

उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में गंगा नदी का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर बना हुआ है। गुरुवार सुबह यह स्तर 113.100 मीटर दर्ज किया गया। बाढ़ का पानी शहरी और ग्रामीण इलाकों में तेजी से फैल रहा है। कई मोहल्ले और गांव जलमग्न हो गए हैं। सैकड़ों परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर शरण लेनी पड़ी है।
गंगा का जलस्तर खतरे के पार
Unnao: केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, गुरुवार सुबह गंगा का जलस्तर 113.100 मीटर रिकॉर्ड किया गया, जो कि खतरे के निशान से 12 सेंटीमीटर ऊपर है। हालांकि बीते 24 घंटों में जलस्तर में मामूली गिरावट दर्ज की गई है, लेकिन राहत के आसार नजर नहीं आ रहे। बारिश और गंगा के उफान के कारण जिले के नगरीय और ग्रामीण क्षेत्रों में बाढ़ का पानी तेजी से फैल गया है। कई मोहल्ले ऐसे हैं जहां सड़कें और गलियां पूरी तरह डूब गई हैं।
शहर के कई मोहल्लों में पानी घुसा
उन्नाव शहर के भातू फार्म, अंबिकापुरम और गायत्री नगर जैसे रिहायशी इलाके पूरी तरह जलमग्न हैं। गली-मोहल्लों में पानी का स्तर इतना बढ़ चुका है कि लोग अपने घरों से बाहर निकलने में असमर्थ हैं। वाहनों को घरों तक ले जाना अब संभव नहीं रह गया है, जिससे लोगों को रोजमर्रा की जरूरतें पूरी करने में भी भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। राजीव नगर, गोताखोर, हुसैन नगर, कर्बला, आजाद नगर और नई बस्ती जैसे इलाकों में रहने वाले सैकड़ों परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर शरण लेनी पड़ी है। प्रशासन ने स्थिति को देखते हुए इन इलाकों में राहत कार्य शुरू कर दिए हैं।
प्रशासन ने तैनात कीं 48 नावें
बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में प्रशासन ने कुल 48 नावों की व्यवस्था की है ताकि लोगों को राहत शिविरों तक पहुंचाया जा सके। इन नावों के माध्यम से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया जा रहा है, साथ ही राशन और दवाएं पहुंचाने का काम भी किया जा रहा है। हालांकि स्थानीय लोगों का कहना है कि नावों की संख्या जनसंख्या और ज़रूरत के हिसाब से कम है। कई बार लोगों को घंटों इंतजार करना पड़ता है, जिससे स्थिति और भी गंभीर हो जाती है।
बाढ़ से शिक्षा व्यवस्था भी चरमरा गई
बाढ़ का असर शिक्षा पर भी बुरी तरह पड़ा है। नेतुआ गांव के बच्चों के लिए सरैयां प्राथमिक विद्यालय पहुंचना अब संभव नहीं है। इसी तरह फत्तेखेड़ा गांव के बच्चे भी गगनी खेड़ा विद्यालय नहीं जा पा रहे हैं। स्कूल जाने के लिए बच्चे और अभिभावक नावों पर निर्भर हो गए हैं, जो हर वक्त उपलब्ध नहीं होतीं। अभिभावकों ने बताया कि बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह ठप हो गई है। स्कूल प्रशासन और जिला शिक्षा अधिकारी से इस संबंध में कोई स्पष्ट मार्गदर्शन नहीं मिला है।
वाहनों को मुख्य मार्गों पर खड़ा करना मजबूरी
चूंकि गलियों और घरों तक पानी भर गया है, इसलिए लोग अपने दोपहिया और चारपहिया वाहनों को मुख्य सड़कों पर खड़ा करने को मजबूर हैं। इससे न केवल सुरक्षा का खतरा है, बल्कि लोगों को हर बार वहां तक जाने में दिक्कतें भी हो रही हैं। कुछ इलाकों में वाहन पानी में डूबने की वजह से खराब भी हो गए हैं, जिससे लोगों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।
राशन और दवाइयों की किल्लत
बाढ़ प्रभावित इलाकों में राशन और जरूरी दवाइयों की उपलब्धता भी एक बड़ी चुनौती बन गई है। कई इलाकों में दुकानों तक पहुंचना मुश्किल हो गया है। विशेषकर बुजुर्ग, गर्भवती महिलाएं और बीमार लोग दवाइयों के लिए परेशान हैं। प्रशासन की ओर से अब तक सीमित क्षेत्रों में ही राहत सामग्री पहुंचाई गई है। स्थानीय निवासियों ने मांग की है कि राशन वितरण के लिए विशेष टीम गठित की जाए जो नावों के जरिए हर घर तक पहुंचे।
सुरक्षा के साथ चेतावनी भी जारी
प्रशासन ने चेतावनी दी है कि गंगा का जलस्तर अगले कुछ दिनों तक इसी तरह बना रह सकता है। इसको देखते हुए लोगों को नदियों के किनारे न जाने और बच्चों को अकेले बाहर न भेजने की सलाह दी गई है। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें भी अलर्ट मोड पर हैं।
जलनिकासी और स्थायी समाधान की मांग
स्थानीय लोगों का कहना है कि हर साल इस समय गंगा का जलस्तर बढ़ता है और ऐसी स्थिति बनती है, लेकिन अब तक कोई स्थायी समाधान नहीं किया गया है। नालों की सफाई, जलनिकासी की योजना और रिहायशी इलाकों को सुरक्षित करने के लिए कोई दीर्घकालिक योजना दिखाई नहीं देती।