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कहटा की निवासी अनीता देवी ने जिला प्रशासन को शिकायती पत्र सौंपकर वन विभाग के उच्च अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
ग्रामीणों ने सौंपा प्रार्थना पत्र
जालौन: तहसील उरई के विकास खंड डकोर के ग्राम कहटा की निवासी अनीता देवी ने जिला प्रशासन को एक सनसनीखेज शिकायती पत्र सौंपकर वन विभाग के उच्च अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, अनीता ने दावा किया है कि उनके पति, रामेंद्र सिंह, पिछले 16 वर्षों से वन क्षेत्र कहटा में दैनिक भोगी बाचर के पद पर कार्यरत है। उन्हें वन विभाग के अधिकारियों ने अवैध खनन के झूठे मामले में फंसाने की साजिश रची है।
दरअसल, अनीता ने अपने शिकायती पत्र में बताया कि उनके पति रामेंद्र सिंह ने हमेशा वन क्षेत्र की सुरक्षा और देखरेख में पूर्ण ईमानदारी और निष्ठा के साथ काम किया है। उन्होंने बार-बार वन विभाग के अधिकारियों को अवैध खनन रोकने की सलाह दी थी। लेकिन, अनीता के अनुसार, जिले में तैनात वन विभाग के उच्च अधिकारी खनन ठेकेदारों के साथ मिलकर अवैध खनन करवाते हैं और इससे मोटी रकम वसूलते हैं। रामेंद्र सिंह की सलाह से नाराज होकर अधिकारियों ने उनके खिलाफ साजिश रची और उन्हें झूठे आरोपों में फंसाने के लिए थाने में प्रार्थना पत्र दाखिल किया, जिसमें उन्हें अवैध खनन का दोषी ठहराने की कोशिश की गई।
अनीता ने दावा किया कि उनके पति पूरी तरह निर्दोष हैं और उनके पास वन विभाग के अधिकारियों और खनन माफियाओं के बीच सांठगांठ के ठोस सबूत मौजूद हैं। उन्होंने बताया कि हाल ही में कुछ राजनेताओं और पत्रकारों द्वारा अवैध बालू खनन की शिकायतें उठाए जाने के बाद वन विभाग के अधिकारियों ने अपने कृत्यों को छिपाने के लिए रामेंद्र सिंह को बलि का बकरा बनाने की कोशिश की है। अनीता ने यह भी आरोप लगाया कि अधिकारियों ने अपने अवैध कार्यों को छिपाने के लिए उनके पति को निशाना बनाया ताकि उनकी गलतियों का ठीकरा किसी और पर फोड़ा जा सके।
निष्पक्ष जांच की मांग
अनीता ने जिलाधिकारी से इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है। उन्होंने सुझाव दिया कि जांच के लिए स्वयं जिलाधिकारी या किसी निष्पक्ष और ईमानदार अधिकारी को ग्राम कहटा भेजा जाए ताकि सच्चाई सामने आ सके। अनीता ने चेतावनी दी कि अगर उनके पति के खिलाफ झूठी कार्रवाई की गई तो उनके परिवार को अपूरणीय क्षति होगी। उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले में स्थानीय लोगों का समर्थन उनके साथ है और ग्रामीण भी इस मामले में निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं।