बाराबंकी में दिल दहला देने वाला मामला: प्रेम प्रसंग को लेकर युवक के दोनों पैर काटे, कोर्ट के आदेश पर केस दर्ज; पढ़ें पूरा मामला

बाराबंकी में चार माह पूर्व युवक के दोनों पैर काटकर उसे रेल पटरी पर फेंकने के सनसनीखेज मामले में कोर्ट के आदेश पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है। पीड़ित पक्ष को थाने में रिपोर्ट दर्ज कराने में महीनों तक संघर्ष करना पड़ा। अब न्यायालय के हस्तक्षेप से जांच शुरू हो गई है।

Post Published By: सौम्या सिंह
Updated : 3 September 2025, 7:43 PM IST
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Barabanki: जिले में चार माह पूर्व हुई एक दिल दहला देने वाली घटना ने अब नया मोड़ ले लिया है। एक युवक को बेरहमी से घायल कर रेल पटरी पर फेंकने के मामले में जिला एवं सत्र न्यायालय बाराबंकी के आदेश पर पुलिस ने आखिरकार केस दर्ज कर लिया है। पीड़ित के पिता की ओर से लंबे समय तक न्याय की गुहार लगाने के बावजूद थाना स्तर पर कोई सुनवाई नहीं हुई, जिसके चलते न्यायालय की शरण लेनी पड़ी।

प्यार की रंजिश में युवक के पैर काटे

घटना 5 मई की रात लगभग 2 बजे की है। लोनीकटरा थाना क्षेत्र के ग्राम रुकनापुर निवासी इसरार अहमद ने कोर्ट को बताया कि उनके बेटे फरमान अहमद को गांव के ही रामकरन पुत्र रामकिशोर उर्फ छूरी और उसके चार अज्ञात साथियों ने रास्ते में रोककर बेरहमी से हमला किया। आरोप है कि फरमान एक आर्केस्ट्रा कार्यक्रम देखकर घर लौट रहा था, तभी पुरानी रंजिश को लेकर हमला किया गया।

Barabanki Crime

न्यायालय के हस्तक्षेप से जांच शुरू

पीड़ित पक्ष के अनुसार, लड़की से बातचीत को लेकर हमलावर फरमान से नाराज थे। उन्होंने पहले तो युवक के साथ मारपीट की, फिर उसके हाथ-पैर बांधकर दोनों पैर घुटनों के नीचे से काट डाले और मरा समझकर रेलवे ट्रैक पर फेंक दिया। घटना की जानकारी ट्रेन चालक ने रेलवे कंट्रोल को दी, जिसके बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने गंभीर रूप से घायल फरमान को पहले सीएचसी त्रिवेदीगंज, फिर जिला अस्पताल और बाद में लखनऊ के ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया।

कोर्ट के आदेश पर चार माह बाद FIR दर्ज

कुछ दिनों बाद जब फरमान को होश आया, तब उसने अपने पिता को पूरी घटना की जानकारी दी। इसरार अहमद का आरोप है कि उन्होंने थाना लोनीकटरा और एसपी बाराबंकी को कई बार प्रार्थनापत्र देकर एफआईआर दर्ज कराने का प्रयास किया, लेकिन विपक्षियों की थाने में पकड़ होने के कारण उनकी रिपोर्ट नहीं लिखी गई।

आखिरकार इसरार अहमद ने न्यायालय की शरण ली, जहां से आदेश मिलने के बाद पुलिस ने अब केस दर्ज कर लिया है। मामले में मुख्य आरोपी रामकरन के साथ चार अज्ञात व्यक्तियों को नामजद किया गया है। धाराओं में गंभीर हत्या प्रयास, अपहरण, मारपीट और साजिश से संबंधित प्रावधान शामिल किए गए हैं।

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पुलिस अधिकारियों का कहना है कि कोर्ट के आदेश के अनुपालन में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है और जांच शुरू कर दी गई है। वहीं पीड़ित परिवार का कहना है कि उन्हें अब भी जान का खतरा है और प्रशासन से सुरक्षा की मांग की है।

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यह मामला न केवल मानवता को शर्मसार करने वाला है, बल्कि यह भी दिखा रहा है कि प्रभावशाली लोगों के दबाव में किस तरह गरीबों की आवाज दबाई जाती है। अब देखना होगा कि न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद पीड़ित परिवार को न्याय मिल पाता है या नहीं।

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