तैयार करने का काम करते थे।
फर्जी सिम और लोकेशन छिपाने में माहिर था मुस्तफा उर्फ मनोज
इस नेटवर्क का लॉजिस्टिक मैनेजर था दिल्ली से गिरफ्तार किया गया मुस्तफा उर्फ मनोज। उसका काम था फर्जी दस्तावेजों पर प्री-एक्टिवेटेड सिम कार्ड्स उपलब्ध कराना, जिससे लड़कियों की ट्रैकिंग संभव न हो सके। गिरफ्तारी के बाद खुलासा हुआ है कि ब्रेनवॉश की गई लड़कियों को पहले दिल्ली लाया जाता, जहां से उन्हें बसों के जरिए उत्तर भारत के अन्य राज्यों में भेजा जाता था। नेटवर्क जानबूझकर रेल का इस्तेमाल नहीं करता था, क्योंकि ट्रेनों में लोकेशन ट्रेस होने का खतरा अधिक रहता है।
ISIS पैटर्न पर ऑपरेट हो रहा था नेटवर्क
जांच में यह भी सामने आया है कि यह गिरोह ISIS की तर्ज पर काम कर रहा था। प्रत्येक सदस्य को उसकी भूमिका सौंपी गई थी। जैसे फंडिंग, ब्रेनवॉश, लॉजिस्टिक्स, लीगल सपोर्ट और सोशल मीडिया प्रचार। एजेंसियों को शक है कि यह नेटवर्क देशभर में लव जिहाद और धर्मांतरण की कई घटनाओं के पीछे सक्रिय था।
कई राज्यों में चल रही जांच
इस मामले में अब एनआईए, एटीएस और अन्य खुफिया एजेंसियां जांच में जुट गई हैं। देशभर में फैले नेटवर्क की लिंक्स की पड़ताल की जा रही है। प्रारंभिक जानकारी में पता चला है कि यह गिरोह कम से कम 7 राज्यों में सक्रिय था। इसका मुख्य उद्देश्य भारतीय सामाजिक ताने-बाने को कमजोर करना और आतंकवादी नेटवर्क को जमीनी समर्थन देना था।