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उत्तर प्रदेश में 21 करोड़ के फर्जी ITC घोटाले ने हड़कंप मचा दिया है। राज्य कर विभाग ने गोरखपुर से हापुड़ तक जांच के बाद तीन GST सहायक आयुक्तों को निलंबित कर दिया है। IAS अधिकारी एम. देवराज के निर्देशन में यह सख्त कार्रवाई की गई है।
तीन सहायक आयुक्त निलंबित
Lucknow: उत्तर प्रदेश में फर्जी ITC (इनपुट टैक्स क्रेडिट) घोटाले को लेकर राज्य कर विभाग ने बड़ी कार्रवाई की है। लगभग 21 करोड़ रुपये के घोटाले में तीन सहायक आयुक्तों को निलंबित किया गया है। इस घोटाले की जांच के बाद IAS एम. देवराज, प्रमुख सचिव (राज्य कर) ने यह सख्त कदम उठाया है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, गोरखपुर और हापुड़ में तैनात सहायक आयुक्तों ने कुछ फर्जी फर्मों को ITC लाभ पहुंचाने के लिए गड़बड़ी की थी। हापुड़ के तत्कालीन सहायक आयुक्त जितेंद्र कुमार और अभय कुमार पटेल को घोटाले में मिली भूमिका के चलते निलंबित कर दिया गया है। वहीं, गोरखपुर के सहायक आयुक्त अजय कुमार को भी निलंबन का सामना करना पड़ा है।
राज्य कर विभाग के अधिकारियों का कहना है कि फर्जीवाड़े में कुछ व्यापारी और बिचौलिये भी शामिल हो सकते हैं, जिनकी भूमिका की जांच जारी है। प्रारंभिक जांच में यह सामने आया है कि जिन कंपनियों को ITC का लाभ मिला, उनका अस्तित्व कागजों तक ही सीमित था। IAS देवराज ने कहा कि राज्य में टैक्स चोरी और भ्रष्टाचार किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। विभाग ने आगे और भी जांच तेज कर दी है और जल्द ही अन्य दोषियों पर भी कार्रवाई हो सकती है।
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शासन ने 21 करोड़ रुपये के फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) घोटाले में ताबड़तोड़ कार्रवाई करते हुए तीन सहायक आयुक्तों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। निलंबित अधिकारियों में हापुड़ के जितेंद्र कुमार, अभय कुमार पटेल और गोरखपुर के अजय कुमार शामिल हैं। इन पर फर्जी फर्मों को संरक्षण देने और करोड़ों के फर्जी आईटीसी ट्रांसफर में मिलीभगत के गंभीर आरोप लगे हैं। वहीं, उपायुक्त लालचंद के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश दिए गए हैं।
जांच में सामने आया कि आरोपी उमेरुल निशा ने 2 मई 2023 को “निशा इंटरप्राइजेज” नाम से एक फर्जी फर्म रजिस्टर कराई थी। आधार और पैन के आधार पर रजिस्ट्रेशन बिना जांच के तुरंत पास हो गया। जुलाई 2024 में मोबाइल ऐप के माध्यम से यह फर्म संदिग्ध पाई गई और मौके की जांच में यह पूरी तरह फर्जी निकली। इसके बावजूद 2023-24 और 2024-25 में कुल 20 करोड़ के करीब फर्जी आईटीसी ट्रांसफर कर ली गई, जिससे सरकार को 19.5 करोड़ का नुकसान हुआ।
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शासन की सख्ती के बाद पूरे विभाग में हड़कंप मच गया है। सूत्रों के अनुसार, यह एकमात्र फर्जी रजिस्ट्रेशन नहीं है। विभागीय सूत्रों का कहना है कि आने वाले दिनों में कई और बड़े नामों का खुलासा हो सकता है। शासन ने स्पष्ट कर दिया है कि दोषियों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा।