Etawah News: कथावाचक विवाद में इटावा सड़कों पर उतरा, थाने के बाहर हंगामा, नारेबाजी और एक बड़ी मांग

उत्तर प्रदेश के इटावा में कथावाचक के साथ हुई बदसलूकी के मामले ने तूल पकड़ लिया है। इस मामले को लेकर स्थानीय स्तर पर लोगों में गुस्सा है।

Post Published By: Poonam Rajput
Updated : 26 June 2025, 5:27 PM IST
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इटावा: उत्तर प्रदेश के इटावा में कथावाचक के साथ हुई बदसलूकी के मामले ने तूल पकड़ लिया है। इस मामले को लेकर स्थानीय स्तर पर लोगों में गुस्सा है। यही वजह है कि अहीर रेजीमेंट और यादव संगठन के कार्यकर्ताओं ने बकेवर थाने का घेराव कर जमकर हंगामा किया। लोगों ने सड़क जाम कर अपनी मांगें रखीं, जिसमें गगन यादव की रिहाई और कथावाचकों पर की गई कार्रवाई वापस लेने की मांग प्रमुख रही।

दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक, साथ ही घटना के दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की भी मांग की गई। कथावाचकों पर की गई कार्रवाई के विरोध में संगठन के कार्यकर्ताओं ने इटावा के बकेवर थाना क्षेत्र में अजीत रेस्टोरेंट के पास नारेबाजी की। इस दौरान सड़क जाम कर दिया, जिससे यातायात प्रभावित रहा। पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए प्रदर्शनकारियों को समझाने का प्रयास किया और भीड़ को वापस जाने के लिए राजी किया। इटावा के साथ ही आसपास के जिलों से आए संगठन के सदस्यों ने एकजुट होकर अपनी मांग दोहराई कि गगन यादव को तत्काल रिहा किया जाए, कथावाचकों पर दर्ज कार्रवाई रद्द की जाए। पुलिस ने कथावाचकों के खिलाफ मामला दर्ज किया है

इटावा कथावाचक दुर्व्यवहार मामले में पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए कथावाचकों के साथ मारपीट करने वाले चार लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। वहीं, इटावा पुलिस ने कथावाचक मुकुट मणि यादव और उनके सहायक संत सिंह यादव दोनों के खिलाफ फर्जी आधार कार्ड बनवाने और जाति छिपाकर कथा सुनाने के आरोप में धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है। इस बीच एनडीटीवी के कैमरे पर कथावाचक संत यादव का दर्द छलक आया।

कथावाचक संत यादव का दर्द छलक आया

कथावाचक संत यादव कैमरे पर रो पड़े। उन्होंने रुंधी हुई आवाज में कहा, 'हम इतने हताश थे कि हमें मौत के अलावा कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। यह घटना जो घटी, जिंदगी में पहली बार हुई। मेरे बच्चे भी रो रहे थे साहब। मैं भी रो रहा था। मुझे मर जाना चाहिए। मुझे जीना नहीं चाहिए। कुल मिलाकर जो कुछ मेरे साथ हुआ, भगवान ऐसा किसी के साथ न करे। जाति के नाम पर हमें प्रताड़ित किया गया। हमें खूब मारा-पीटा गया। यहां तक ​​कि रत्नों का हार भी छीन लिया गया। उन्होंने हार तोड़कर फेंक दिया। इस तरह से उन्होंने हमें बहुत परेशान किया। हमारे सिर मुंडवा दिए गए। हम पर पेशाब या पानी छिड़का गया। हमें जूतों पर नाक रगड़ने के लिए मजबूर किया गया।

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