क्या लाखों शिक्षकों की नौकरी पर मंडरा रहा है खतरा? सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने बढ़ाई चिंता

अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ एवं उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ ने सर्वोच्च न्यायालय के एक हालिया निर्णय पर गंभीर चिंता जताई है, जिसमें देश के सभी सेवारत शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) उत्तीर्ण करना अनिवार्य किया गया है।

Post Published By: Poonam Rajput
Updated : 5 September 2025, 2:04 PM IST
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Barabanki: अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ एवं उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ ने सर्वोच्च न्यायालय के एक हालिया निर्णय पर गंभीर चिंता जताई है, जिसमें देश के सभी सेवारत शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) उत्तीर्ण करना अनिवार्य किया गया है। इस फैसले को लेकर शिक्षक संगठनों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर अपील की है कि इस निर्णय पर पुनर्विचार किया जाए, क्योंकि यह लाखों शिक्षकों के भविष्य और शिक्षा प्रणाली की स्थिरता पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।

शिक्षकों में असमंजस और भय का माहौल

संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुशील पांडे ने प्रधानमंत्री को संबोधित अपने पत्र में कहा कि यह आदेश देशभर के उन शिक्षकों के लिए चिंता का विषय बन गया है, जो वर्षों से सेवा में हैं और जिन्हें नियुक्त करते समय उस समय की सेवा नियमावलियों का पालन किया गया था। अब उन्हें अचानक अयोग्य ठहराया जाना न्याय और नैतिकता दोनों के खिलाफ है। इससे शिक्षा व्यवस्था में अविश्वास और अस्थिरता की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।

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बाराबंकी से उठा पुनर्विचार की मांग का स्वर

उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ बाराबंकी के जिलाध्यक्ष डॉ. राकेश सिंह ने बताया कि शिक्षक संगठनों की ओर से प्रधानमंत्री को भेजे गए पत्र में स्पष्ट किया गया है कि वर्षों पूर्व चयनित और सेवारत शिक्षक उस समय की वैध प्रक्रिया से नियुक्त किए गए थे। ऐसे में आज उन्हें अर्हता के नए मानकों पर खरा न उतरने की स्थिति में अयोग्य घोषित करना, उनके जीवन, आजीविका और आत्मसम्मान पर आघात है।

नीतिगत समाधान की उठी मांग

पत्र में यह भी मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पुनर्विचार कर केंद्र सरकार एक सर्वसम्मत और व्यावहारिक समाधान निकाले, जिससे सेवा में लगे शिक्षकों की गरिमा और देश की प्राथमिक शिक्षा प्रणाली दोनों सुरक्षित रह सकें। संगठनों का कहना है कि शिक्षकों को असमर्थ या अयोग्य करार देना, न केवल उनके लिए अन्यायपूर्ण है, बल्कि इससे शिक्षण गुणवत्ता और छात्रों की शिक्षा भी प्रभावित हो सकती है।

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सरकार से शीघ्र पहल की अपेक्षा

देशभर में इस निर्णय को लेकर व्यापक असंतोष है और शिक्षक समुदाय अब केंद्र सरकार की ओर देख रहा है कि वह इस संवेदनशील मुद्दे पर संवेदनशीलता और समझदारी के साथ निर्णय ले। शिक्षक संगठनों ने आशा व्यक्त की है कि प्रधानमंत्री इस विषय को गंभीरता से लेकर शिक्षकों की आवाज़ सुनेंगे और सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार की प्रक्रिया शीघ्र शुरू करेंगे।

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