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गोला ब्लॉक में रबी की बुआई के चरम समय में किसानों को खाद और बीज के लिए भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। ब्लॉक की 10 सहकारी समितियों पर मात्र 6 सचिव तैनात हैं, जिनमें कई सचिवों को दो-दो समितियों की जिम्मेदारी उठानी पड़ रही है।
गोला ब्लॉक
Gorakhpur: रबी सीजन की बुआई अपने चरम पर है, लेकिन गोला ब्लॉक के किसानों को खाद-बीज के लिए लगातार चक्कर काटने पड़ रहे हैं। जिसकी वजह, ब्लॉक की कुल 10 साधन सहकारी समितियों पर सिर्फ 6 सचिवों का जिम्मा, जिनमें से चार सचिवों को दो-दो समितियों का चार्ज संभालना पड़ रहा है। सचिवों की इस भारी कमी ने खाद-बीज वितरण प्रणाली को बुरी तरह प्रभावित कर दिया है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, गोला ब्लॉक में स्थित सभी 10 सहकारी समितियां इस समय सक्रिय हैं और किसानों को खाद, बीज और अन्य कृषि सामग्री उपलब्ध कराने का कार्य करती हैं। लेकिन सहकारिता विभाग में सचिवों की कमी ने इन समितियों की कार्यक्षमता को कमज़ोर कर दिया है। नियम के अनुसार प्रत्येक समिति पर एक सचिव की तैनाती आवश्यक है, लेकिन वर्तमान व्यवस्था में एक सचिव को एक दिन में सिर्फ एक समिति की ही देखभाल करने का समय मिल पाता है। ऐसे में दूसरी समिति पर ताले लटक जाते हैं, जिससे किसान ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।
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गेहूं बुआई का पीक समय होने के बावजूद किसान खाद-बीज न मिलने से परेशान हैं। क्षेत्र के कई किसान बताते हैं कि एक समिति से दूसरे समिति तक चक्कर काटने के बाद भी जरूरी खाद और बीज समय से नहीं मिल पा रहा। इससे बुआई में देरी हो रही है और उत्पादन पर सीधा असर पड़ने का खतरा बढ़ गया है। किसान कहते हैं कि अगर प्रत्येक समिति पर एक सचिव की समय से तैनाती होती, तो यह समस्या खड़ी ही नहीं होती।
प्रगतिशील किसान निशीथ राय ने कहा कि “ब्लॉक में सभी समितियां सक्रिय हैं, ऐसे में तत्काल सचिवों की नियुक्ति जरूरी है। खाद-बीज की समय पर उपलब्धता न केवल फसल के लिए, बल्कि किसान की सालभर की मेहनत और उत्पादन के लिए भी अहम है।” जानकारी के अनुसार, ककरही, चिलवा, पकड़ी, परसिया मिश्र समितियों पर नियुक्त सचिवों के पास दो-दो समितियों का चार्ज है। वहीं भरोह समिति 22 साल बाद इस वर्ष पहली बार सक्रिय हुई है, लेकिन सचिवों की कमी यहां भी विकास कार्यों में बाधा बन रही है।
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इस बीच, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी हाल ही में बस्ती में विकास समीक्षा बैठक के दौरान खाद-बीज वितरण में आ रही समस्याओं को गंभीरता से लेते हुए कहा था कि प्रत्येक समिति पर एक सचिव की तैनाती आवश्यक है, ताकि किसानों को किसी तरह की परेशानी न हो। सचिवों की कमी दूर न हुई तो बुआई की रफ्तार और उत्पादन दोनों पर संकट गहराने का खतरा बढ़ता जा रहा है। किसान उम्मीद कर रहे हैं कि विभाग जल्द से जल्द इस दिशा में कदम उठाएगा।