

जालौन में तालाबंदी रोकने की रणनीति तैयार करने के लिए जन संघर्ष मोर्चा ने बैठक का आयोजन किया। डाइनामाइट न्यूज़ पर पढ़ें पूरी खबर
फैक्ट्री का उत्पादन हॉल
जालौन: हिंदुस्तान यूनिलीवर की उरई यूनिट में तालाबंदी के कथित प्रयासों का स्थानीय स्तर पर व्यापक विरोध शुरू हो गया है। इस मुद्दे पर रणनीति तैयार करने के लिए जन संघर्ष मोर्चा ने एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया। बैठक में फैक्ट्री बंद करने की कथित साजिश के खिलाफ एकजुट होकर संघर्ष करने का निर्णय लिया गया। साथ ही, जिला प्रशासन और फैक्ट्री प्रबंधन से बातचीत शुरू करने की योजना बनाई गई।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, इस बैठक की अध्यक्षता के.पी. सिंह ने की, जबकि संचालन गिरेंद्र सिंह कुशवाह ने किया। इस अवसर पर वयोवृद्ध समाजसेवी राम कृष्ण शुक्ला ने कहा कि हिंदुस्तान यूनिलीवर की उरई यूनिट को कपटपूर्ण तरीके से बंद करने की कोशिश की जा रही है। इससे फैक्ट्री के कर्मचारी बेचैन हैं, लेकिन प्रबंधन के दबाव के कारण वे खुलकर विरोध नहीं कर पा रहे।
इस दौरान, राम कृष्ण शुक्ला ने जोर देकर कहा कि अगर जन संगठन और स्थानीय लोग इस मुद्दे पर पहल करें, तो कर्मचारियों का मनोबल बढ़ेगा और वे भी संघर्ष में शामिल होंगे। उन्होंने सुझाव दिया कि सबसे पहले जिला प्रशासन और फैक्ट्री प्रबंधन से बातचीत की जाए। अगर प्रबंधन हठधर्मिता दिखाता है, तो आंदोलन का रास्ता अपनाया जाएगा।
सभा में कई लोग हुए शामिल
बैठक में पूर्व विधायक संतराम कुशवाहा के आवास पर आयोजित इस सभा में कई गणमान्य लोगों ने हिस्सा लिया। पूर्व विधायक कप्तान सिंह राजपूत, वरिष्ठ पत्रकार अनिल शर्मा, अशोक गुप्ता महाबली, शम्भू दयाल, चौधरी जय करन सिंह, युवा नेता अंशुमन सेंगर और रेहान सिद्दीकी ने अपने विचार रखे। सभी ने तालाबंदी के प्रयासों की निंदा की और इसे क्षेत्र के आर्थिक विकास के लिए हानिकारक बताया।
बैठक में जालौन जिले के लिए इन्वेस्टर्स समिति द्वारा हस्ताक्षरित एमओयू को लागू करने की मांग भी उठी। इसके अलावा, बुंदेलखंड में नए उद्योगों को प्रोत्साहन देने के लिए बिजली शुल्क और जीएसटी में छूट की आवश्यकता पर जोर दिया गया। वक्ताओं ने कहा कि बुंदेलखंड जैसे पिछड़े क्षेत्र में औद्योगिक विकास के लिए सरकार को विशेष नीतियां अपनानी चाहिए।
जन जागरूकता अभियान चलाने का फैसला
जन संघर्ष मोर्चा ने फैसला लिया कि तालाबंदी के खिलाफ जन जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। साथ ही, कर्मचारियों और स्थानीय समुदाय को एकजुट करने के लिए विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा। यह भी तय हुआ कि अगर प्रबंधन ने सकारात्मक रुख नहीं अपनाया, तो विरोध प्रदर्शन और धरना जैसे कदम उठाए जाएंगे।